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देश को जरूरत है सदाबहार क्रांति की

अच्छी नस्ल के बीजों एवं कृषि की नई व्यवस्थाओं ने कृषि उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि की है. कृषि उत्पादन की प्रगति के आंकड़ों पर यदि नजर डाली जाए तो हम देखते हैं कि खाद्यान्न उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई है. इस सब का श्रेय देश के किसानों एवं वैज्ञानिकों को जाता है कि उन्होंने बढ़ती जनसंख्या और घटती हुई कृषि उपयोगी भूमि के बावजूद खाद्यान्न में आशातीत बढ़ोतरी की है. हरित क्रांति का प्रभाव चावल गेहूं आदि कुछ खास फसलों में उत्पादन क्षमता के बीजों के प्रयोग एवं रसायनों के प्रयोग के कारण उत्पादन में सुधार के रूप में रहा है लेकिन उसके बावजूद हर प्रांत की वैज्ञानिकों द्वारा अब कुछ खामियां देखी गई है जिस पर सचेत होकर आगे बढ़ने की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है.

प्रयास इस बात का होना चाहिए कि हमारे किसानों को अंतरराष्ट्रीय मूल्यावस्था का लाभ मिले और उनकी आय में वृद्धि हो.हमारे किसान अब अंतरराष्ट्रीय मूल्यों पर माल भेज सकें एवं अंतरराष्ट्रीय मूल्यों पर कच्चा माल खरीदें.यह एक बहुत दूर की सोच है. वर्तमान में जरूरत है कि किसानों को  संबल प्रदान करने की व असिंचित क्षेत्रों एवं अल्प शिक्षित क्षेत्रों के विकास पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इतने वर्षा के बावजूद भी अभी भी खेती सिंचित पर आधारित है इसके लिए प्रयास होने चाहिए कि हम बूंद बूंद सिंचाई पद्धति पर ध्यान दें और वह अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाएं जिससे लघु एवं सीमांत किसान भी लाभान्वित हो सके इस बार मानसून की कृपा से किसानों उत्पादन में काफी सहारा मिला है जिससे भारतीय कृषि के लिए सुखदायक और लाभदायक माना जा सकता है

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा क्या जा रहा कृषि अनुसंधान शिक्षा और प्रसार का कार्य नई ऊंचाइयों पर दिखाई दे रहा है साथ ही परिषद ने उन तमाम प्रयासों को गद्दी है जिनसे कृषि अनुसंधान और किसानों के बीच रिश्ता मजबूत हो सके इसके लिए हमारे कृषि मंत्री  नरेंद्र सिंह तोमर के प्रयासों से भारतीय कृषि में कई बदलाव किए जा रहे हैं इसके लिए हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने किसान हित में कई निर्णय लेकर कृषि को एक नई दिशा देने का कार्य किया जिससे देश में सदाबहार क्रांति को लाया जा सके.

देश में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने उन तमाम प्रयासों को गति दी जिनसे किसान दूर था. संस्थान और किसानों के बीच रिश्ता मजबूत होता दिखाई दे रहा है. देश के कृषि विज्ञान केंद्रों की संख्या बढ़कर 675 हो गई है और लगभग  सभी कृषि विज्ञान केंद्रों को आधुनिक संचार सुविधाओं से जोड़ दिया गया है ताकि किसानों तक सूचनाएं तुरंत और कुशलता पूर्वक पहुंचाई जा सके. इसके साथ ही अधिकतर कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से मोबाइल सलाहकार सेवा प्रारंभ की गई है, जिसमें किसानों के मोबाइल फोन पर मौसम बाजार तथा कृषि क्रियाओं संबंधी नवीनतम जानकारी को पहुंचाया जा रहा है. दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए भी नई पहल की गई है. इसके माध्यम से किसानों को खेतों पर अधिक से अधिक प्रदर्शनों का आयोजन किया जा रहा है, जिससे किसानों को देख कर नई तकनीकों से रूबरू हो और उसको अपने खेतों पर अपनाएं जिससे देश के दलहन उत्पादन को बढ़ाया जा सके.परिषद का प्रयास है देश के विभिन्न कृषि जलवायु क्षेत्रों के लिए उपयुक्त गुणवत्ता युक्त और अधिक उपज देने वाली किस्में विकसित कर किसानों तक पहुंचाई जाए. इस लक्ष्य की ओर आगे बढ़ते हुए परिषद ने विभिन्न सुधरी हुई किस्में को किसानों को बोने के लिए जारी की है. 

भारतीय कृषि और खाद्य सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के मंडराते खतरों को देखते हुए परिषद द्वारा नेटवर्क मोड में व्यापक पर योजनाएं लागू की गई है जिसके तहत इस आपदा से निपटने के लिए कृषि अनुसंधान प्रणाली को मजबूत बनाया जाएगा पशु उत्पादन के क्षेत्र में देश में पहली बार ऊंट और मिथुन में कृत्रिम गर्भाधान को सफल बनाया गया है इसके उपरांत जो नस्ल सुधार का कार होगा उसका लाभ देश को मिलेगा.

इसी प्रकार परिषद द्वारा केंद्रीय डाटा केंद्र का विकास किया गया है ताकि ज्ञान की साझेदारी आसान और सुलभ हो सके इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए कृषि शिक्षा को उन्नत बनाने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं छात्रों में उद्यमिता के विकास के लिए इकाइयां विकसित की जा रही हैं कुल मिलाकर प्रयास यह है कि देश में सतत खाद सुरक्षा बनी रहे और देश एक सदाबहार प्रांत की ओर अग्रसर हो सके.

वर्तमान में चल रही कोरोना ऐसी महामारी के कारण जहां देश की अर्थव्यवस्था पर संकट खड़ा हुआ है वहीं इससे किसी भी अछूती नहीं है क्योंकि किसानों के उत्पाद को बेचने में दिक्कत आ रही है. जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ रहा है उनके द्वारा उत्पादन किए गए फल फूल तथा साग सब्जी जिसको भंडारित नहीं किया जा सकता उसको बेचने में कठिनाई आने के कारण किसानों को काफी नुकसान हो रहा है. ऐसी दशा में एक नई कृषि  नीति को बनाना होगा. जिससे किसानों को हो रहे नुकसान से  बचाया जा सके.

English Summary: Country needs evergreen revolution Published on: 16 May 2020, 02:47 IST

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Hey! I am डॉ. राकेश सिंह सेंगर. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

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