अमूल आनंद मिल्क यूनियन लि. गुजरात के आणंद में स्थित एक भारतीय डेयरी सहकारी समिति है. जिसे हम अमूल के नाम से जानते हैं. 1946 में स्थापित, अमूल का प्रबंधन गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (GCMMF) द्वारा किया जाता है, जो एक सहकारी संस्था है, जिसमें आज गुजरात के 3.6 मिलियन दूध उत्पादक शामिल हैं.
अमूल कंपनी के ऐतिहासिक बदलाव की अगर बात करें तो अमूल ने भारत में श्वेत क्रांति की शुरुआत की जिसने भारत को दूध और दूध उत्पादन में दुनिया का सबसे बड़ा निर्माता बना दिया. अमूल की स्थापना भारत के पहले उप प्रधान मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के निर्देशन में त्रिभुवनदास पटेल ने की थी. तब से लेकर अब तक अमूल ने कई चुनौतियों को पार कर हर बार खुद को सर्वश्रेष्ट साबित किया है. यही वो वजह है की आज अमूल का हर प्रोडक्ट घर-घर में पुरे विश्वास के साथ इस्तेमाल किया जाता है.
अब तक आपने अमूल के डेरी प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया होगा जैसे की दूध,दही,घी,चॉकलेट इत्यादि. लेकिन अब अमूल ने इन सब के अलावा बैक-एंड में भी काम करना शुरू कर दिया है. बीते साल अक्टूबर के महीने में अमूल ने गृहमंत्री अमित साह के हाथों अमूल आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र की लौन्चिंग की. ऐसे में इस प्रोडक्ट के ब्रांडिंग के लिए 10th Agri Asia Exhibition and Conference गुजरात के गाँधी नगर में पहुच कर अमूल ने अपनी भागीदारी दिखाते हुए इसमें हिस्सा लिया. वहीँ इस एग्री एशिया के कवरेज के लिए पहुंची कृषि जागरण और उसकी टीम की मुलाक़ात अमूल कंपनी के MD (मैनेजिंग डायरेक्टर) अमित व्यास से हुई. कृषि जागरण से बात-चीत के दौरान अमित व्यास ने अमूल के इस नये प्रोजेक्ट के विज़न और मिशन के बारे में बताया. लोगों अब तक जहाँ “अमूल कूल पीता है इंडिया” तक जानते थे. उन्होंने बताया की कैसे अब अमूल बैक एंड से भी किसानों के हित में काम कर रहा है.
अमूल ने अमूल आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र का कांसेप्ट लेकर बाजार में तब उतरा है, जब इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है. जल,हवा के साथ-साथ अब मिट्टी भी प्रदूषित होने लगी है. ऐसे में जरुरी है की हम अब रासायनिक खादों का इस्तेमाल कम करते हुए जैविक खेती की ओर अपना रुख करें. ऐसे में अमूल आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र किसानों के लिए बेहद लाभदायक है. अमित व्यास ने वर्त्तमान स्थिति को डेरी से जोड़ते हुए बताया की कैसे रासायनिक खाद का असर डेरी सेक्टर और दूध पर पड़ता है.
उन्होंने कहा जितने भी चारे हैं जो इन गाय,मवेशियों को खिलाया जाता है, वो उसी रासायनिक मिट्टी पर उपजता है और उसी को गाय-भैंस खाते हैं, जिसका असर उनके दूध और हमारी सेहत पर दिखाई देता है. ऐसे में अगर हम जमीनों में जैविक खाद का इस्तेमाल करेंगे तो आने वाले एक-दो सालों में रासायनिक खादों का असर खत्म हो जाएगा, जिसके बाद हमे स्वक्ष और स्वस्थ जमीने मिलेंगी खेती-बाड़ी करने के लिए.
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सर्विस प्रोवाइडर का किरदार निभाता नज़र आएगा अमूल
अमित व्यास ने कृषि जागरण से बात-चीत करने के दौरान अपने आगे की प्लानिं के बारे में बताते हुए कहा की कुछ आज भी किसानों के सामने आज भी कुछ ऐसी समश्याएं हैं जिसका समाधान हम सब को खोजना होगा. तकनीकों की अगर बात करें तो बाजारों में कई विकसित तकनीकें उपलब्ध हैं लेकिन उनकी कीमतें इतनी अधिक हैं की किसान खरीदने में असमर्थ हैं.
ऐसे में अमूल उन्हें ड्रोन या अन्य तकनीकों की मदद से अमूल आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र खेतों में छिड़काव करवाएगा जिसका लाभ किसानों को मिलेगा. अमित व्यास ने बताया की यह अमूल आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र फसल की उत्पादन और उसकी गुणवत्ता दोनों को बढ़ाने में किसानों की मदद करेगा. अमूल आर्गेनिक फ़र्टिलाइज़र आने वाले दिनों में किसानों को एक नए मुकाम पर लेकर जाएगा. अमित व्यास ने अपनी उम्मीदें जताई है.
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