सफलता की कहानी: पंजाब राज्य के जालंधर जिले में एक काहलवां गाँव है, यहां के एक किसान तरसेम सिंह ने अपनी मेहनत से साबित करके दिखाया है कि सब्जियों और बागवनी के माध्यम से अपनी किस्मत बदली जा सकती है. ऐसे में हम आपको इस किसान के बारे में बताएंगे और समझने की कोशिश करेंगे कि कैसे इस आधुनिक युग में कम खेत से सब्जियों की खेती और बागवानी की जा सकती है.
बता दें, किसान तरसेम सिंह पिछले कई सालों से सब्जियों और फलों की सफलतापूर्वक खेती कर रहे हैं. वह हर साल अपने खेतों में मौसमी सब्जियों की खेती करते हैं जिसमें वह मुख्य रूप से तोरी, भिंडी, साग, धनिया, पालक, आलू आदि शामिल है. तरसेम सिंह अपनी सब्जी की खेती में किसी भी प्रकार के कीटनाशक का उपयोग नहीं करते हैं. वह केवल स्थानीय खाद और किसानों से प्राप्त खाद का उपयोग करते हैं. वह खेती का सब काम खुद से ही करते हैं, जिससे उनका खेती का खर्च भी कम हो जाता है.
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किसान तरसेम सिंह सब्जी की खेती के अलावा बागवानी भी करते हैं. उन्होंने अपने खेतों में आम, लीची, आलू-बुखारा और नींबू के पेड़ लगाए हैं, जिनसे उन्हें हर साल मौसमी फल मिलते हैं. ये फल उनकी आय को और बढ़ा देते हैं.
तरसेम बताते हैं कि वह कादी शहर में अपनी सब्जियों और फलों को खुद बेचते हैं. उनका कहना है कि आज कल की खेती पूरी तरह से रासायनिक उर्वरको पर निर्भर हो गई है. लोग इससे बचने के उपाय खोज रहे हैं. ऐसे में उनकी सब्जियां जैविक तरीके से उगाई गई हैं, जिसे लोग ज्यादा दाम भी देकर खरीद रहे हैं. तरसेम सिंह किसान प्रशिक्षण शिविरों, किसान मेलों और अन्य कार्यक्रमों के दौरान भी अपनी उपज को अच्छे मूल्य पर बेचते हैं.
किसान तरसेम सिंह ने छोटे किसानों से कहा है कि सब्जी और फल का उत्पादन उनके लिए एक बेहतर विकल्प है. छोटे किसानों को कम जमीन से अधिक आय प्राप्त करने के लिए सब्जी और बागवानी को जरुर अपनाना चाहिए.
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