हम आजकल अपने स्वस्थ के प्रति कितने सजग हैं, यह इस बात से पता चलता है की कैसी भी कोई सी भी बीमारी की बात की जाए तो सामने वाला उसका इलाज बताना शुरू कर देता है. एलोपेथिक की पेटेंटेड दवाई से लेकर होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक और दादी नानी के नुस्खे तक सुनने को मिल जाते हैं.
इलाज कितना कारगर होता है मर्ज को भगाने में यह तो समय ही बता पाता है. यह तो बात हुई इंसानो की बीमारी और उनका स्वास्थय के प्रति रुझान की.
क्या आपने कभी सोचा की हम इंसानो की तरह ही पेड़-पौधे भी सांस लेते हैं और उनको भी कीड़े मकोड़े काटते हैं और वह भी बीमार होते रहते हैं. जरा सोचिये की जो किसान फसल को बोता है चाहे वह फल या सब्जी ही क्यों न हो, किसान के धैर्य की प्रशंसा जितनी भी की जाए वह कम है.
किसान अपनी फसलों के लिए जमीन बनाता है, बीज डालता है और फिर पानी दाल कर अंकुर फूटने के बाद कड़ी फसल के फूल और फल की प्रतीक्षा भी करता है. इतने में यदि कहीं उस पर बीमारी लग जाये तो उन सब से कैसे छुटकारा पाया जाये यही सबसे बड़ी समस्या होती है.
जो हम रोजमर्रा की सब्जी जैसे बैंगन, टमाटर, मिर्ची आदि को दुकानदार से देखभाल कर खरीद लाते हैं वह कैसी-कैसी बीमारियों से जूझ कर स्वस्थ दिखती है और हमारे मन को ललचा रही होती है उसके स्वस्थ की देखभाल करते हैं `क्रोपेक्स` के उत्पाद.
आइए जान लेते हैं की कौन सी फसल और कैसे कीट पतंग और बीमारियां उसे ख़राब करने में अपनी कोई कोर कसर नहीं छोड़ती !
कीट पतंगों की देखभाल के लिए 'एकॉन' को इस्तेमाल किया जा सकता है. यदि आप मिर्ची, कपास, अंगूर, सजावटी फूलों, अनार, बैंगन, पत्तागोभी, भिंडी, ककड़ी, टमाटर व दूसरी सब्जियों तरबूज, संतरा, की फसल में किटक जैसे माइट्स, थ्रिप्स, वाइटफ्लाईज़, ऐफिड्स, मिलीबग्स, हैलीओथिस, ब्लैक फ्लाईज़ होने पर यह बहुत कारगर है. तरबूज, संतरा, चाय, धान, चावल में यदि उपरोक्त कीटकों में से कोई हो तो भी और ब्लू बीटल, वाइट बेक्ड - प्लांट हॉपर, एंड लीफ फोल्डर इन सभी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए एकॉन को लौंग का तेल (यूजेनॉल) 00.50% w/v, पोटैशियम सोप 99.50% v/v की 4 से 6 मिली प्रति लीटर पानी में एनओपी के अनुसार फसल उत्पादन में उपयोग के लिए अनुमत डालने को यूएएस धारवाड़ और एमपीकेवी, राहुरी अध्यन : थ्रिप्स, चावल ब्लू बीटल, चावल पत्ती फोल्डर और वाइट बेक्ड प्लांट हॉपर के खिलाफ पैदावार में वृद्धि के साथ 'एकॉन' उल्लेखनीय पाया गया है.
क्रोपेक्स का दूसरा नायाब 'इकोफिट' उत्पाद है जिसका फुहारा मिर्ची में ऐंथ्राक्नोज और पावडरी मिल्ड्यू के प्रकोप को नियंत्रण में लाने में अत्यंत सफल रहा है. तथा पैडी लीफ ब्लास्ट, पैडी नेकब्लास्ट की तीव्रता कम हुई और अनाज की पैदावार अधिकतम हुई.
'इकोफिट' मिर्ची, अंगूर, शोभा के फूल, अनार, धान, चावल, भिंडी, बैंगन, टमाटर, करेला की बीमारियों को दूर करने में सहायक है.
क्रोपेक्स का एक और उत्पाद 'आरकॉन' का अलटरनोरिया लीफ ब्लाइट और टोमेटो लीफ कर्ल वाइरस की तीव्रता पर असर पाया गया तथा पैदावार में वृद्धि भी पाई गयी.
यहाँ किसान भाइयों को बता दें की भिंडी में यलो वेन मोजेक वायरस के लिए 'आरकॉन' बहुत मुफीद है.
मकई और लोबिया में जड़ों में वृद्धि (36.9 से 50.5 प्रतिशत), टहनियों में वृद्धि (28.6 से 56.8 प्रतिशत) और पत्तियों के क्षेत्र में विकास (17.1 से 61.7 प्रतिशत) मिलने में प्रभावशाली है जैविझाइम की 1.5 से 2 मिली प्रति लीटर की मात्रा डालने से परिणाम अच्छे मिलते हैं.
रोपाई से 20, 35 और 50 दिनों के अंतर से 'जैविझाइम' के 2 मिली/पानी की मात्रा में फ़ुहारने पर टमाटर की फसल में संवृद्धि, पुष्पन, और फ्रूट सेटिंग में वृद्धि की वजह से पैदावार में गुणवत्तापूर्ण बढ़ोतरी देखी गयी.
पौधों के प्रारंभिक विकास की अवस्था में फोलिअर फुव्हारा पौधों की वृद्धि और संश्लेषक क्षेत्र के विकास में सुधर लाने में प्रभावी पाया गया.
कंपनी और उसके उत्पाद की अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं.
दूरभाष- 73494-23613, ई-मेल: [email protected]
अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट देखें- www.cropex.in
पता: क्रॉपेक्स प्राइवेट लिमिटेड, संख्या 83, तालाकावेरी लेआउट, बसवनगर, बैंगलोर 560037, कर्नाटक.
अधिक जानकारी के लिए कृपया मेसेज बॉक्स में अपना संपर्क नंबर छोड़ दें
चंद्र मोहन, कृषि जागरण
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