मकर संक्रांति से पहले ही उत्तर भारत में तिलकुट, लाइ, गजक, रेवड़ी, रामदाना और लाई आदि से बाजार गुलजार हो चुके हैं. विशेषकर बिहार, यूपी और झारखंड में गजब की रौनक देखी जा सकती है. जगह-जगह टेंट लगाकर तिलकुट और लाइ की बिक्री हो रही है.
व्यपारियों और हलुवाई समाज को त्यौहार से उम्मीद
कोरोना काल मिठाई दुकान बंद ही रही, ऐसे में दुकानदारों और हलुवाई समाज को इस त्यौहार से बड़ी उम्मीद है. यही कारण है कि त्यौहारों के करीब आते ही डबल स्पीड के साथ व्यापारियों ने बाहर से कारीगर तक मंगवाने शुरू कर दिए हैं.
इस बार नए तरह के तिलकुट
इस समय सबसे अधिक मांग तिलकुट का है. हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष तिल की कीमत में 20 प्रतिशत का उछाल है. लेकिन तिलकुट के प्रति चाह में किसी तरह की कोई कमी नहीं आई है. वैसे यूपी-बिहार और झारखंड में कई तरह से तिलकुट बनाया जाता है, लेकिन पिछले कुछ सालों से पारंपरिक तिलकुटों, जैसे- तिल,चीनी या गुड़ के अलावा नए फ्लेवर वाले तिलकुट भी देखने को मिलने लगे हैं.
पसंद आ रहा है ओरेंज फ्लेवर
दुकानदारों ने बताया कि आज कल लोगों को हर उत्पाद में नयापन चाहिए, इसलिए इलायची, लौंग, जीरा और सौंफ आदि फ्लेवर वाले तिलकुट भी बनाए जा रहे हैं. रांची के सबसे फेमस तिलकुट भंडार थड़पखना में तो आरेंज फ्लेवर का तिलकुट भी देखने को मिल रहा है. दुकानदारों ने बताया कि आरेंज फ्लेवर लाने के लिए आरेंज चॉकलेट का इस्तेमाल किया गया है. इस तिलकुट की कीमत 700 रुपये प्रति किलो है, जो लोगों को पसंद आ रही है.
डायबिटीज रोगियों के लिए भी तिलकुट
गया के प्रसिद्ध जय श्री तिलकुट भंडार में तो डायबिटीज के रोगियों के लिए शुगर फ्री तिलकुट बनाएं जा रहे हैं. दुकानदारों ने बताया कि आज के समय में हजारों लोगों को डायबिटीज की समस्या है. अब डायबिटीज का उपचार तो उनके हाथों में नहीं है, लेकिन त्यौहारों पर उनके लिए भी कुछ बनाया जाए, इसका इंतेजाम किया गया है.
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