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Success Story Kinnow Farming: किन्नू की खेती से अजय विश्नोई बनें करोड़पति, यहां जानें कैसे?

Success Story Kinnow Farming: पंजाब के अबोहर जिले के रहने वाले प्रगतिशील किसान अजय विश्नोई 25 एकड़ में किन्नू की खेती करते हैं. इसमें वे सालाना लगभग 200 क्विंटल प्रति एकड़ किन्नू की उपज प्राप्त करते हैं. ऐसे में आइए उनकी सफलता की कहानी के बारे में जानते हैं-

विवेक कुमार राय
प्रगतिशील किसान अजय विश्नोई
प्रगतिशील किसान अजय विश्नोई

पंजाब के अबोहर जिले के निवासी अजय विश्नोई ने बागवानी के क्षेत्र में अपनी कड़ी मेहनत, समर्पण और तकनीकी ज्ञान से एक नई पहचान बनाई है. वे एक प्रगतिशील किसान हैं, जिन्होंने पारंपरिक खेती से हटकर बागवानी की ओर रुख किया और इसमें बड़ी सफलता हासिल की. प्रगतिशील किसान अजय विश्नोई ने 20 साल पहले अपनी 30 एकड़ भूमि में से 25 एकड़ में किन्नू की खेती शुरू की, जो आज उनकी मुख्य फसल है. इसके अलावा, बाकी 5 एकड़ जमीन पर वे अन्य फसलें भी उगाते हैं, जिससे उनकी आय का विविधीकरण होता है.

उनकी यह यात्रा न केवल उनकी व्यक्तिगत मेहनत और समर्पण की गाथा है, बल्कि यह उन किसानों के लिए भी प्रेरणादायक कहानी है, जो अपनी खेती में नवाचार और बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने न केवल खुद को आर्थिक रूप से मजबूत किया है, बल्कि अन्य किसानों को भी अपने अनुभवों से लाभान्वित किया है. उनका यह सफर खेती की पारंपरिक सोच से लेकर आधुनिक तकनीकों के सही इस्तेमाल तक का है, जो हर किसान के लिए एक प्रेरणा स्रोत हो सकता है.

किन्नू की खेती: आर्थिक रूप से लाभकारी फसल

कृषि जागरण से बातचीत में अजय विश्नोई ने बताया कि किन्नू की खेती आर्थिक दृष्टि से फायदेमंद साबित हो रही है. उनकी 25 एकड़ भूमि में वे सालाना लगभग 200 क्विंटल प्रति एकड़ किन्नू की उपज प्राप्त करते हैं. किन्नू की खेती में प्रति एकड़ लगभग 30 हजार रुपये की लागत आती है, लेकिन सही प्रबंधन और देखभाल से यह लागत एक बड़े मुनाफे में बदल जाती है.

पोषक तत्व प्रबंधन: उपज में वृद्धि का राज

प्रगतिशील किसान अजय विश्नोई किन्नू की खेती में पोषक तत्व प्रबंधन का खास ध्यान रखते हैं. वे जाइडेक्स कंपनी की ज़ाइटोनिक, एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश), और जिंक किट का उपयोग करते हैं. इसके इस्तेमाल से पौधों का विकास बेहतर होता है और उनकी उपज में भी वृद्धि होती है. किन्नू के पौधे स्वस्थ और हरे-भरे रहते हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता में इजाफा होता है.

अजय विश्नोई का मानना है कि पोषक तत्वों का सही संतुलन बनाए रखने से न केवल फसल की उपज बेहतर होती है, बल्कि इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ती है. सही खाद और पोषण के उपयोग से किन्नू के पेड़ अधिक फल देते हैं, जिससे बाजार में उनकी मांग और गुणवत्ता बेहतर होती है.

किन्नू की खेती में लागत और आमदनी

अजय विश्नोई ने बताया कि किन्नू की खेती में बाजार के हिसाब से आमदनी का स्तर अलग-अलग हो सकता है. यह पूरी तरह से बाजार में किन्नू की मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है. कुछ सालों में किन्नू की कीमत 2000 से 2200 रुपये प्रति क्विंटल तक होती है, जबकि कुछ सालों में यह घटकर 1000 से 1200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच जाती है.

हालांकि, अजय विश्नोई की मेहनत और उन्नत खेती के तरीकों से उनकी आमदनी में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है. उनके अनुसार, किन्नू की खेती में प्रति एकड़ आमदनी 80 हजार रुपये से लेकर 1.5 लाख रुपये तक हो सकती है. इस तरह, उनकी 25 एकड़ भूमि पर किन्नू की खेती से वे सालाना लाखों रुपये की आमदनी प्राप्त कर रहे हैं.

सिंचाई और जल प्रबंधन

सिंचाई खेती का एक अहम हिस्सा है, और अजय विश्नोई इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं. वे किन्नू की सिंचाई पारंपरिक तरीकों से करते हैं, जिससे उन्हें फसल को आवश्यक मात्रा में पानी मिलता है. किन्नू की खेती में नियमित और संतुलित सिंचाई की आवश्यकता होती है, ताकि पौधों को सही मात्रा में नमी मिल सके और वे सूखने से बच सकें.

अजय विश्नोई ने बताया कि किन्नू की खेती में ज्यादा गर्मी या ज्यादा ठंड पड़ने पर फसलों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है. ऐसे हालात में पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है, ताकि वे स्वस्थ रह सकें. यदि समय पर पानी नहीं मिलता, तो पौधे सूखने लगते हैं और फसल को नुकसान हो सकता है.

मंडीकरण और व्यापार

अजय विश्नोई को अपने उत्पाद की बिक्री की चिंता नहीं करनी पड़ती. व्यापारी खुद ही उनके खेतों में आकर किन्नू की फसल खरीद लेते हैं. इससे उन्हें बाजार में जाकर फसल बेचने की आवश्यकता नहीं पड़ती और फसल का मंडीकरण आसानी से हो जाता है. व्यापारी उनके खेतों से किन्नू सीधे लेकर बाजार में बेचते हैं, जिससे समय और लागत दोनों की बचत होती है.

किसानों के लिए संदेश

अजय विश्नोई का मानना है कि किन्नू की खेती में सफलता प्राप्त करने के लिए सही देखभाल, उन्नत खेती के तरीके और पोषक तत्वों का सही प्रबंधन बेहद जरूरी है. उनका यह भी कहना है कि किन्नू की खेती के दौरान मौसम का ध्यान रखना बेहद महत्वपूर्ण होता है. ज्यादा गर्मी या ज्यादा ठंड में पौधों का खास ध्यान रखना जरूरी होता है, क्योंकि ऐसे समय में पेड़ सूख सकते हैं और फसल खराब हो सकती है.

अजय विश्नोई की सफलता का सबसे बड़ा कारण उनका खेती के प्रति समर्पण और आधुनिक खेती के तरीकों का उपयोग है. उन्होंने अपनी मेहनत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह साबित किया है कि खेती केवल एक परंपरागत व्यवसाय नहीं है, बल्कि यह एक लाभकारी और उन्नत तकनीकों से जुड़ा हुआ व्यवसाय है.

अन्य किसानों के लिए प्रेरणा

अजय विश्नोई की कहानी उन किसानों के लिए एक प्रेरणा है जो खेती में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं. वे बताते हैं कि सही जानकारी और तकनीकी ज्ञान के साथ किसान कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं. इसके अलावा, किसानों को फसल की देखभाल के साथ-साथ बाजार के रुझानों पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि वे अपने उत्पाद को सही समय पर सही दामों पर बेच सकें.

English Summary: Success Story Kinnow Farming Ajay Vishnoi became a millionaire by cultivating Kinnow Published on: 25 October 2024, 06:40 PM IST

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