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केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने शाही लीची समेत अन्य कृषि उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने और किसानों की आय को दुगनी करने की दिशा में पहल को शुरू कर दिया है. इसके लिए मुजफ्फरनगर समेत देश के अन्य जिलों में एक कॉमन फैसिलिटी सेंटर को खोलने का कार्य शुरू किया जाएगा. इस सेंटर में किसानों के उत्पाद से जुड़ी सारी व्यवसथाएं होंगी. इसके लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने देशभर के किसान संगठनों की बैठक को बुलाया है. यहां 7 जून को गुरूग्राम स्थित राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के सभागार में आयोजित होने वाली बैठक में विभिन्न संगठन के अध्यक्षों से तेजी से सुझाव भी मांगा गया है. कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव दिनेश कुमार ने देश के कृषि से जुड़े उन सभी अध्यक्षों को अपना पत्र लिखकर सुझाव बैठक पूर्व भेजने का अनुरोध किया है।
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कलस्टर प्रोग्राम किया तैयार
दरअसल केंद्रीय कृषि मंत्रालय उत्पादों को उचित मूल्य दिलाने के लिए एक कल्सटर प्रोग्राम तैयार किया है. इसके तहत कलस्टर विकास का उद्देशय व समग्र विकास है, इसके तहत विपणन, निर्यात संवर्धन, कौशल उन्नयन, बुनियादी ढांचा आदि को विकसित करना प्रमुख उद्देश्य है. मंत्रालय ने औद्योगिक संपदाओं के साथ-साथ प्राकृतिक समूहों को भी कवर करने के लिए डिजाइन को तैयार करने का कार्य किया गया है. बागवानी व्यवसाय कल्स्टर और आपूर्ति श्रृखंला विकास नामक इस तरह की योजना में मंत्रालय ने कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम को तैयार किया है.
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कृषि उपकरणों की बैंक की मांग
बिहार के मुजफ्फरपुर की लीची पूरी ही दुनिया में मशहूर है. लेकिन बाजार नहीं होने के चलते प्रसंस्करण की पूरी सुविधा नहीं होने और परिवहन के लिए रेलवे का सहयोग नहीं होना व्यापार को चौपट कर रहा है. उन्होंने कृषि मंत्रालय को भेजे सुझाव में कृषि उत्पादों से संबंधित उपकरण का बैंक बनाने की बात कही है, जहां से किसान अपनी जरूरत के अनुसार इन उपकरणों को किराये पर लेकर काम करेंगे।
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