Success Story: भारत के किसान अब पारंपरिक खेती से हट कर गैर-पारंपरिक खेती करना पंसद कर रहे हैं और इसमें सफलता भी हो रहे हैं. अधिकतर किसान सब्जियों की खेती कर रहे हैं, जिससे कम समय में अच्छी कमाई संभव है. ऐसा ही कुछ उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में स्थित तुसौरा गांव के निवासी निर्मल कुशवाहा ना जैविक और आधुनिक तकनीकों के माध्यम से सब्जियों की खेती में सफलता हासिल की है और आज लाखों में कमाई कर रहे हैं. किसान निर्मल कुशवाहा 20 एकड़ भूमि पर मूली समेत कई सब्जियों की खेती करते हैं.
आइये इस आर्टिकल में प्रगतिशील किसान निर्मल कुशवाहा की सफलता की पूरी कहानी जानते हैं-
इन फसलों की करते हैं खेती
किसान निर्मल कुशवाहा ने कृषि जागरण को बताया कि वह लगभग पिछले 25 सालों से खेतीबाड़ी से जुड़े हुए है और सब्जियों की खेती कर रहे है. किसान गोभी, खीरा, फूलगोभी और मूली की खेती करते हैं. सब्जियों की खेती के लिए निर्मल कुशवाहा के पास लगभग 20 एकड़ भूमि है. वह गोभी, खीरा, फूलगोभी और मूली की अलग-अलग किस्मों की लंबे समय से खेती कर रहे हैं और इससे अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं.
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मूली की Cross X-35 से मिला अच्छा मुनाफा
कृषि जागरण से बातचित के दौरान किसान ने बताया कि वह मुख्य रुप से मुली की खेती करते हैं, जिसके लिए वह अलग-अलग किस्मों को लगाते हैं. उन्होंने बताया, मुली की खेती के लिए वह स्नो व्हाइट और क्रॉस एक्स-35 किस्म की खेती करते हैं. किसान निर्मल कुशवाहा ने कहा कि सोमानी सीड्स की क्रॉस एक्स-35 एक बहुत अच्छी वेराइटी है. इसे तैयार होने में सिर्फ 28 से 30 दिनों का समय लगता है और प्रति एकड़ 20 से 25 मेट्रिक टन उपज प्राप्त हो जाती है. उन्होंने बताया कि, पिछले 2 सालों से क्रॉस एक्स-35 की खेती करके उन्हें अच्छी खासी पैदावार प्राप्त हुई है और इस किस्म का मार्केट रेट भी अच्छा है.
जैविक और आधूनिक खेती
किसान निर्मल कुशवाहा ने बताया कि, वह खेती के लिए नई-नई तकनीकों के बारे में साथी किसानों या विज्ञानिकों से राय लेते रहते हैं. इसके अलावा, अच्छी खेती के लिए वह यूट्यूब वीडियो का भी देखते रहते हैं, जिससे उन्हें आधूनिक खेती से जुड़ी काफी अच्छी और ज्यादा जानकारी मिल जाती है. किसान ने बताया कि खेती के लिए वह जैविक विधि का ही उपयोग करते हैं,
लागत और मुनाफा
कृषि जागरण से बातचित के दौरान किसान निर्मल ने बताया कि, मौसम और फसल के अनुसार खेती में लागत आती है. किसी फसल में ज्यादा लागत आती है, तो किसी में कम भी आती है. मुली की खेती में प्रति एकड़ लगभग 20 से 25 हजार रुपये का खर्च आ जाता है. किसान ने मुनाफे के बारे में बात करते हुए कहा कि, मुनाफा भी सीजन और फसल पर निर्भर करता है. पिछले एक से डेड महीने पहले मार्केट रेट काफी अच्छा था, तो मुली की फसल से 4 से 5 लाख रुपये प्रति एकड़ का लाभ हो रहा था. लेकिन अभी मुली का मार्केट रेट कम है, तो एक से डेड लाख रुपये भी मुश्किल से मिल रहा है.
इन चुनौतियों का किया सामना
प्रगतिशील किसान निर्मल कुशवाहा ने बताया कि, सब्जियों की खेती में सबसे बड़ी समस्या मौसम की रहती है. मौसम का बदलाव और बिना मौसम के बारिश भारी मात्रा में फसल खराब कर देती है. इसके अलावा, उनके सामने समय पर खाद ना मिलना भी बड़ी समस्या रही है. उन्होंने कहा, किसानों को कम से कम खाद मिलती है, जिस वजह से फसल अच्छी पैदावार नहीं दे पाती है और कमाई उतनी ही रहती है.
किसानों के लिए संदेश
निर्मल कुशवाहा ने कृषि जागरण से बातचीत में किसानों से कहा कि वे ज्यादा से ज्यादा वैज्ञानिक तरीकों से खेती करें, ताकि उपज बढ़ सके. साथ ही रासायनिक विधियों का कम उपयोग करें, जिससे सब्जियों का सेवन करने पर लोगों के स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर न पड़े.
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