जीवन में इंसान के पास हमेशा दो रास्ते होते हैं. पहला रास्ता कि वो जो काम कर रहा है उसी में खुश रहे और दूसरा रास्ता कुछ अच्छा करने का प्रयास करता रहे. पहला रास्ते आसान है, लेकिन दूसरा रास्ता कामयाबी देने की क्षमता रखता है. अपने आराम से बाहर निकलकर श्रम को गले लगाने से ही कामयाबी मिलती है. इसी बात को सिद्ध कर दिखाया है झारखंड के गंसू महतो ने.
गंसू पेशे से एक किसान हैं, लेकिन वो हमेशा से किसान ही नहीं थे. कभी जीवन मजदूरी में भी बिता, दिन ऐसे भी देखें कि आहार के लिए संर्घष करना पड़ता था. लेकिन गंसू ने अपनी किस्मत को कोसकर मेहनत से मुंह नहीं मोड़ा. चलिए आपको एक ऐसे इंसान की कहानी बताते हैं जो सभी किसानों के लिए प्रेरणा बन सकती है.
50 रूपए मिलती थी दिहाड़ी
गंसू जब मजदूर थे तो 50 रुपए की दिहाड़ी पर काम करते थे. लेकिन आज वो सालाना 50 लाख रूपए कमा रहे हैं. बंजर भूमि पर अपने श्रम के सहारे मात्र दो साल में उन्होने कामयाबी के झंडे गाड़ दिए.
छत्तीसगढ़ में सिखी किसानी
गंसू ने छत्तीसगढ़ में रहकर किसानी सिखी और मात्र दो साल में सब्जियों और फलों की खेती करने लगे. आज वह नौ एकड़ भूमि पर खेती करते हुए जरबेरा से साल में लगभग 35 लाख रुपए कमा लेते हैं. बाकि की कमाई सब्जियों से हो जाती है.
दूर-दूर से लोग लेने आते हैं प्रशिक्षण
झारखंड में गंसू को लोग बड़े आदर के साथ देखते हैं. लोग दूर-दूर से उनसे प्रशिक्षण लेने आते हैं. वो लोगों को स्प्रिंकलर विधि से पौधों की सिंचाई करना सिखाते हैं और सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी के बारे में बताते हैं. गंसू का मानना है कि किसी भी खेती का आधार बीज हैं, इसलिए बीजों के चुनाव के समय विशेष ध्यान रखना जरूरी है, दूसरे चरण में बुवाई का कार्य आता है और तीसरे चरण पौधों की सिंचाई महत्व रखती है. इन तीनों बातों पर गौर करना जरूरी है.
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