
भारत की अर्थव्यवस्था का मूल आधार कृषि है, लेकिन बदलते दौर में इसे केवल आजीविका का साधन न मानकर एक सुनियोजित व्यवसाय के रूप में देखने की आवश्यकता है. उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के रहने वाले प्रगतिशील किसान अभिषेक पुंडीर ने इसी सोच को अपनी पहचान बना लिया है. पारंपरिक खेती की पृष्ठभूमि से आने के बावजूद, उन्होंने आधुनिक कृषि तकनीकों, उन्नत बीजों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाकर खेती को लाभ का जरिया बना लिया है.
लगभग 20 एकड़ भूमि में खेती कर रहे यह युवा किसान सालाना करीब 20 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. खासकर खरीफ सीजन में “शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स” कंपनी द्वारा विकसित धान की ‘कोकिला-33’ किस्म ने उनकी आमदनी में जबरदस्त इजाफा किया है, जिससे वह दूसरे किसानों के लिए भी एक प्रेरणा बन चुके हैं. ऐसे में आइए इस युवा किसान की सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-
कृषि में पेशेवर शुरुआत और पारिवारिक विरासत
प्रगतिशील किसान अभिषेक का परिवार कई पीढ़ियों से खेती करता आ रहा है, लेकिन उन्होंने इसे सिर्फ परंपरा मानने के बजाय एक प्रोफेशनल करियर की तरह अपनाया है. बचपन से खेतों में समय बिताने के बाद उन्होंने एग्रीकल्चर में बीएससी (बैचलर ऑफ़ साइंस) की पढ़ाई की, जिससे उन्हें खेती के वैज्ञानिक पक्ष को समझने का अवसर मिला. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पूरी तरह से खेती को अपने जीवन का मुख्य केंद्र बना लिया और परंपरागत तरीके के साथ-साथ तकनीकी सुधारों को भी अपनाया है.
फसलों की विविधता और उत्पादन क्षमता
20 एकड़ भूमि में प्रगतिशील किसान अभिषेक मुख्य रूप से धान, गेहूं, मक्का, मूंग, बाजरा और सरसों की खेती करते हैं. खरीफ सीजन में उनकी मुख्य फसल धान होती है, जबकि रबी सीजन में गेहूं पर विशेष ध्यान दिया जाता है. उनकी खेती की खास बात यह है कि वे फसल विविधता को बनाए रखते हैं, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और जोखिम भी कम होता है.
धान की कोकिला-33 किस्म: सफलता की कुंजी
खरीफ सीजन में उन्होंने धान की कई किस्मों की खेती की, लेकिन “शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स” कंपनी की कोकिला-33 किस्म ने उन्हें विशेष सफलता दिलाई है. उन्होंने बताया कि कोकिला-33 एक बासमती किस्म है जिसकी विशेषता है – मध्यम व चमकदार दाने, अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता, और मजबूत तना. यह किस्म लगभग 105-110 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति एकड़ लगभग 25 क्विंटल तक उपज देती है.
इस किस्म की खेती के लिए वे 10 मई के बाद नर्सरी लगाते हैं और 20-25 दिनों में रोपाई कर लेते हैं. एक एकड़ में खेती के लिए लगभग 7.5 किलो बीज की आवश्यकता होती है. इस किस्म का बाज़ार मूल्य भी 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक आसानी से मिल जाता है. वही, कोकिला-33 की प्रति एकड़ खेती में लगभग 25 हजार रुपये का खर्च आता है जिसमें बीज, खाद, कीटनाशक और मजदूरी शामिल होती है.
प्रगतिशील किसान अभिषेक ने आगे बताया कि “शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स” कंपनी के बीजों का प्रयोग करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त होता है. बीजों की गुणवत्ता उच्च स्तर की होती है जिससे मुनाफा भी अपेक्षाकृत अधिक हो जाता है. खास बात यह है कि कंपनी की तकनीकी टीम निरंतर संपर्क बनाए रखती है. वे समय-समय पर खेतों का निरीक्षण करने आते हैं, फसलों की बढ़वार, रोग प्रतिरोधक क्षमता और उत्पादन क्षमता का आंकलन करते हैं, और आवश्यक दिशा-निर्देश एवं सुझाव भी देते हैं. परिणामस्वरूप फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है, उपज बढ़ती है और बाजार में अच्छी कीमत मिलती है.
रबी सीजन में गेहूं की खेती: लगातार बेहतर मुनाफा
रबी सीजन में वे पूरी 20 एकड़ भूमि में गेहूं की खेती करते हैं. इसमें भी उन्हें प्रति एकड़ लगभग 25 क्विंटल उपज मिलती है. जबकि खेती में लागत लगभग 20-25 हजार रुपये प्रति एकड़ आती है, जिसमें बीज, खाद, कीटनाशक और मजदूरी शामिल होती है. हालांकि, उपज की गुणवत्ता और बाजार में मांग को देखते हुए उन्हें अच्छा मुनाफा हो जाता है.
सिंचाई और संसाधनों का सटीक प्रबंधन
अभिषेक खेती में सिंचाई के लिए ट्यूबवेल और नहरों का इस्तेमाल करते हैं. वे जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान देते हैं ताकि फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में सुधार हो. इसके अलावा, वे जैविक और रासायनिक खेती का संतुलन बनाए रखते हैं. उनकी खेती में 10% जैविक और 90% रासायनिक विधि अपनाई जाती है.
पशुपालन से जुड़ी अतिरिक्त आय
खेती के साथ-साथ अभिषेक पशुपालन को भी आय का एक मजबूत स्तंभ मानते हैं. उनके पास 10 गाय और भैंसे हैं, जिनसे उन्हें दूध उत्पादन के माध्यम से अतिरिक्त कमाई होती है. इसके अलावा, गोबर खाद के रूप में जैविक खेती के लिए इस्तेमाल होता है, जिससे उनकी खेती और अधिक टिकाऊ बनती है.
युवा किसानों के लिए संदेश
अभिषेक पुंडीर का मानना है कि आज खेती केवल परंपरा नहीं, बल्कि एक व्यवसाय बन चुकी है. यदि युवा आधुनिक तकनीकों को अपनाएं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखें और सही समय पर सही फैसले लें, तो वे खेती से शानदार आमदनी कर सकते हैं. वे कहते हैं, “खेती में अब वह सब कुछ है जो एक युवा को आत्मनिर्भर बना सकता है, जरूरत है तो सिर्फ सोच को बदलने की.”
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