एक साल खेती-बाड़ी में कोई मायने नहीं रखता। लेकिन, जोश, जज्बे और तकनीकी ज्ञान के बूते खेती की दशा-दिशा बदली जा सकती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है, अमरोहा है विदुर सिंह ने। जो इंजीनियर की नौकरी छोड़कर ब्रॉयलर फार्मिंग और संरक्षित खेती कर रहे है। अब तक 10 लाख की आय ले चुके है। वहीं, आधा दर्जन से अधिक कृषि मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवा चुके है। मोबाइल 9940088013 - विदुर सिंह
कालाखेड़ा, अमरोहा। खेती में स्टार्टअप के लिए इंजीनियर की नौकरी छोडऩे वाला यह शख्स है विदुर सिंह। जो अब ब्रॉयलर पालन और हाईटेक कृषि से अपने साथ दूसरों का भी भविष्य संवार रहा है। आपको बता दें कि युवा किसान एक साल पहले ही खेती से जुड़े और अब तक 10 लाख की आय ले चुके है। अमरोहा जिले के कालाखेड़ा गांव से ताल्लुक रखने वाले विदुर सिंह ने बताया कि मरीन इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होने के साथ ही चैन्नई की एक शिप कंपनी में 45-50 हजार महीने की जॉब मिल गई। जॉब लगने से परिवारजन काफी खुश थे। लेकिन, 10 माह की नौकरी के दौरान हर रोज 14-15 घंटे काम के बाद जीवन क्या होता है, इसी आभास ने मुझे खेती से जोडऩे का काम किया। मेरे नौकरी छोडऩे के निर्णय से परिजन दु:खी हुए और खेती के काम का विरोध भी किया। लेकिन, मेरे इरादे अटल थे। आज परिणाम सबके सामने है। खेती से मैने अपने साथ दूसरों के लिए भी रोजगार का सजृन किया है। वहीं, आय भी नौकरी से ज्यादा मिल रही है। आपको बता दें कि किसान विदुर ने फरवरी, 2018 में एक कंपनी से अनुबंध कर ब्रॉयलर फार्मिंग का कार्य शुरू किया। 7 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में ब्रॉयलर के लिए वैज्ञानिक तकनीक से शैड तैयार करवाया
बात करें अनुबंध ब्रॉयलर फार्मिंग की तो इसमें चूजो के आहार और आवास की व्यवस्था किसान के जिम्मे होती है। चूजे, चूजो के लिए फीड़ और खरीद का जिम्मा कंपनी का होता है। किसान विदुर ने बताया कि अब तक चार लॉट (एक लॉट में 5800 चूजे) निकाल चुका हॅू। प्रत्येक लॉट से 55-60 हजार रूपये की शुद्ध बचत मिली है। आपको बता दें कि कंपनी ब्रॉयलर के प्रतिकिलो वजन के आधार पर किसान को राशि का भुगतान करती है। उन्होंने बताया कि ब्रॉयलर फार्मिंग से मिलने वाले मुनाफे को देखते हुए एक नया शैड और तैयार करवा रहा हॅू। आपको बता दें कि इस युवा किसान ने आधा दर्जन से अधिक कृषि मजदूरों को अपने साथ रोजगार से जोड़ा है।
इन फसलों का उत्पादन
उन्होंने बताया कि परिवार के पास 150 बीघा जमीन है। इस गन्ना, धान, गेहूं आदि फसलों का उत्पादन होता है। लेकिन, अब मैने प्रति इकाई क्षेत्र ज्यादा आय लेने पर फोकस किया है। इसके लिए फसल चक्र में बदलाव किया है। सिंचाई के लिए ट्यूबवेल है। उन्होंने बताया कि परम्परागत फसलों से सालाना 4-5 लाख रूपये की आय मिलने लगी है।
खीरे से दो लाख
उन्होंने बताया कि ब्रॉयलर फार्मिंग में सफलता मिलने के बाद 4 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में पॉलीहाउस हाउस स्थापित करवाया है। इससे पूर्व आईएचआईटीसी, दुर्गापुरा-जयपुर से संरक्षित खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया। वहां के मास्टर ट्रेनर सत्यनारायण चौधरी के मार्गदर्शन में पॉलीहाउस में खीरे की बुवाई की। जिससे अब उत्पादन मिलना शुरू हो गया है। इसके अलावा ओपन फील्ड में धनिया, गाजर, पपीता और टमाटर की खेती करना आरंभ किया है। खीरा और सब्जी फसल से पखवाडे भर में दो लाख की आय ले चुका हॅू। सब्जी फसलों की सिंचाई ड्रिप से कर रहा हॅू। उम्मीद है कि खीरे की फसल से 7-8 लाख रूपये की आय मिलेगी।
कृषि जागरण के लिए :
पीयूष शर्मा, कृषि पत्रकार, जयपुर, राजस्थान
मोबाइल 80588-35320
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