किसी इंसान का हौसला और जुनून ही है जो उसे कामयाब बनाता है। चाहे राह कोई भी हो इंसान अगर दिल लगाकर उसमें काम करे तो उसे तरक्की जरूर हासिल होती है। ऐसा ही जुनून का एक मिसाल देखने को मिला है उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में। प्रदेश निवासी रामशरण वर्मा पढ़ाई में तो ज्यादा कुछ नहीं कर पाए लेकिन खेती में उन्होंने जो कर दिखाया वो काफी बेमिसाल है। बता दें कि रामशरण वर्मा हाईस्कूल भी पास नहीं कर पाए लेकिन आधुनिक खेती के दम पर रामशरण वर्मा ने आज ये मुकाम पाया है कि दूसरे जिले के लोग उनसे खेती के गुर सीखने आते हैं।
रामनरेश वर्मा टिशूकल्चर पद्धति से केले की खेती करते हैं। उन्होंने खेती का कार्य वर्ष 1986 में शुरु किया था। उस वक्त से लेकर आज तक वो 6 एकड़ जमीन से डेढ़ सौ एकड़ पर खेती कर रहे हैं। और आज वो केले की खेती में इतना आगे निकल चुके हैं की लोग उन्हें खेती में मिसाल मानते हैं। रामशरण एक एकड़ केले की फसल में ढाई से साढे तीन लाख तक का फायदा उठा लेते हैं। वहीं वो सिर्फ एकस फल की खेती पर ही निर्भर नही हैं और वो केले के अलावा अपने खेतों में आलू और टमाटर की खेती भी करवाते हैं।
खेती के प्रति मेहनत और लगन की वजह से उन्हें वर्ष 2007 और 2010 में राष्ट्रीय कृषि पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। इसके साथ ही वर्ष 2014 में रामशरण को बागवानी के लिए भी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें अब तक कई प्रदेशों के मुख्यमंत्री और राज्यपाल भी सम्मानित कर चुके हैं। अपनी सफलता के बारे में बताते हुए रामशरण ने कहा कि खेती में मेहनत बहुत जरूरी है। वर्मा से प्रदेश के कई जिलों के किसान उनके फार्म हाउस पर खेती की तकनीक सीखने आते हैं।
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