आलू के भाव में बढ़ोत्तरी के दौरान नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार ने एक समिति बनाई है जिसके जरिए आलू के अधिकतम स्टाक लिमिट निर्धारित की जा सकती है। इस बीच उपभोक्ता मंत्रालय के साथ-साथ कृषि मंत्रालय भी आलू के बढ़ते दामों पर बढ़ोत्तरी पर काबू पाने के लिए विचाराधीन है। मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा उपभोक्ताओं को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया जाएगा।
उत्पादन में कमी के अनुमान के फलस्वरूप आलू का भंडारण शुरु हो चुका है जिसका कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। फुटकर बाजार में आलू के दाम लगभग 30 प्रतिशत तक जबकि थोक बाजार में 10 प्रतिशत तक दाम में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है।
आप को बता दें कि दिसंबर में खराब मौसम के कारण सब्जी की उत्पादकता पर बुरा असर पड़ा है जिससे पंजाब में (20 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश में (15 प्रतिशत) तक आलू की फसल खराब हुई है। उत्पादन में कमी के कारण आलू का भंडारण करना शुरु हो चुका है जिससे कीमतों पर भी असर पड़ रहा है।
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