अमृतसर जिले के धर्देओ गाँव के किसान मनदीप सिंह रंधावा ने किसानों के लिए एक मिसाल पेश की है. बता दें कि उन्होंने अपने गांव में हर मौसम में आपूर्ति के लिए वातानुकूलित मशरूम फार्म स्थापित कर एक मिसाल कायम की है. जिससे वह आज लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. आइये जानते हैं उनकी सफलता की कहानी-
वातानुकूलित मशरूम फार्म कैसे शुरू किया (How to Start An Air Conditioned Mushroom Farm)
मंदीप सिंह का कहना है मेरी माँ ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय से प्रशिक्षण लिया और घर पर एक छोटा सी जगह में मशरूम की खेती की शुरुवात की. उनका यह पहला प्रशिक्षण विद्यालय था, जहाँ से उन्होंने इसकी शुरुवात की. इसके बाद उन्होंने मशरूम अनुसंधान निदेशालय सोलन (एचपी) से मशरूम की खेती की प्रोफेशनल ट्रेनिंग ली. फिर, उसके बाद उन्होंने मशरूम उगाने की उच्च तकनीक वाली तकनीकों को अपनाया और इस प्रकार उन्होंने एक प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की और अपना मशरूम बिक्री काउंटर स्थापित किया.
प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मंदीप सिंह रंधावा ने राज्य सरकार से सब्सिडी लेकर अपना खुद का खाद बटाला-जालंधर हाईवे पर बुट्टर सेवइयां के पास वातानुकूलित मशरूम फार्म स्थापित किया. बता दें कि मनदीप सिंह को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा अपने खेतों में अधिकतम प्रकार के मशरूम उगाने के लिए सम्मानित किया गया था.
वातानुकूलित मशरूम फार्म की खासियत (Characteristics of The Conditioned Mushroom Farm)
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मशरूम एक खराब होने वाली वस्तु है और हम इन्हें लंबे समय तक स्टोर नहीं कर सकते हैं. इसलिए कोल्ड स्टोरेज में रखना अच्छा होगा
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हर मौसम में ताज़ा मशरूम उपलब्ध होगी.
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वातानुकूलित फार्म की मशरूम की एमएनसी कंपनियां और पांच सितारा होटलों से डिमांड.
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अंतरराष्ट्रीय बाजार में मशरूम की मांग बढ़ रही है.
दोगुने भाव में बिकेगी मशरूम (Mushrooms Will Be Sold At Double The Price)
किसान मनदीप सिंह ने कहा कि वातानुकूलित फार्म में मशरूम के उत्पादन पर 55 रुपए प्रति किलोग्राम का खर्च आता है. बाज़ार में मंडी में किसान को इस मशरूम का 110 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से रेट मिलता है. किसान को इस तरह से दोगुना रेट मिलता है. इससे किसान की आमदनी बढ़ती है. डेढ़ एकड़ में बने इस फार्म में 150 टन मशरूम का उत्पादन होता है. सर्दी के इसी मशरूम का भाव केवल 60 रुपए प्रति किलोग्राम मिलता है.
ऐसे ही सफल किसान की कहानी जानने के लिए जुड़े रहिए कृषि जागरण हिंदी पोर्टल से.
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