बदलते मौसम की मार किसानों की न केवल फसल उत्पादकता, विश्व खाद्य सुरक्षा बल्कि उनकी आय पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। ऐसे में भविष्य में यह स्थिति और भी विकराल रूप धारण कर सकती है। कृषि क्षेत्र में पानी और सिंचाई का बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है और समय पर इस की अनुपलब्धता या देरी से फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और इसी प्रभाव को कम करने के लिए विश्व की अग्रणी कृषि उद्योग कंपनी यूपीएल ने क्रांतिकारी उत्पाद “जेबा” का अविष्कार किया है जिसके उपयोग से देश के किसान औसत 30 फीसदी फसल, आय और मिट्टी गुणवत्ता में वृद्धि के साथ -साथ पानी की बचत का भी लाभ उठा रहे हैं।
इस क्रम में यूपीएल ने पुणे जिले के जुन्नरतालुका में एक किसान महासम्मेलन का आयोजन किया जहां 800 से ेभी ज्यादा किसानों के बीच जेबा के उपयोग से ज्यादा फसल और आय कमाने वाले 100 किसानों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को कृषि की उन्नत तकनीक से अवगत कराया जिससे उनकी आय को बढ़ाया जा सके जिसमें किसानों ने बढ़-चढ़ कर भागीदारी दिखाई और अपने कृषि विषय की समस्याओं और शंकाओं के जवाब पाए।
सम्मानित किसानों में से एक युवा किसान और पेशेवर इंजीनियर वैभव मुराद्रे, रोहोकड़ी गांव, जुन्नरता लुका जिला पुणे के निवासी ने कहा कि जेबा खेती के लिए एक संजीवनी है जो खेती में जल प्रबंधन द्वारा पौधों को सेहतमंद बनाता है जिसके चलते पौधों में ज्यादा फूल लगें और वेगिरे भी नहीं। मैंने अपने टमाटर के खेत में जेबा का इस्तेमाल किया और मुझे 25 से 30 प्रतिशत की फसल में वृद्धि मिली और साथ ही मुझे खेतों को कम बार सींचना पड़ा क्योंकि जेबा द्वारा मिट्टी में भुर-भुरापन और नमी बरकरार रही जिसके चलते मैंने जल का भी संचय किया।
कोठड़े गांव, पुरंदर तहसील के राहुल भोंसले ने कहा मैंने अनार के बगीचे में जेबा उपयोग किया और मेरे प्रति अनार का औसत वजन पिछले वर्ष के मुकाबले 400-500 ग्राम से बढ़कर 700-800 ग्राम हो गए। इस वर्ष अनार के फूल और फल भी कम गिरे। इसी के साथ प्रति पेड़ उत्पादन भी पिछले वर्ष 20 से 25 किलो हुआ करते थे। इस वर्ष 30 से 35 किलो मिले। जेबा के इस्तेमाल से फल में दरार की समस्या भी न के बराबर रह गई है।
समीर टण्डन, इंडिया रीजन डायरेक्टर - यूपीएल ने बताया कि हमारे देश में पानी और सूखे की समस्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में कृषि में जल का प्रबंधन बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। हमारा उत्पाद जेबा इस कार्य को बड़े बखूबी करता है। कई कारणवश पौधों को जब समय पर सिंचाई उपलब्ध नहीं होती ऐसे वक्त में जेबा जो अपने वजन का 400 गुना पानी और पोषक तत्व सोख कर रखता है पौधे को समय पर प्रदान करता है और पौधे या फसल को बचाता है। कई बार कई कारणों से पौधों के पोषक तत्व पानी में बह जाते हैं। ऐसे में भी जेबा द्वारा उनका बहाव रुक जाता है किसानों को होने वाला नुकसान कम हो जाता है।
जेबा के इस्तेमाल से करीब 30 फीसदी की बढ़त मिली है। इस क्रांतिकारी उत्पाद का सबसे पहला ट्रायल हमने नारायण गांव के क्षेत्र में किया था और इसके पूरी दुनिया मंे सम्पूर्ण रूप से किसानों को लाभ देने के रिकॉर्ड को देखते हुए हमने यहां के उन किसानों को जिन्होंने जेबा से अच्छी फसल और आय पाई है उन्हें सम्मानित करने के उद्देश्य से इस किसान महासम्मेलन का आयोजन किया जिस ेकिसान भाइयों का बहुत ही सकारात्मक प्रतिसाद मिला जिसके लिए हम उनके आभारी हैं।
क्या है जेबा ?
जेबा एक स्टार्च आधारित सॉयल कंडीशनर है जो अपने वजन का करीब 400 गुना पानी और पोषक तत्व सोख कर रखता है और पौधों को समय≤ पर आवश्यकता अनुसार प्रदान करता रहता है। बीज की बुवाई के समय इसे मिट्टी में डाला जाता है। यह पौधों की जड़ों में नमी को बरकरार रखकर ज्यादा पोषण को प्रदान कर पौधे को सेहतमंद बनाता है।
इसके साथ ही यह मिट्टी में पोषक तत्वों को सोख कर रखता है जिसके कारण उनके कई कारणों से बह जाने के कारण होने वाले नुकसान को भी कम करता है जिससे पैदावार में औसत 30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। मक्का (कॉर्न) स्टार्च से निर्मित होने के कारण जेबा मिट्टी में घुलनशील है जिसके चलते यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता।
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