19 दिसंबर, 2020 को कृषि जागरण के Farmer The Brand अभियान के तहत फेसबुक लाइव से सफल किसान कुंदन सिंह पंवार जुड़े. जो कि उतराखंड रहने वाले हैं. कुंदन सिंह विगत 20 वर्षों से कीवी की बागवानी कर रहे हैं. कुंदन सिंह ने कहा, “उतराखंड बनाने से पहले 1997-1998 में मुझे कीवी की बगावनी के बारे में जानकारी मिली. मैंने उसी समय से छोटे स्तर पर कीवी की बागवानी शुरू कर दी. उस समय मुझे कीवी की बागवानी के बारे में विशेष जानकारी नहीं थी, लेकिन आगे चलकर राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड और उतराखंड उद्यान विभाग की मदद से कीवी की व्यापक स्तर पर बागवानी करने में मदद मिली.”
कुंदन सिंह पंवार के मुताबिक, कीवी की बागों में पानी की ज्यादा जरूरत पड़ती है. इसलिए कीवी की बागों में मई-जून और सितम्बर अक्टूबर माह में सिंचाई का पूरा प्रबन्ध होना चाहिए. अगर इस समय सिंचाई न हो तो पौधों की वृद्धि तथा उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है.
कीवी की ज्यादा उपज देने वाली किस्में
किवी फल में नर व मादा दो प्रकार की किस्में होती है. एलीसन, मुतवा एवं तमूरी नर किस्में है. एवोट, एलीसन, ब्रूनों, हैवर्ड एवं मोन्टी मुख्य मादा किस्में है. इनमें हैवर्ड न्यूजीलैण्ड की सबसे अधिक उन्नत किस्में है. एलीसन व मोन्टी जिसकी मिठास सबसे अधिक है उपयुक्त पाई गई है.
कीवी की बागवानी किसानों के लिए फायदेमंद
आमतौर पर 10 से 12 साल के बाद एक पेड़ से 1 कुंतल तक कीवी की पैदावार होती है. अगर साइज के हिसाब से छोटे कीवी को अलग कर दिया जाए तो भी 60 किलो कीवी मिल जाता है. कीवी की बाजार में कीमत तकरीबन 160 रुपए होती है. ऐसे में औसतन एक पेड़ से 9 हजार से ज्यादा रुपए मिल जाता है. बता दें कि 1 हेक्टेयर में तकरीबन 125 पौध लगते हैं.
गौरतलब है कि कृषि जागरण ने #farmerthebrand अभियान की पहल की है, जिसके तहत देशभर के उन सभी लोगों को #ftb मंच पर अपनी सफलता कि कहानी बताने का मौका दिया जा रहा है जो लोग कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनकर खुद का ब्रांड स्थापित कर चुके हैं. ऐसे में आइये जानते हैं सफल किसान कुंदन सिंह पंवार की सफलता की कहानी उन्हें के जुबानी https://www.facebook.com/krishijagrannews/
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