1. Home
  2. सफल किसान

इजरायल की तकनीक अपनाकर देवरिया का किसान कर रहा मछलीपालन

आज हम आपको बताने जा रहे है एक ऐसे किसान के बारे में जो कि मछलीपालन के सहारे कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने का भरपूर प्रयास कर रहे है. दरअसल उत्तर प्रदेश के देवरिया के अबबूकर मोहल्ले के रहने वाले राशिद खान ने इजरायल तकनीक को अपनाकर मछलीपालन करने का कार्य शुरू किया है. उन्होंने घर के सामने खाली पड़ी हुई जमीन में कुल 11 हजार मछलियों को पालने का कार्य किया है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि ऐसा करके वह काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते है.

किशन

आज हम आपको बताने जा रहे है एक ऐसे किसान के बारे में जो कि मछलीपालन के सहारे कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने का भरपूर प्रयास कर रहे है. दरअसल उत्तर प्रदेश के देवरिया के अबबूकर मोहल्ले के रहने वाले राशिद खान ने इजरायल तकनीक को अपनाकर मछलीपालन करने का कार्य शुरू किया है. उन्होंने घर के सामने खाली पड़ी हुई जमीन में कुल 11 हजार मछलियों को पालने का कार्य किया है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि ऐसा करके वह काफी अच्छा मुनाफा कमा सकते है. राशिद खान मूल रूप से एक इंटर कॉलेज के प्रबंधक है एक बार वह कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही के साथ छह माह पूर्व वह आचार्य नरेंद्र देवकृषि विश्वविद्यालय फैजाबाद में लगी एक प्रदर्शनी में गए थे. वहां से प्रेरणा लेकर उन्होंने नई तकनीक से मत्स्य पालन करने का निर्णय लिया और तभी से यह कार्य शुरू कर दिया. उन्होंने मछलीपालन के लिए यू-टयूब से भी जानकारी ली है. इसके लिए राशिद खान ने अपने घर की जमीन में चार डाया मीटर की दो टंकी बनवाई है और 11 हजार मछलियों को इसमें डाला है. इन टंकी की गहराई 1.20 मीटर है. दो महीनों में यह मछलियां बड़ी हो जाएगी.

बांग्लादेश से मंगवाया मछली का बच्चा

राशिद खान कहते है कि बैंकर और सिन्ही प्रजाति के बच्चों को बांग्लादेश से मंगवाया गया है. सिन्ही मछली के बच्चे के लिए चार रूपए प्रति और बैंकर के लिए 2.25 रूपये प्रति बच्चा लगा है. सिन्ही मछली 400 रूपये और बैंकर 150 रूपए प्रति किलोग्राम के भाव से बाजार में बिक जाएगी.

ऐसे बनाया पूरा सिस्टम

राशिद खान कहते है कि दोनों टंकी को बनवाने में करीब 50 हजार रूपये का खर्च आया है. लोहे की जाली से गोलाकार टंकी बनाई गई है. अंदर मजबूत तिरपाल लगाया गया है. दोनों ही टंकियों को जालीदार छत से घेर लिया गया है. उसके नीचे पॉलीथीन लगाई गई है. जिससे तेज धूप का कोई भी असर न हो. इन मछलियों के लिए 28 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान उत्तम रहता है. पानी में अधिक मात्रा में ऑक्सीजन देने के लिए मशीने भी लगाई गई है. बिजली न होने पर यह इन्वर्टर से चलता है. पानी को निकालने के लिए अलग से पाइप लगी है.

देखभाल में नहीं है मेहनत

इजरायली तकनीक से मछली पालन की शुरूआत करने वाले राशिद खान जिले के पहले ऐसे शख्स है, वह बताते है कि गोरखपुर में दो लोगों ने यह काम को शुरू किया है. इंडोनेशिया में यह काम घर पर ही होता है. वह बताते है कि इसमें कोई मेहनत नहीं है. सुबह और शाम मछलियों को दाना डालने का काम किया जाता है. यहां के मछलीपालन से हटकर इसमें बैक्टीरिया भी डालनी पड़ती है. यह मछली पूरी तरह से आर्गेनिक है.

English Summary: Israel technology earns huge profits from its fisheries Published on: 06 July 2019, 01:50 PM IST

Like this article?

Hey! I am किशन. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News