बढ़ती हुई महंगाई की आग सब्जी, मसालों से होते हुए दालों तक आ गई है. हालात ऐसे हो गए हैं कि होटल्स या ढ़ाबों के अलावा घरों में भी दाल खाना आम आदमी के लिए दुर्लभ हो गया है. शहरों में जहां लोग प्याज़ के बढ़ते हुए दाम से परेशान हैं, वहीं महंगें दालों ने रसोई के बजट हिलाकर रख दिया है. आम आदमी द्वारा उपभोग होने वाले सभी दालों के दाम पिछले 2 हफ्तों के दौरान 15 से 20 रुपये बढ गए हैं. इस बारे में विशेषज्ञों की माने तो शादी सीजन होने के चलते अधिकांश खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट की संभावना कम ही है.
दालों के दाम
बाजार में जहां धुली उड़द के दाम 75 से 80 हैं, वहीं साबुत उड़द 80 से 65 प्रति किलो के भाव में मिल रहा है. धुली मूंग की कीमत 80 से 90 के आस-पास हो गया है. वहीं अरहर की दाल 95 से 100 प्रति किलो है. चना की दाल की कीमत 50 से 52 और काबुली चना 80 से 85 रूपये प्रति किलो मिल रहा है. मसूर की दाल 60 से 55 और बेसन 70 से 75 रूपये प्रति किलो में बिक रहा है.
बारिश ने बढ़ाएं दालों के दामः
मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में सितम्बर-अक्टूबर माह में मूसलाधार बारिश हुई थी. जिस कारण सोयाबीन और दाल के फसलों को नुकसान हुआ था. इस बारे में कारोबारी बताते हैं कि भारी पिछले 2 से 3 हफ्तों में सोयाबीन और दाल के भाव में बढ़ोत्तरी हई है. सोयाबीन की थोक कीमतें जहां 3800-3850 रुपये के आसपास हो गई है, वहीं उड़द के भावों में भी 4 से 6 फीसद तक बढ़त हुई है.
महंगाई पर विपक्ष का तंजः
बढ़ती हुई महंगाई पर कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुए हमला किया है. अलग-अलग राज्यों में विपक्ष सरकार पर महंगाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है. इस बारे में ऊना( हिमाचल प्रदेश) जिला कांग्रेस अध्यक्ष राजेश पराशर ने सरकार पर सवाल करते हुए कहा कि हमारी सरकार के वक्त भाजपा महगांई को लेकर हर दिन सड़कों पर आ जाती थी. आज आम आदमी रो रहा है लेकिन सरकार सत्ता के सुख में कुछ देख नहीं रही.
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