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नौकरी छोड़कर इस किसान ने की मोतियों की खेती, आज होती है लाखों की आमदनी

आज के दौर में लोग किसानी छोड़कर शहरों की तरफ पलायन करते जा रहे हैं, आम लोगों की राय यही है कि खेती में रखा ही क्या है. लेकिन बिजनौर (उत्तर प्रदेश) के गांव सरकथल माधो के एक आदमी ने इन सभी बातों को खोखला साबित कर दिखाया है. कमलदीप का नाम बिजनौर में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. मोतियों की खेती के लिए प्रसिद्ध कमलदीप के बारे में तमाम तरह के अखबारों में कुछ न कुछ छपता ही रहता है. चलिए आपको उनके बारे में बताते हैं.

सिप्पू कुमार
Pearls farming
Pearls farming

आज के दौर में लोग किसानी छोड़कर शहरों की तरफ पलायन करते जा रहे हैं, आम लोगों की राय यही है कि खेती में रखा ही क्या है. लेकिन बिजनौर (उत्तर प्रदेश) के गांव सरकथल माधो के एक आदमी ने इन सभी बातों को खोखला साबित कर दिखाया है. कमलदीप का नाम बिजनौर में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. मोतियों की खेती के लिए प्रसिद्ध कमलदीप के बारे में तमाम तरह के अखबारों में कुछ न कुछ छपता ही रहता है. चलिए आपको उनके बारे में बताते हैं.

कमलदीप विदेश में नौकरी करते थे, कमाई भी अच्छी ही थी. लेकिन उनका मन न जाने क्यों अपने गांव के प्रति ही लालायित रहा. आखिरकार विदेशी नौकरी छोड़कर उन्होंने गांव में ही कुछ काम करने का मन बना लिया. निसंदेह उनके इस फैसले का मजाक बनाया गया.

मोतियों की खेती हास्यास्पद होने के बाद भी गांव वालो के लिए नए तरह के आकर्षण की बात थी. कमलदीप मोतियों पर अनोखे प्रयोग करते जा रहे थे और किसान उन्हें देखते जा रहे थे. गांव में धान, गेहूं और गन्ने की खेती तो हर कोई कर रहा था, लेकिन कमलदीप को 60 गुणा 60 फीट के दो तालाब से जितनी आमदनी हुई, उतनी आमदनी प्राय किसी और को न हुई. बंपर आमदनी ने उन्हें अलग पहचान दी.

कमलदीप बताते हैं कि उनके द्वारा तैयार किए गए मोती मूर्तियों की बनावट और देवी देवताओं की सजावट के लिए उपयोग होते हैं. सबसे अधिक मांग इनकी धार्मिक केंद्रों जैसे हरिद्वार, ऋषिकेश, चार धाम आदि क्षेत्रों में है. एक ही मोती से 300 रूपए तक कमाई हो जाती है.

Pearl Farming

ऐसे होती है मोतियों की खेती

कमलदीप के मुताबिक मोतियों की प्राप्ति सीप द्वारा होती है. सीपों के अंदर एक कीड़ा होता है. सीप में छोटा सा छेद करके कोई आकृति डाल दी जाती है. भारत में अधिकतर आकृतियों के रूप में धार्मिक चिन्हों का उपयोग होता है. हमारे द्वारा डाली गई आकृति पर अंदर मौजूद कीड़ा कैल्शियम की परत चढ़ाने लग जाता है. लगभग एक वर्ष के बाद सीप को तोड़कर उस आकृति को निकाल लिया जाता है, जिस पर कैल्शियम की परत चढ़ी होती है. इसे अलग करके सांचे को फिर से सीप में रखा जाता है. आम भाषा में इस सांचे को न्यूक्लियर भी कहते हैं. अगर सब सही रहा तो आप एक ही तालाब से 15 से 20 लाख रुपये के मोती निकाल सकते हैं.

आज मिश्रित खेती में है फायदा

किसान कमलदीप का मानना है कि आज के समय में एक ही तरह की खेती की जगह मिश्रित खेती को चुनना चाहिए. खेती में नई तकनीकों को शामिल करने से समय के साथ श्रम और पैसा भी कम लगता है. जबकि एक ही तरह की खेती से जमीन की शक्ति कम होती है और किसानों को अधिक मुनाफा नहीं हो पाता.

सरकार कृषि को लेकर भी कई तरह की योजनाए चला रही है, जिसके फायदें उठाए जा सकते हैं. अलग अलग फसलों पर दाम भी अच्छे मिलते हैं. मोतियों की खेती के साथ-साथ किसान मछली पालन का काम भी कर सकते हैं.

English Summary: this man earn huge profit by pearls farming know more about it Published on: 23 September 2020, 12:26 PM IST

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