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Success story: स्वरोजगार ने बदली ग्रामीण महिला की किस्मत, आज कमा रही लाखों

Success story: आज हम आपको अपने इस लेख में गांव की एक ऐसी महिला के बारे में बताएंगे, जो अपना स्वरोजगार से अपने पूरे परिवार का पालन-पोषण कर रही है. देखा जाए तो वह आज के समय में अपने व्यापार से हजारों-लाखों की कमाई कर रही है. यहां जानें इसके संघर्ष से भरी कहानी के बारे में...

लोकेश निरवाल
ग्राम धोलापलाश, तहसील मालाखेड़ा जिला अलवर की रहने वाली वंदना , फोटो साभार: वंदना
ग्राम धोलापलाश, तहसील मालाखेड़ा जिला अलवर की रहने वाली वंदना , फोटो साभार: वंदना

भारत विश्व में सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. परंतु फलों और सब्जियों का प्रसंस्करण, वैल्यू एडिशन विकसित देशों में की तुलना में बहुत कम है. प्रसंस्करण (मूल्यवर्धन सहित) में जीडीपी, ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन और उद्यमियों के लिए व्यवसाय के अवसरों में योगदान करने की जबरदस्त क्षमता है. इसी क्रम में आज हम आपको एक ऐसी किसान महिला के बारे में बताएंगे, जिसने स्वरोजगार को अपनाकर अपनी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया है.

बता दें कि जिस महिला की हम बात कर रहे हैं, उनका नाम वंदना है, जोकि ग्राम धोलापलाश, तहसील मालाखेड़ा जिला अलवर की निवासी है. वंदना एवं उनका परिवार पूर्णरूप से कृषि कार्य से जुड़ा हुआ है इनका सम्पूर्ण परिवार कृषि कार्य से प्राप्त आमदनी पर ही निर्भर था. चूंकि वंदना एक शिक्षित महिला है अतः उन्होने कृषि के अलावा कृषि से संबंधित अन्य कार्यों द्वारा परिवार की आमदनी बढ़ाने की ठानी, इस संदर्भ में उन्होने कृषि विज्ञान केन्द्र अलवर-1 के वैज्ञानिकों से सम्पर्क कर कृषि कार्य के अतिरिक्त आय अर्जन हेतु अन्य व्यवसाय करने की जानकारी हासिल की.

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के द्वारा उन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान द्वारा प्रायोजित आर्या परियोजना के बारे में बताया गया जिसका उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को कृषि की और आकर्षित करना व स्वरोजगार की और अग्रसर करना है. जिसमे आर्या योजना अंतर्गत उन्होंने फल सब्जी प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन मे गहन व्यावहारिक एवं प्रयोगात्मक प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र अलवर पर प्राप्त किया. इसके अलावा उन्होंने कृषि शोध पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से अपने ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि की.

तकनीकी हस्तक्षेप

कृषि विज्ञान केन्द्र अलवर-1 द्वारा वंदना को फल सब्जी प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन की विभिन्न वैज्ञानिक तकनीकों पर प्रशिक्षित किया. प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न तरह के अचार, मुरब्बा, चटनी आदि का सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया जिससे फल सब्जी प्रसंस्करण के सभी पहलुओं के बारे मे विस्तृत जानकारी प्राप्त की. तत्पश्चात् वंदना नें कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों के तकनीकी पर्यवेक्षक एवं मार्गदर्शन में वर्ष 2021 से फलों एवं सब्जियों को अचार एवं मुरब्बे के रूप में प्रसंस्कृत करना शुरू किया.

सफलता का विवरण

कृषि विज्ञान केन्द्र अलवर-1 द्वारा प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन की तकनीकों में ज्ञान एवं दक्षता हासिल करके वंदना वर्तमान में विभिन्न फल एवं सब्जियों जैसे आंवला, नींबू, लाल एवं हरी मिर्च, हल्दी, केरी, लहसुवा, टिट, लहसुन, कमरख आदि फल एवं सब्जियों 120 क्विंटल अचार बना रही है और बिकी कर लगभग 6.57 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा प्रतिवर्ष प्राप्त कर रही है. वंदना ने वंदना ग्रामोद्योग के नाम से संस्था पंजीयन करवाकर वदंना अचार एवं मुरब्बा के नाम से तैयार उत्पादों की बिकी कर रही है.

सफलता का असर

वंदना आज एक सशक्त महिला उद्यमी के रूप में जानी पहचानी जाती है वे अब एक महिला कृषक के साथ साथ महिला उद्यमी है एवं क्षेत्र की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत एवं परामर्शदाता है.

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क्षेत्र में योगदान

वंदना के अथक प्रयासों एवं कठिन परिश्रम के परिणामस्वरूप अपने तैयार उत्पादों की स्थानीय क्षेत्र एवं जिले के अतिरिक्त जयपुर एवं दिल्ली शहर में भी बिकी कर रही है. वंदना एक महिला उद्यमी के रूप में कार्य करने के कारण कई महिला किसानों के लिए प्रेरणा स्त्रोत एवं विकास के पथ का एक आदर्श उदाहरण है.

स्टोरी इनपुट: डॉ सुभाष चंद्र यादव, डॉ सुमन खंडेलवाल
डॉ विकास आर्य कमलेश कुमार यादव केवीके अलवर-1

English Summary: Self employment changed the fate of rural woman Vandana Scientists of Agricultural Science Center Alwar1 helped Published on: 28 May 2024, 02:18 PM IST

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