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किसान ने धान की रोपाई के लिए अपनाई यह तकनीक, अब दोगुना हुआ उत्पादन

किसान धरमिंदर सिंह ने खेती की नई तकनीकों के जरिए दूरगामी सोच की अच्छी मिसाल कायम की है. इस नई यांत्रिक रोपाई तकनीक के माध्यम से उन्होंने अपनी पैदावार हो दोगुना कर लिया है.

रवींद्र यादव
Paddy Farming
Paddy Farming

Success Story: पंजाब के संगरूर जिले के किसान धरमिंदर सिंह अपनी 52 एकड़ जमीन में गेहूं और धान की पारंपरिक खेती करते थे, वह पारंपरिक तरीके से प्रवासी श्रमिकों के मदद से कद्दू और पूसा 44 चावल के किस्म के धान की खेती करते थे. उन्होंने साल 2019 में एक रोपाई करने की मशीनरी किराए पर ली और इससे उनकी खेती का उत्पादन दोगुना हो गया.

कोरोना काल में बदली खेती की तकनीक


कोरोना काल के दौरान पूरे पंजाब में धान की कटाई के लिए प्रवासी मजदूरों की भारी कमी थी. इस बीच, धरमिंदर सिंह ने पिछले साल के अनुभव का लाभ उठाया और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अनुशंसित यांत्रिक रोपाई तकनीक का सहारा लिया और धान की रोपाई के लिए वॉक-बैक ट्रांसप्लांटर खरीदा. धरमिंदर सिंह कुो कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों का पूरा सहयोग मिला. उन्होंने बताया कि इस तरह से बोई गई धान की फसल सामान्य तरीके से बोई गई फसल की तुलना में काफी आसान होती है. इस मशीन की मदद से  बिजाई करने में कोई दिक्कत भी नहीं आती है.

केवीके वैज्ञानिकों से ली सलाह

धरमिंदर सिंह ने 2022 में केवीके वैज्ञानिकों की सलाह के बाद, एक एकड़ के खेत में धान की कम समय में पकने वाली किस्म पीआर 126 की रोपाई की, जिसकी पैदावार पूसा 44 किस्म से लगभग डेढ़ क्विंटल प्रति एकड़ अधिक थी और इस किस्म में पानी की भी बचत होती थी. इसी की तर्ज पर उन्होंने वर्ष 2023 में, कम अवधि की किस्मों पीआर 126, पूसा बासमती 1509 और पूसा बासमती 1886 की बिजाई की. उन्होंने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि ट्रांसप्लांटर से धान की रोपाई करने पर प्रति वर्ग मीटर लगभग 30-32 पौधे आसानी से लग जाते हैं. यह प्रति मीटर लगाए गए श्रम की तुलना में 16 से 20 पौधे अधिक हैं. इस मशीन की मदद से लगाए गए धान की कतारें सीधी होती हैं और खेतों में खाद के छिड़काव करने में भी कोई परेशानी नहीं होती है. इसके अलावा, खेत अच्छी तरह से हवादार होते हैं, जिससे फसलों में बीमारियों का खतरा कम हो जाता है.

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दोगुनी हुई पैदावार

उन्होंने आगे बताया कि ट्रांसप्लांटर तकनीक से लगाए गए धान की पैदावार कद्दू विधि से लगाए गए धान की तुलना में प्रति एकड़ डेढ़ से दो क्विंटल अधिक होती है. पीआर 126 किस्म की अवधि कम होने के कारण गेहूं की कटाई और धान की रोपाई के बीच पर्याप्त समय मिल जाता है. इस तरह, धरमिंदर सिंह धान की दीर्घकालिक किस्मों की खेती को छोड़कर नई कृषि तकनीक अपनाकर क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए एक उदाहरण स्थापित कर दिया है.

English Summary: Mechanical transplanting technique adopted for paddy transplanting Published on: 21 August 2023, 05:30 PM IST

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