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GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी

राम किशोर यादव ने बेरोजगारी से जूझते हुए मधुमक्खी पालन की शुरुआत की और ‘शहदवाले’ ब्रांड से 2.5 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार खड़ा किया. प्रशिक्षण, कठिन परिश्रम और सही रणनीति से आज राम किशोर यादव को मधुमक्खी पालन बिजनेस में सफलता मिल चुकी है. उनका यह मॉडल युवाओं के लिए प्रेरणादायक स्वरोजगार का उदाहरण है.

विवेक कुमार राय
Ram Kishor Yadav
'शहदवाले’ ब्रांड से सफल मधुमक्खी पालक राम किशोर यादव कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, फोटो साभार: कृषि जागरण

राम किशोर यादव, राजस्थान के कोटपुतली-बहरोड़ जिले के सोरवा गांव के एक प्रगतिशील किसान हैं, जिन्होंने मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में अपने मेहनत और दूरदर्शिता से एक नई मिसाल कायम की है. उन्होंने साल 2004  में इस व्यवसाय की शुरुआत की थी, जब वे बेरोजगारी की स्थिति में थे. उन्होंने 2002 में एक मैगजीन में मधुमक्खी पालन पर लेख पढ़ा, जिसमें इस व्यवसाय का आर्थिक लाभ और प्रक्रिया विस्तार से बताया गया था. यह लेख उनके जीवन की दिशा बदलने वाला साबित हुआ.  

शुरुआत में केवल 59 बॉक्स के साथ पार्टनरशिप में शुरुआत की थी, लेकिन आज उनके पास 1250 मधुमक्खी बॉक्स हैं. वे ‘शहदवाले’ ब्रांड के नाम से विभिन्न प्रकार का शुद्ध शहद बेचते हैं. उनके व्यवसाय का वार्षिक टर्नओवर लगभग 2.5 करोड़ रुपये है, और सालाना मुनाफा 20-25 लाख रुपये तक पहुंच चुका है. राम किशोर यादव आज देशभर के मधुमक्खी पालकों के लिए प्रेरणा बन चुके हैं.

हाल ही में राम किशोर यादवग्लोबल फार्मर बिजनेस नेटवर्क (GFBN) से जुड़े हैं, जो कि कृषि जागरण की एक राष्ट्रीय पहल है. इसका उद्देश्य भारत में टिकाऊ और सफल कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देना है.

संघर्ष से शुरुआत तक का सफर

राम किशोर यादव का जीवन शुरू में काफी कठिनाइयों से भरा हुआ था. वह लंबे समय तक बेरोजगार रहे और कई जगहों पर छोटी-मोटी नौकरियां कीं. उनके पिता एक अध्यापक थे और चाहते थे कि बेटा कोई स्थिर और सम्मानजनक नौकरी करे. लेकिन राम किशोर के मन में कुछ अलग करने की चाह थी.

साल 2002 में एक उद्यमिता पत्रिका में मधुमक्खी पालन पर लेख पढ़ने के बाद उनकी सोच ने नई दिशा ली. लेख में मधुमक्खी पालन के फायदों, लागत और आय के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई थी. इससे प्रभावित होकर उन्होंने इस व्यवसाय में कदम रखने का मन बना लिया.

प्रशिक्षण और प्रारंभिक अड़चनें

राम किशोर यादव ने मधुमक्खी पालन का तकनीकी प्रशिक्षण भी लिया, लेकिन पारिवारिक दबाव के कारण वे दो वर्षों तक यह व्यवसाय शुरू नहीं कर पाए. उनके पिता को यह व्यवसाय स्थायी नहीं लगता था. बाद में जब राम किशोर ने अपने इरादे और योजना को विस्तार से समझाया, तब जाकर पिता जी ने समर्थन दिया.

इसके बाद उन्होंने एक साझेदार के साथ मिलकर केवल 59 बॉक्स से मधुमक्खी पालन की शुरुआत की. यह एक चुनौतीपूर्ण समय था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

विस्तार और आत्मनिर्भरता

समय के साथ, राम किशोर यादव ने अपने अनुभव से सीखते हुए व्यवसाय को धीरे-धीरे बढ़ाया. कुछ वर्षों बाद वह अकेले ही इस व्यवसाय को संचालित करने लगे. आज उनके पास 1250 मधुमक्खी बॉक्स हैं, जिनसे वे हर साल बड़ी मात्रा में शहद का उत्पादन करते हैं.

वे ज्यादातर "एपिस मेलिफेरा" प्रजाति की मधुमक्खियों का पालन करते हैं, जो शांत स्वभाव की होती हैं और अच्छी मात्रा में शहद देती हैं. उन्होंने अपने शहद को ‘शहदवाले’ ब्रांड के नाम से बाज़ार में बेचना शुरू किया, जो अब एक लोकप्रिय नाम बन चुका है.

कृषि के साथ मधुमक्खी पालन का समन्वय

राम किशोर यादव के पास अपनी खुद की 21 बीघा ज़मीन है, जिसमें वे आंवला के 150 पेड़ों की बागवानी के साथ-साथ रबी और खरीफ की फसलों जैसे गेहूं, बाजरा, तिल खेती भी करते हैं. इससे न केवल मधुमक्खियों को प्राकृतिक पराग मिलता है, बल्कि यह खेती से अतिरिक्त आय का भी स्रोत बनता है.

वे अलग-अलग राज्यों जैसे जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, गुजरात राजस्थान में जाकर भी मधुमक्खी पालन करते हैं. उनका मानना है कि “जहां फूल होते हैं, वहीं मधुमक्खी पालक होता है.” इस प्रकार, वे मौसमी परिस्थितियों और फूलों की उपलब्धता के आधार पर अपने बॉक्स स्थानांतरित करते हैं.

शहद उत्पादन और विविधता

राम किशोर यादव हर साल एक मधुमक्खी बॉक्स से लगभग 30-40 किलो शहद निकालते हैं. वे 10-12 प्रकार के शहद का उत्पादन करते हैं, जिनमें सरसों शहद, जामुन शहद, लीची शहद, बेर शहद, तुलसी शहद और मल्टीफ्लोरा शहद शामिल हैं. इनमें से मल्टीफ्लोरा शहद की बाजार में सबसे अधिक मांग है.

मधुमक्खी पालन में सावधानियां और प्रबंधन

राम किशोर यादव का कहना है कि मधुमक्खी पालन में सफलता के लिए सही प्रबंधन और सावधानी बहुत जरूरी है. उन्होंने मधुमक्खी पालकों को कुछ जरूरी सुझाव दिए हैं:

  • बजट बनाकर चलें – आमदनी का पूरा पैसा खर्च न करें, कुछ हिस्सा बचाकर रखें ताकि ऑफ सीजन में खर्च किया जा सके.

  • वर्षा ऋतु में मधुमक्खी बॉक्स ऊंची जगह पर रखें.

  • बॉक्स गर्मी में छाया में और सर्दी में धूप में रखें.

  • बीमारी या कीट लगने की स्थिति में तुरंत रोकथाम करें.

ब्रांडिंग और मार्केटिंग की रणनीति

शहदवाले ब्रांड को उन्होंने एक पहचान दी है. उन्होंने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से अपने शहद की बिक्री शुरू की है. उनकी पैकेजिंग से लेकर क्वालिटी तक हर चीज़ पर ध्यान दिया जाता है. इससे ग्राहकों के बीच उनके ब्रांड पर भरोसा बना है.

वे मेलों, कृषि प्रदर्शनियों और स्थानीय बाजारों में भी सक्रिय रूप से भाग लेते हैं जिससे उन्हें नए ग्राहक और व्यापारी मिलते हैं.

आर्थिक सफलता और सामाजिक योगदान

राम किशोर यादव आज सालाना लगभग 20-25 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमाते हैं और उनका टर्नओवर लगभग 2.5 करोड़ रुपये है. इसके अलावा उन्होंने गांव के कई लोगों को रोजगार भी दिया है. उनके साथ कई मजदूर और कर्मचारी नियमित रूप से काम करते हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन भी हुआ है.

प्रेरणा और सलाह

राम किशोर यादव मानते हैं कि यदि कोई व्यक्ति मेहनत और लगन से काम करे तो कोई भी व्यवसाय छोटा नहीं होता. वे युवाओं को यह संदेश देते हैं कि वे स्वरोजगार की ओर ध्यान दें और खेती-बाड़ी से जुड़े नए क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाएं.

उनका मानना है कि मधुमक्खी पालन व्यवसाय कम लागत में शुरू किया जा सकता है और यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी है.

अगर आप राम किशोर यादव से शहद की खरीद करना चाहते हैं तो लिंक - https://www.shahadwale.in/ पर संपर्क कर सकते हैं या नंबर 77426 36465 पर कॉल कर सकते हैं.

NOTE: अगर आप भी कृषि जागरण की पहल ग्लोबल फार्मर बिजनेस नेटवर्क का हिस्सा बनाना चाहते हैं तो लिंक- https://millionairefarmer.in/gfbn/ पर क्लिक करें.

English Summary: Rajasthan successful beekeeper Ram Kishore Yadav annual turnover of Rs 2.5 crore with the brand 'Shahadawale' GFBN Published on: 23 May 2025, 11:57 AM IST

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