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35 बीघा खेत में तरबूज उगा कमा रहे लाखों रूपयें

परंपरागत खेती में घटते मुनाफे ने किसानों का रूख कृषि विविधीकरण की ओर कर दिया है. दरअसल हाईटेक तकनीक से की गई तरबूज की खेती ने जनपद सहारनपुर के एक इंजीनियर को काफी मालामाल कर दिया है. दरअसल 35 बीघा में की गई तरबूज की खेती से पांच महीने में उन्हें उन्हें 12 से 14 लाख रूपये की आमदनी की उम्मीद है. यही नहीं वह एक अच्छे सफल किसान है जो कि अमरूद, केला, नींबू आदि की भी आमदनी कर रहे है. उनकी इस तरह की हाइटेक खेती को देखकर अन्य किसान भी उनसे प्रेरणा ले रहे है. दरअसल विकास मुजफ्फराबाद के गांव के किसान परिवार में जन्में सुशील सैनी बीटेक करके दिल्ली की एक कंपनी में नौकरी कर रहे है. उन्होंने महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में किसानों कौ हाइटेक तकनीक की खेती करते हुए देखा है जिसे देखकर उनका रूझान भी किसानी - खेती की ओर हो गया है. इससे पहले उन्होंने खेत में ड्रिप एरिगेशन की व्यवस्था करके तरबूज की खेती को शुरू किया था.

किशन

परंपरागत खेती में घटते मुनाफे ने किसानों का रूख कृषि विविधीकरण की ओर कर दिया है. दरअसल हाईटेक तकनीक से की गई तरबूज की खेती ने जनपद सहारनपुर के एक इंजीनियर को काफी मालामाल कर दिया है. दरअसल 35 बीघा में की गई तरबूज की खेती से पांच महीने में उन्हें उन्हें 12 से 14 लाख रूपये की आमदनी की उम्मीद है. यही नहीं वह एक अच्छे सफल किसान है जो कि अमरूद, केला, नींबू आदि की भी आमदनी कर रहे है. उनकी इस तरह की हाइटेक खेती को देखकर अन्य किसान भी उनसे प्रेरणा ले रहे है. दरअसल विकास मुजफ्फराबाद के गांव के किसान परिवार में जन्में सुशील सैनी बीटेक करके दिल्ली की एक कंपनी में नौकरी कर रहे है. उन्होंने महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में किसानों कौ हाइटेक तकनीक की खेती करते हुए देखा है जिसे देखकर उनका रूझान भी किसानी - खेती की ओर हो गया है. इससे पहले उन्होंने खेत में ड्रिप एरिगेशन की व्यवस्था करके तरबूज की खेती को शुरू किया था.

तरबूज की अच्छी फसल की उम्मीद

सबसे पहले उन्होंने खेत में मल्चिंग की और लो टनल को बनाने का कार्य शुरू किया. ऐसा उन्होंने इसीलिए किया क्योंकि पौधे सर्दी और बारिश से बच सकें. उन्हें अप्रैल में ही अपनी फसल से उत्पादन मिलना शुरू हो गया था. वह अपने 35 बीघा खेत से अब तक 12 से 13 लाख रूपये के तरबूज बेच चुके है. जबकि इसकी लागत तीन से साढ़े तीन लाख रूपये तक आई है. चूंकि बाजार में तरबूज जल्दी आया इसीलिए उनको इसका 10 से 11 रूपये प्रति किलो का रेट मिला है. उन्हे जून महीने के अंत तक तरबूज का बेहतर उत्पादन मिलने की उम्मीद है. उनका कहना है कि परंपरागत खेती के चलते लाभ बेहद ज्यादा कम हो चुका है. इसीलिए किसानों को ज्यादा से ज्यादा हाईटेक खेती कर लेनी चाहिए. यह किसानों के लिए काफी लाभकारी भी साबित होगी.

हाइटेक संस्थान ने तैयार करवाई पौध

किसान सुशील सैनी ने तरबूज की नर्सरी हरियाणा के करनाल स्थिक भारत सरकार और इजरायल के संय्क्त संचालन केंद्र में इस खेती को तैयार करवाया है. वहां पर सबसे खास बात है कि यह उपज मिट्टी में नहीं बल्कि नारियल के बुरादे में तैयार होती है. उन्होंने जानकारी दी कि वहां पर क रूपये प्रति पौधे की दर से खेती तैयार होती है. जबकि तरबूज का एक हाइब्रिड बीज 2.40 रूपये का ही है.

हाईटक बागवानी भी कर रहे

इंजीनियन सैनी का कहना है कि वह बागवानी भी कर रहे है. वह अमरूद, केला, नींबू की फसल को नई तकनीक से तैयार कर रहे है. उन्होंने बाग में सिंचाई के लिए ड्रिप एरिगेशन जैसी व्यवस्था भी है ताकि बाग में एक सुव्यवस्थित बागवानी हो सकें. इसके अलावा उन्होंने यहां पर तरबूजा और खरबूजा भी लगा रखा है. इससे उनको काफी बेहतर मुनाफा प्राप्त हो रहा है.

English Summary: Know how farmers are cultivating melon by cultivating watermelon Published on: 10 June 2019, 12:53 PM IST

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