Multilayer Farming: भारत एक कृषि प्रधान देश है. ऐसा हम सदियों से कहते-सुनते आ रहे हैं. इसकी वजह यह है कि देश की एक बहुत बड़ी आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी आजीविका के लिए कृषि पर आश्रित है. मगर, सदियों से कृषि की चुनौतियां किसानों को कृषि छोड़ने और आत्महत्या करने पर विवश करती रही हैं. आज के दौर में खेती-किसानी करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं. फसलों के लिए रासायनिक दवाएं भी उपलब्ध हैं. हालांकि, कृषि योग्य भूमि सीमित होती जा रही है. मिट्टी की उर्वरा शक्ति यानी उपजाऊ क्षमता घट रही है. पर्यावरण में जो परिवर्तन हो रहे हैं उससे भी कृषि को क्षति पहुंच रही है. हालत यह है कि छोटे किसान कृषि छोड़ रहे हैं या कृषि करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. वही युवाओं का रूझान भी कृषि की ओर नहीं है.
इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए कृषि के विकास के लिए मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहने वाले प्रगतिशील किसान आकाश चौरसिया ने ‘मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक’ का अविष्कार किया. यह फार्मिंग तकनीक कृषि क्षेत्र में एक मिशाल बनकर उभर रही है, जिससे भारतीय कृषि और किसानों को समृद्धि और आत्मनिर्भरता का एक नया रास्ता मिला है.
'मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक' का अविष्कार
मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहने वाले आकाश चौरसिया पान की खेती करने वाले परिवार से आते हैं. आकाश का सपना शुरू से एक डॉक्टर बनना था, लेकिन 21वीं सदी की भयाभय स्थिति के कारण उन्होंने एक किसान बनना स्वीकार किया. वर्ष 2009 से उन्होंने खेती के क्षेत्र में कार्य करना आरंभ किया और खेती के जरिए रसायन मुक्त भोजन उपलब्ध कराकर उन्होंने समाज सेवा को प्राथमिकता दी. वर्ष 2014 में आकाश चौरसिया ने 'मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक' का अविष्कार किया. यह किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का एक रास्ता है. इसके साथ-साथ आकाश ने कृषि के क्षेत्र में 6 नवीन तकनीकें विकसित की. यह तकनीकें क्रमश: बहुपरत कृषि, जल पुनर्भरण और मृदा संरक्षण की विधियां, प्राकृतिक तरीके से रसायन खाद की विधियां, चयन विधि द्वारा स्वदेशी बीजों का संरक्षण हैं.
मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक का आईडिया
आकाश ने बताया, "जब हमने शहरों में जाकर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग को देखा. तब सोचा कि, जब लोग शहरों में एक मकान के ऊपर कई मकान बना रहे हैं. इस स्थिति में भी आसानी से निवास कर रहे हैं. तब क्या हम एक फसल के साथ कई फसल नहीं उगा सकते. इस विचार के साथ हमने जमीन पर कई फसलें उगाने के प्रयोग किए. इन प्रयोगों में हमें 4-5 साल लगे. तब जाकर फाइनली हमने 2014 में एक ऐसा मॉडल बनाया जिसको हमने ‘मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक’ का नाम दिया.
आज हम एक ही खेत में 40-45 तरह की फसलें उगा रहे हैं. इन फसलों में धनिया, पालक, मेथी, चुकंदर, प्याज, लहसुन, पपीता, गाजर, मूली, सहजन जैसी कई फसलें हैं. मल्टी लेयर कृषि से पानी और खरपतवार सहित अन्य संसाधनों की बचत भी हो रही है. मल्टी लेयर कृषि से हम लगभग 70-80 प्रतिशत पानी बचा सकते हैं."
मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक की ट्रेनिंग
मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक सिखाने के संबंध में आकाश ने बताया, "हमारे यहां देश-विदेश से जो मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक सीखने आ रहे हैं, उन्हें हम बेहतर ढंग से सिखा रहे हैं. खासकर दूर-दराज के किसान जो कई समस्याओं से घिरे हैं. मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक का फायदा हमारे किसानों को आत्महत्या नहीं करने देगा. अब सरकार भी प्राकृतिक खेती के मुद्दे को लेकर पहल कर रही है ताकि कृषि से और लाभ कमाया जा सके"
मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक की फ्री ट्रेनिंग
मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक ज्यादा से ज्यादा किसानों तक पहुंचाने के लिए आकाश देश-दुनिया में नि:शुल्क कृषि प्रशिक्षण शिविर चलाते हैं. इन शिविर में देश-दुनिया से लोग मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक सीखने आते हैं. उन्होंने बताया, “मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक के विकास हेतु हमारी टीम एक टीम की तरह काम कर रही है, जिससे मल्टीलेयर कृषि की प्रभावोत्पादकता देश-दुनिया में पांव पसार रही है. हमें यकीन है कि, मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक के जरिये देश-दुनिया के किसान तरक्की करेंगे और लोगों के लिए शुद्ध खाद्यान्न की उचित व्यवस्था करेंगे."
गोबर खाद को दे रहे हैं बढ़ावा
मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए आकाश गोबर के खाद को बढ़ावा दे रहे हैं. उनके मुताबिक, खेतों के अंदर गाय के गोबर कम्पोस्ट 10 टन प्रति एकड़ डालने से मिट्टी में कार्बन बढ़ता है जिससे उपज क्षमता बढ़ती है. जहां गोबर खाद नहीं है, वहां उड़द और मूंग जैसी फसलों को लगाएं, जिससे खाद की ज्यादा आवश्यकता नहीं होगी."
सालाना 40 से 50 लाख रुपये का टर्नओवर
आकाश ने अपनी कृषि भूमि और कृषि से लाभ का जिक्र करते हुए बताया, "अभी हमारे पास सागर में तीन कृषि फॉर्म हैं कृषि करने के लिए. हम करीब 25 एकड़ में कृषि कर रहें हैं. प्राकृतिक तरीके से खेती करने पर हमारा सालाना 40 से 50 लाख रुपये का टर्नओवर होता है. किसी-किसी साल टर्नओवर 35 से 40 लाख के बीच होता है. हमारे पास 12 से 15 लोगों टीम है. जो हमें कृषि कार्यों में मदद करती है."
आकाश चौरसिया का कृषि में योगदान और सम्मान
आकाश चौरसिया की मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक यानी बहुपरत कृषि तकनीक 70-80 प्रतिशत पानी की बचत करती है. उन्होंने 105 प्रकार के स्वदेशी बीजों का संरक्षण किया है. देश के बीजों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सिलेक्शन विधि तैयार की और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए 250000 से अधिक किसानों को देशी बीज वितरित किया. फसल उत्पादन में 15-20 प्रतिशत वृद्धि की है. दुग्ध उत्पादन में 15 प्रतिशत वृद्धि की. केंचुआ दक्षता में 25 प्रतिशत सुधार किया. उन्होंने भारतीय कृषि दर्शन किसान पुस्तकालय की स्थापना भी की. इस पुस्तकालय 5000 से पुस्तकों का संग्रह किया गया है.
आकाश कृषि के क्षेत्र में 1,41,500 लाख से अधिक लोगों को प्रशिक्षित कर चुके हैं. वे दुनिया भर में प्राकृतिक खेती की शिक्षा में 14-15 लाख लोगों तक पहुंचे. वैश्विक स्तर पर वे 560 से ज्यादा कृषि व्यवहारिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित कर चुके हैं. उन्होंने लगभग 90000 हजार एकड़ भूमि को प्राकृतिक खेती में सफलतापूर्वक परिवर्तित किया है. गाय आधारित खेती को बढ़ावा देने के कारण आज उनके मार्गदर्शन पर 10,500 लोग गाय पालन कर रहे हैं. उन्होंने देश के 25 विश्वविद्यालयों में गौ-आधारित खेती पर व्याख्यान दिये हैं. आकाश की सफलता की कहानियों को बहुत से राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय समाचार समूहों ने कवरेज किया है.
आकाश को कृषि के क्षेत्र में उन्नत कार्य करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'युवा ग्राम मित्र' का खिताब दिया. वहीं, पूर्व उप राष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने 'कृषि रत्न' की उपाधि दी.
वर्ष 2016 में स्वामी रामदेव द्वारा कृषि गौरव सम्मान दिया गया. फिर उसके बाद व्यवसायी आनंद महिंद्रा ने युवा समृद्धि का ख़िताब दिया. वर्ष 2017 में उद्योगपति नवीन जिंदल ने राष्ट्रीय स्वयं सिद्ध रोलर एग्रीकल्चर डेवलपमेंट के क्षेत्र में नावाज़ा. इसके बाद उन्हें कृषि के लिए 5 लाख रुपए का पुरुस्कार मिला. आकाश को जैविक इंडिया अवार्ड भी मिला. आकाश चौरसिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई संस्थाओं द्वारा नावजे गए. जेसीआई इंडिया और जेसीआई जापान ने भी उन्हें कृषि के विकास हेतु सम्मानित किया.
रिपोर्ट:- सतीश भारतीय, स्वतंत्र पत्रकार, जिला- सागर, मध्यप्रदेश
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