Success Story: देश के बड़े स्तर पर गन्ने की खेती की जाती है. लेकिन, गन्ना किसानों को हमेशा ये शिकायत रहती है वे इससे अधिक मुनाफा नहीं कमा पाते है. लेकिन, कई किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने गन्ने की अहमियत समझी और आज वे उससे मोटा मुनाफा काम रहे हैं. सफल किसान की इस खबर में हम ऐसे ही एक किसान की बात करेंगे. जो गन्ने की खेती से सालाना 40 लाख रुपये तक कमा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं, मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के करताज गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान राकेश दुबे की. यह लगभग 50 एकड़ भूमि में पिछले कई सालों से खेती कर रहे हैं. किसान राकेश दुबे ने बताया कि उनके सभी फॉर्म सर्टिफाइड हैं. उन्होंने 90 के दशक में बीएससी करने के बाद खेती की शुरुआत की थी. तब से आज तक ये सिलसिला ऐसे ही जारी है.
नौकरी की जगह खेती को चुना
किसान राकेश दुबे ने बताया कि उन्होंने जानवरों के चारे वाले जमीन से खेती को करना शुरू किया. इसमें सफलता मिलने के बाद उनके मन में खेती के प्रति और भी रूझान बढ़. उस समय उन्हें लगा की खेती भी जीवन जीने का अच्छा साधन हो सकता है. इसी के चलते शहर की नौकरी व बिजनेस से उनका दिमाग हट गया. मालूम हो कि मौजूदा वक्त में राकेश दुबे एक प्रगतिशील किसान की श्रेणी में पहुंच गए हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें आज बहुत ही गर्व है कि वह एक किसान हैं.
बनाते हैं गुड़ के कई प्रॉडक्ट्स
उन्होंने बताया कि वह मख्य रूप से अपने खेत में गन्ने की खेती करते हैं. राकेश दुबे के अनुसार, वह एक सीजन में करीब 25-30 एकड़ में गन्ने की खेती करते हैं. उन्होंने बताया कि उनके पास कुशल मंगल नाम का एक ब्रांड भी है. जिसमें गुड़ के कई तरह के प्रॉडक्ट बनाए जाते हैं. किसान राकेश दुबे के अनुसार, जब वह गन्ने से गुड़ बना रहे थे, तो उनके क्षेत्र में इसके लिए किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं थी. जिसे भी अपने खेत में उस समय गन्ना उगाना होता था, तो उसे अपनी गन्ना पेराई की मशीन खुद लगानी होती थी. खुद ही गुड़ बनाना होता था. तभी किसान गन्ने की खेती कर सकते थे.
सालाना 40 लाख तक का मुनाफा
उन्होंने आगे बताया कि हमने गुड़ को एक नए तरीके से बनाने शुरू किया. पहले हमने 50 ग्राम, 100 ग्राम और अब हम गुड को एक छोटी टॉफी के आकार में बनाकर बाजार में बेच रहे हैं. इसके अलावा हमने कई तरह के मसाले वाले गुड़, औषधीय वाले गुड़ को तैयार करके बेचा है. उन्होंने बताया कि जब हमारे गुड़ की बाजार में एक पहचान बनने लगी, तो लोग इसकी कॉपी करके अपने नाम से बेचने लगें. इसी के चलते हमने अपने गुड़ की मार्केट में एक अलग पहचान बनाने के लिए एक नाम दिया. इसके बाद से ही हमने ब्रांडिंग, ट्रेडमार्क और लेवल आदि कार्यों को करना शुरू कर दिया. अगर लागत और मुनाफे की बात करें, तो किसान राकेश दुबे ने बताया कि उनकी सालाना लागत लगभग 15 से 20 लाख रुपये तक होती है. वहीं, सालाना मुनाफा लागत से दोगुना हो जाता है.
नई वैरायटी के बीजों के पीछे न भागें किसान
किसान राकेश दुबे ने कृषि जागरण के माध्यम से किसानों को कहा कि देश के किसान अब प्राकृतिक खेती की तरफ अधिक ध्यान दें. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि किसान नए वैरायटी के बीजों के पीछे भागने से बचें. क्योंकि हमारे पुराने बीज हमें काफी अच्छी उपज दे सकते हैं. इतना ही नहीं पुराने बीज लागत को भी कम करते हैं और मुनाफे को बढ़ा देते हैं. इसके अलावा, यह खेत व फसल में लगने वाले रोग से भी लड़ते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय में किसानों को फर्टिलाइजर से ज्यादा बीजों पर खर्च करना पड़ता है. इसलिए देश के किसान पुरातन बीजों की तरफ जाएं.
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