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इंजीनियर से बने किसान, डॉ. जय नारायण तिवारी विभिन्न तकनीकों को अपनाकर खेती को बनाया सरल और सफल

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के डॉ. जय नारायण तिवारी नई तकनीकों के माध्यम से खेती में सफलता हासिल कर रहे हैं , साथ ही लोगों के लिए प्रेरणा भी बन रहे हैं. जानिए किन तकनीकों से इन्होंने अपनी खेती को सफल बनाया है.

स्वाति राव
डॉ. जय नारायण तिवारी
डॉ. जय नारायण तिवारी

आज के समय में खेती बाड़ी किसानों के लिए एक सफल व्यापार साबित हो रही है. खेती बाड़ी से अच्छा लाभ प्राप्त करने के लिए कई कृषि वैज्ञानिक नई – नई तकनीकों को विकसित कर रहे हैं. नई तकनीकों के माध्यम से किसान खेती को कितना आसान और लाभदायी बना सकता है इस बात का उदहारण है उत्तर प्रदेश के सफल किसान डॉ. जय नारायण तिवारी. जी हाँ इन्होने खेती में नई तकनीकों को अपनाकर अच्छा लाभ तो पाया ही है साथ ही अपने क्षेत्र के किसानों को भी उन तकनीकों के बारे में जानकारी दी है. आइये जानते हैं इनकी सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से.

परिचय (Introduction)

आपको बता दें उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के डॉ. जय नारायण तिवारी जिले में एक सफल किसान बन कर उभर रहे है. डॉ. तिवारी पेशे से इंजिनियर रहे है. लेकिन घर की पुस्तैनी जमीन होने की वजह से उनका चाह नौकरी के साथ – साथ खेती की तरफ भी बढ़ने लगी. जब भी अपने घर छुट्टियों के दौरान जाया करते थे तो अपने पिता के साथ खेती का ही काम सँभालते थे. उसी दौरान उन्होंने पाया कि खेती करते हुए पिता को किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है, तब ही से उन्होंने नई तकनीकों के साथ खेती (New Farming Techniques) करने का फैसला किया और साल 2016 में उन्होंने अपनी नौकरी से रिटायरमेंट ले घर वापस आ कर अपने पिता के साथ खेती करने लगे.

स्प्रिंक्ल सिंचाई तकनीक (Sprinkle Irrigation Technology)

डॉ तिवारी का कहना कि आमतौर पर किसान भाई  खेतों में सिंचाई तीन प्रकार से करते है पहली नहर और तालाब के पानी को खेतों पहुंचाते हैं, दूसरी बोरिंग के माध्यम से पंपिंग द्वारा खेतों में पानी डाला जाता है और तीसरा उसी बोरिंग के पानी को स्प्रिंकलर के माध्यम  से सिंचाई करना. तब उन्होंने बताया की पहले और दुसरे तरीके से खेती में सिंचाई करने की तकनीक को फ्लडिंग मेथड कहा जाता है. इस मेथड के जरिये जब फसल में सिंचाई करते हैं तो पानी की मात्रा बहुत अधिक पहुँच जाती है, जिससे फसल में नुकसान की सम्भावना होती है. इसलिए फसल में जब सिंचाई करें तो स्प्रिंक्ल के माध्यम से करें यानि तीसरी तकनीक से, क्योंकि इस तकनीक से पानी पौधे की जड़ तक सिमित मात्रा में पहुँचता है साथ ही पानी की भी बचत होती है. डॉ तिवारी ने खेत में स्प्रिंक्ल सिंचाई तकनीक को अपनाया और अपने खेत को सफल बनाया.

धान की सीधी बुवाई तकनीक (Direct Sowing Technology Of Paddy)

इसके अलावा उन्होंने किसानों को धान की खेती के लिए कई गुरु मन्त्र भी बताये हैं. उन्होंने कहा अकसर धान की खेती के लिए ज्यादा पानी की जरुरत होती है, इसलिए किसानों को धान की बुवाई के दौरान इस बात का ध्यान रखने जब भी धान की बुवाई करें तो धान की सीधी बुवाई करें. इससे धान की फसल में पर्याप्त पानी पहुंचेगा और फसल को नुकसान भी नहीं होगा इसके अलावा इस तकनीक से किसानों को धान की लगभग पूरी पैदावार भी मिलेगी  साथ ही रोपाई की जरुरत भी नहीं पड़ेगी.

 खेती में इस तकनीक (Farming Techniques) से किसानों को रोपाई में खर्च होने वाले पैसे और श्रम की काफी बचत होती है और इसमें खेत में पानी भरने की जरूरत भी नहीं होती. डॉ तिवारी ने इस तकनीक को लोगों को केवल जागरुक ही नहीं किया बल्कि उन्होंने अपने खेत में भी इन तकनीकों को अपनाया.

आर्गेनिक फार्मिंग तकनीक (Organic Farming Techniques)

इसके अलावा उन्होंने अपने खेत में जैविक खेती के तकनीक को भी अपनाया जहाँ उन्होंने खेत में जैविक खेती के माध्यम से छह किस्म के सुगंधित चावल, गेहूं और मूंग दाल उगाये है.

जिलाप्रशाशन की तरफ से मिला सम्मान (Received Honor From District Administration)

डॉ तिवारी को अपने इस अनूठे प्रयोग के लिए जिला प्रशासन की ओर से सम्मानित भी किया गया है साथ ही खेती की नई तकनीकों की जानकरी के लिए जिले के कई गाँव में उन्हें बुलाया जाता है. डॉ तिवारी का कहना है कि अन्य राज्यों के किसानों की सफल खेती का राज नई तकनीकों के माध्यम से खेती करना.

इसलिए उन्होंने भी अपने जीवन में खेती बाड़ी के काम को महत्व देते हुए नई तकनीकों को अपनाया और साथ ही क्षेत्र के किसानों को भी जागरूक भी कर रहे है. उनका कहना है कि खेती में नई तकनीकों के माध्यम से खेती को सरल बनाया जा सकता है साथ ही मेहनत और लागत भी.

English Summary: Engineer-turned-farmer, Dr. Jai Narayan Tiwari made farming simple and successful by adopting various techniques Published on: 08 April 2022, 01:27 PM IST

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