किसी मुकाम को हासिल करने के लिए किसी आवश्यक दिशा निर्देश या फिर किसी अनुभव की आवश्यकता नहीं होती. मन में बस कुछ करने का जूनून तो कुछ भी मुश्किल सामने आ जाये मंजिल मिल ही जाती है. मन में दृढ इच्छा होनी चाहिए. किसी भी इंसान की कोशिश हमेशा काम आती है और उसे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है.
ऐसे ही जूनून के साथ अपने व्यवसाय की शुरुआत की है 18 वर्षीय विपिन यादव ने. हरियाणा के कादीपुर गाँव के रहने वाले विपिन यादव ने बहुत ही कम उम्र में राजधानी से सटे गुडगाँव से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर उन्होंने अपने के प्रोजेक्ट की शुरुआत की.
भारतीयों में एक ख़ास बात यह है कि जब हमें किसी नयी चीज के विषय में पता लगता है तो हम उसे बहुत जल्द सीखने की कोशिश करते हैं. विपिन यादव में भी ऐसा ही कुछ ख़ास सीखने और करने की लगन थी. जिस उम्र में इंसान पढने के लिए प्रयास करता है उस उम्र में विपिन यादव एक व्यवसाय कर रहे हैं. 12 वी के बाद विपिन भी पढना चाहते थे लेकिन एक दुर्घटना ने उनकी जिंदगी बदलती. जिसके चलते उनकी पढाई छूट गयी. फिर उन्होंने अपना ही कुछ करने का सोचा. एक दिन ऐसे ही अपना फोन लिए बैठे अचानक उनके फ़ोन पर एक मैसेज आया. यह मैसेज कृषि विज्ञान से आया हुआ जिसमें लिखा था कि बागवानी की ट्रेनिंग करके अपना व्यवसाय कर सकते है.
यही बात विपिन के दिमाग में खटकी और उन्होंने कृषि अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र में संपर्क किया और वहां से 1 पालीहॉउस कंस्ट्रक्शन में 1 महीने का प्रशिक्षण लिया. इस प्रशिक्षण के बाद उनको एग्रीकल्चर स्किल काउंसिल ऑफ़ इंडिया से भी प्रमाणपत्र मिला.
विपिन बताते हैं कि इसके बाद उन्होंने अपना खुद का व्यवसाय करने के लिए अपनी जमा पूँजी का इस्तेमाल किया. उन्होंने अपनी जमां पूँजी से 100 स्कवायर फीट में एक छोटे से ग्रीन हाउस को स्थापित किया. इस ग्रीन हाउस में वैसे तो ज्यादा लागत लगती. किन्तु विपिन का इस पर लगभग 1 लाख रुपया खर्च हुआ. विपिन ने यह छोटा ग्रीनहाउस अपने घर में ही स्थापित किया और फूलों के साथ सब्जियों और औषधीय पौधों को उगाना शुरू किया. चूँकि विपिन द्वारा लगाया गया ग्रीनहाउस शहर के नजदीक है तो उन्होंने फूलों की खेती को अधिक महत्ता दी. अब वो इस ग्रीन हाउस के अंदर फूलों की खेती कर उनको शहरी क्षेत्र में सप्लाई कर रहे हैं. अभी विपिन को ग्रीन हाउस में खेती करते हुए एक साल है. इससे उनको सालाना 1 लाख से 150000 तक की आय हो जाती है.
किस तकनीक का कर रहे हैं इस्तेमाल : विपिन बताते हैं कि वो मिटटी रहित खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. इसके लिए वो गमले में वो मिटटी की जगह कोकोपीट का इस्तेमाल करते हैं, इसमें मिटटी का जरा भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है. इस तरीके से ग्रीन हाउस में खेती करने से पौधे पूरी तरह से कीटों से सुरक्षित रहते हैं और फल व् पौधा पूर तरह से स्वस्थ्य रहता है.
क्या है आगामी योजना : बेशक विपिन की उम्र अभी कम है लेकिन उनमें आगे बढ़ने और कुछ करने का एक जज्बा है. उनका कहना है कि वो इसको और बड़े स्तर पर करेंगे. इसके बाद वो हाइड्रोपोनिक तकनीक पर भी काम कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने अपने घर की छत पर हाइड्रोपोनिक खेती के लिए पूरा ढांचा तैयार कर लिया है. इसमें अभी तक उन्होंने सरकार की और से कोई मदद नही ली है. अकेले ही वो इस प्रोजेक्ट को कर रहे हैं.
इस हाइड्रोपोनिक तकनीक के माध्यम से वो फूल और सब्जियों की खेती करेंगे. विपिन कहते हैं कि जो लोग बेरोजगार हैं यह उनके लिए अच्छा रोजगार स्थापित हो सकता है. इससे युवा अपना खुद का रोजगार स्थापित कर सकते हैं. इसमें युवाओं को आगे आना चाहिए.
Share your comments