नकदी की किल्लत से जूझ रही चीनी मिलों के लिए केंद्र सरकार ने कदम बढ़ाया है। मिलों को गन्ना बकाया भुगतान में मदद करने के लिए दूसरे चरण के प्रोत्साहन को अगले 8-10 दिनों में अंतिम रूप दे सकती है। परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उक्त दिशा में कई कार्य किए जा रहे हैं जिसमें चीनी के लिए बफर स्टॉक बनाना और पड़ोसी देशों चीन तथा बंग्लादेश के लिए निर्यात में तेजी लाना मुख्य रूप से शामिल हैं।
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ग़डकरी ने एक नैशनल डेली को दिए गए साक्षात्कार में कहा कि, "इस बारे में अभी स्पष्ट रूप से बताना मुश्किल होगा कि हम क्या करेंगे, लेकिन बफर स्टॉक बनाने और चीन तथा बांग्लादेश के लिए भी निर्यात के संबंध में कुछ निर्णय अगले 8-10 दिन में ले लिए जाएंगे।"
वहीं एक सामाचार एजेंसी की रिपोर्ट कि मानें तो खाद्य मंत्रालय ने 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने और गन्ना बकाया चुकाने में मदद प्रदान करने के लिए न्यूनतम एक्स-मिल कीमत निर्धारित करने के लिए एक कैबिनेट प्रस्ताव रखा है। गन्ना बकाया बढ़कर लगभग 220 अरब रुपये पर पहुंच गया है। इस स्थिति के पैदा होने का कारण रिकॉर्ड उत्पादन और चीनी की कीमतों में भारी गिरावट की वजह से हुआ है। मसौदा प्रस्ताव पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार द्वारा प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र में बाजार में व्यापक चीनी आपूर्ती से निपटने के लिए हस्तक्षेप करने के लिए लिखे गए पत्र पर भी ध्यान दिया गया है।
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आंकड़ो की अगर बात करें तो देश में चीनी उत्पादन अधिक गन्ना पैदावार की वजह से 2017-18 के सीजन में अब तक 3.16 करोड़ टन की सर्वाधिक उंचाईं पर पहुंच गया है और इसके वजह से गन्ना बकाया बढ़कर 220 अरब रुपये पर पहुंच गया है। वहीं अगर मौजूदा समय में चीनी की औसत एकस-मिल कीमत 25.60-26.22 रुपये प्रति किलोग्राम के दायरे में है जो उत्पादन लागत से कम है। वहीं आपको बता दें कि मई महीने की शुरुआत में सरकार ने गन्ना किसानों के लिए 5.5 रुरये प्रति क्विंटल की उत्पादन सब्सिडी को मंजूरी प्रदान की जिससे कि चीनी मिलों के गन्ना बकाया को निपटाने में मदद मिल सके।
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