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गेंहूं-सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में बढ़ोत्तरी की संभावाना, किसानों को होगा बड़ा फायदा

गेंहूं और सरसों किसानों को त्यौहारों के मौसम में सरकार अच्छा तोहफा दे सकती है. दरअसल गेहूं और सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में बढ़ोत्तरी हो सकती है. खबरों की माने तो गेहूं -सरसो के अलावा रबी सीजन की अन्य फसलों पर केंद्र न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का विचार कर रही है. गौरतलब है कि कृषि मंत्रालय ने इस मुद्दे को लेकर एक प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है. लेकिन फिलहाल हरियाणा में लगे आचार संहिता के कारण इसकी घोषणा नहीं की जा सकती है. बता दें कि पंजाब और हरियाणा दो ऐसे राज्य हैं, जहां से पूरे देश को 70 प्रतिशत तर गेहूं मिलता है. ऐसे में अगर हरियाणा में नये प्रस्ताव को लागू किया जाता है तो समर्थन मूल्य 1840 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 1925 रुपये हो जायेगा. वहीं सरसों के मूल्य में भी 4200 रुपये से 4425 रुपये तक की बढ़त होने की संभावना है.

सिप्पू कुमार
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गेंहूं और सरसों किसानों को त्यौहारों के मौसम में सरकार अच्छा तोहफा दे सकती है. दरअसल गेहूं और सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में बढ़ोत्तरी हो सकती है. खबरों की माने तो गेहूं -सरसो के अलावा रबी सीजन की अन्य फसलों पर केंद्र न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने का विचार कर रही है.

गौरतलब है कि कृषि मंत्रालय ने इस मुद्दे को लेकर एक प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है. लेकिन फिलहाल हरियाणा में लगे आचार संहिता के कारण इसकी घोषणा नहीं की जा सकती है.

बता दें कि पंजाब और हरियाणा दो ऐसे राज्य हैं, जहां से पूरे देश को 70 प्रतिशत तर गेहूं मिलता है. ऐसे में अगर हरियाणा में नये प्रस्ताव को लागू किया जाता है तो समर्थन मूल्य 1840 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 1925 रुपये हो जायेगा. वहीं सरसों के मूल्य में भी 4200 रुपये से 4425 रुपये तक की बढ़त होने की संभावना है.

खबरों के मुताबिक मसूर की कीमत में भी सरकार किसानों को खुश करने की कोशिश करेगी. मसूर के दाम 4475 रुपये से बढ़ाकर 4800 रुपये तक किये जा सकते हैं. इसी तरह सूरजमुखी की कीमत भी 5215 रुपये की जा सकती है. 

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कृषि मंत्रालय के इस प्रस्ताव पर नवंबर में अधिसूचना जारी हो सकती है. बता दें कि मोदी की केंद्र सरकार लगातार तिलहन और दालों को बढ़ावा देने के लिये तरह-तरह के कदम उठा रही है.

ये है सरकार का मुख्य लक्ष्यः

गौरतलब है कि कुछ सालों से अनाज का उत्पादन सामान्य से कई ज्यादा हो रहा है और इस समय देश के पास 7.1 करोड़ टन से अधिक का स्टॉक है. ऐसे में सरकार का लक्ष्य फिलहाल खाद्य तेलों के प्रोडक्शन को बढ़ाने का है. बता दें कि खाद्य तेलों के आयात पर हर साल भारत 80 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है, इसलिए सरकार सरसों और सूरजमुखी के तेल पर अधिक जोर दे रही है.

English Summary: wheat and musted Minimum support prices will be increase as per media reports Published on: 05 October 2019, 05:55 PM IST

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