Success Story of Progressive Farmer Vinod Bishnoi: विनोद विश्नोई का नाम आज राजस्थान के बीकानेर जिले में एक प्रगतिशील किसान के रूप में जाना जाता है. उनकी खेती की तकनीक और मेहनत ने उन्हें न केवल एक सफल किसान बनाया, बल्कि एक उद्यमी भी बना दिया है. विनोद का वर्तमान टर्नओवर लगभग 80 लाख रुपये है, जो उनकी सफलता की स्पष्ट मिसाल है.
उन्होंने पारंपरिक खेती से निकलकर पॉलीहाउस में खीरे की खेती शुरू की, और इसने उन्हें कृषि क्षेत्र में एक नया मुकाम दिलाया. उनकी सफलता की कहानी उन किसानों के लिए एक प्रेरणा है, जो पारंपरिक तरीकों से बाहर निकलकर कुछ नया करने की सोच रहे हैं. यह कहानी एक साधारण किसान से एक सफल कृषि उद्यमी बनने की है, जो न केवल अपनी मेहनत से खेतों में सफलता पा रहे हैं, बल्कि कृषि क्षेत्र में एक नया बदलाव भी ला रहे हैं-
शुरुआती जीवन और पारंपरिक खेती
राजस्थान के बीकानेर जिले के लूनकरनसर तहसील के रहने वाले प्रगतिशील किसान विनोद विश्नोई का बचपन से ही कृषि के साथ गहरा लगाव रहा है और उनके परिवार में खेती-किसानी का काम पीढ़ी दर पीढ़ी चलता आ रहा है. उनकी प्राथमिक शिक्षा 8वीं कक्षा तक हुई है, लेकिन खेती के प्रति उनका ज्ञान बहुत गहरा है. पारंपरिक खेती के दौरान वह गेहूं, चना, सरसों, ग्वार और मूंगफली जैसी फसलें उगाते हैं. इन फसलों को मौसम के हिसाब से उगाया जाता है, लेकिन इनकी पैदावार और मुनाफा सीमित होता है.
पॉलीहाउस में खीरे की खेती की शुरुआत
विनोद विश्नोई की पॉलीहाउस में खीरे की खेती करने की यात्रा एक प्रेरणादायक कहानी है. यह सफर उनके चाचा, प्रगतिशील किसान आत्माराम विश्नोई से प्रेरित था, जो पहले से ही पॉलीहाउस में खीरे की खेती कर रहे थे. आत्माराम का अनुभव और सफलता ने विनोद को पॉलीहाउस तकनीक की ओर आकर्षित किया. आत्माराम के मार्गदर्शन में ही विनोद ने 6 साल पहले 1 एकड़ में पॉलीहाउस की स्थापना की और खीरे की खेती शुरू की.
पॉलीहाउस में खीरे की खेती की शुरुआत ने उन्हें उम्मीदों से कहीं अधिक सफलता दी. शुरू में विनोद को अपनी खेती में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन सही तकनीक और सही मार्गदर्शन ने उनकी मुश्किलों को हल कर दिया. पॉलीहाउस में खीरे की खेती के परिणाम बहुत जल्दी दिखने लगे. फसल की गुणवत्ता, पैदावार और उत्पादन में वृद्धि के कारण विनोद को आर्थिक लाभ हुआ, जो पारंपरिक खेती से कहीं अधिक था.
पॉलीहाउस की स्थापना और लागत
विनोद ने जब अपने फार्म पर एक एकड़ में पॉलीहाउस लगाया था, तो उनकी लागत लगभग 14 लाख 25 हजार रुपये आई थी. यह लागत उस समय उनके लिए एक बड़ा निवेश था, लेकिन सरकार द्वारा मिलने वाली 70% सब्सिडी ने उनकी लागत को काफी कम कर दिया. पॉलीहाउस का कुल प्रोजेक्ट उस समय लगभग 40-42 लाख रुपये का था. यह सब्सिडी उनके लिए एक बहुत बड़ी मदद थी, और उन्होंने इसका सही उपयोग किया.
पॉलीहाउस लगाने के बाद विनोद ने महसूस किया कि यह तकनीक खेती के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकती है. वह इस तकनीक से न केवल फसल की गुणवत्ता बढ़ा सकते थे, बल्कि जलवायु के प्रतिकूल प्रभावों से भी बच सकते थे. इससे खीरे की पैदावार में सुधार हुआ और वह फसल के लिए बेहतर कीमत प्राप्त करने में सक्षम हुए.
पॉलीहाउस में खीरे की खेती की लागत और लाभ
विनोद बताते हैं कि पॉलीहाउस में खीरे की खेती करने पर एक एकड़ में लगभग 2 लाख रुपये की लागत आती है. हालांकि, इस लागत से ज्यादा आमदनी होती है. हर एक एकड़ में खीरे की खेती से उन्हें लगभग 10 लाख रुपये का कारोबार होता है, जिससे करीब 8 लाख रुपये की बचत होती है. इससे न केवल उनकी लागत की वसूली होती है, बल्कि उन्हें अच्छा मुनाफा भी मिलता है.
पॉलीहाउस में खीरे की खेती साल में दो से तीन बार होती है, और हर सत्र में उन्हें अच्छा मुनाफा मिलता है. इस प्रकार, साल भर में उनका एक एकड़ में मुनाफा लगभग 12 से 15 लाख रुपये तक हो जाता है.
पॉलीहाउस में आने वाली समस्याएं
कृषि जागरण से बातचीत में विनोद विश्नोई ने बताया कि पॉलीहाउस में खीरे की खेती करते समय कुछ चुनौतियां भी सामने आईं. इनमें प्रमुख समस्याएं वाइट फ्लाई, वायरस, निमेटोड और क्रीमिया वायरस जैसी बीमारियां थीं. विशेष रूप से क्रीमिया वायरस ने उनकी फसल को प्रभावित किया, क्योंकि इसका कोई स्थायी समाधान अभी तक नहीं है.
विनोद ने इन समस्याओं से निपटने के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया. उन्होंने अपने खेतों में जैविक और रासायनिक खादों का सही मिश्रण इस्तेमाल किया, ताकि फसल की गुणवत्ता बनी रहे और रोगों से बचाव हो सके. इसके अलावा, उन्होंने समय-समय पर खेतों की निगरानी की और समस्या के शुरुआती लक्षणों का पता लगाकर उनका समाधान किया.
मंडीकरण और बाजार में खीरे की बिक्री
प्रगतिशील किसान विनोद अपनी खीरे की फसल का मंडीकरण आसपास की 4-5 मंडियों में करते हैं. उन्होंने अधिकतम अपने खीरे की फसल को 45 रुपये प्रति किलो तक बेचा है, जो उनकी मेहनत और फसल की गुणवत्ता का परिणाम है.
पॉलीहाउस में खीरे की खेती करने से न केवल उनकी फसल की गुणवत्ता में सुधार हुआ है, बल्कि वह बाजार में अपनी फसल को अच्छे दाम पर बेचने में भी सक्षम हुए हैं. उनका यह अनुभव यह साबित करता है कि सही तकनीक और मेहनत से किसान अच्छा मूल्य प्राप्त कर सकते हैं.
डेयरी व्यवसाय और अन्य आय स्रोत
विनोद के पास 10 साहिवाल नस्ल की गायें हैं, जिनसे वह डेयरी व्यवसाय भी चलाते हैं. गायों से प्राप्त गोबर खाद को वह अपने खेतों में डालते हैं, जिससे उनकी खेती में और भी अधिक उत्पादकता और गुणवत्ता आती है. विनोद की यह समझदारी और विविधता उनकी कृषि उद्यमिता को और मजबूती देती है.
प्रगतिशील किसान विनोद विश्नोई का इंटरव्यू देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें
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