कृषि विभाग से रिटायर्ड नाथूराम ढांडी ने खेती में कुछ नवाचार करने का मन बनाया. उनकी पत्नी ऊषारानी भी खेतीबाड़ी की शौकीन थीं. दोनों अपने घर के लिए बगीचे में सब्जी उगाते रहे. फिर यह शौक व्यवसाय की ओर मुड़ गया.
उन्होंने खेती किसानी करने की ठानी. वे ग्रीनहाउस और पॉली हाउस में फसलों का उत्पादन सीखने के लिए दूसरे शहरों में गए. कृषि विभाग से अनुदान पर पॉली हाउस बनाया. उन्होंने पहली बार इसी जनवरी में खीरे की 5 वैरायटी उगाई, 45 दिन बाद फल आया.
अब तक आधा माल आगरा में बिकने के लिए पहुंच गया है. ऊषारानी ने बताया कि 4 माह तक खीरे का उत्पादन होगा. करीब 20 टन खीरे के उत्पादन से 4 माह में करीब 3 लाख रुपए का मुनाफा हो जाएगा.
उन्होंने बताया कि परंपरागत खेती के मुकाबले पॉलीहाउस व ग्रीनहाउस में उत्पादन ज्यादा और अच्छी क्वालिटी का होता है. इसलिए थोक मार्केट में हमारा खीरा 22-22 रुपए किलो तक बिक रहा है जबकि दूसरों का खीरा 10-12 रुपए किलो बिकता है. आगरा में ज्यादा डिमांड होने से सबसे पहले वहां माल भेजा है.
अब दूसरी फसल लेंगे पीली और लाल शिमला मिर्च की : ऊषारानी ने बताया कि खीरे की 5 वैरायटियों में रिक्का, टर्मिनेटर, वाई225, पेप्सिनो, डिफेंडर की खेती की है. मई तक खीरे होंगे. इसके बाद इस बार पीली और लाल शिमला मिर्च सहित अन्य सब्जियां भी उगाएंगे. वे ऑफसीजन की सब्जियां उगाने वाली धौलपुर जिले में पहली महिला किसान होंगी.
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