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दुष्यंत जैन : केवल 4 वर्कर के साथ शुरू किया था कृषि यंत्र बनाने का बिजनेस, आज विदेशों से मिल रहे हैं आर्डर

''कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तबीयत से उछालों यारों...'' दुष्यंत कुमार के इस शेर को विदिशा के दुष्यंत कुमार जैन ने सही साबित कर दिखाया है. दरअसल दुष्यंत ने अपनी मेहनत, लगन और काम के प्रति निष्ठा के बलबूते पर आज कृषि यंत्र क्षेत्र में एक अलग मुकाम बना लिया है. आज उनकी कंपनी अशोक मेटल वर्क्स को देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आर्डर मिल रहे हैं. उन्होंने साल 2000 में कृषि यंत्र निर्माण का बिजनेस शुरू किया था. आज उनकी कंपनी का सालाना टर्न ओवर 4 से 5 करोड़ रूपये का है. तो आइये जानते हैं उनकी सफलता की कहानी.

श्याम दांगी
Dushyant Jain
Dushyant Jain

''कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तबीयत से उछालों यारों...'' दुष्यंत कुमार के इस शेर को विदिशा के दुष्यंत जैन ने सही साबित कर दिखाया है. दरअसल दुष्यंत ने अपनी मेहनत, लगन और काम के प्रति निष्ठा के बलबूते पर आज कृषि यंत्र बनाने के क्षेत्र में एक अलग मुकाम बना लिया है. आज उनकी कंपनी अशोक मेटल वर्क्स को देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी आर्डर मिल रहे हैं. उन्होंने साल 2000 में कृषि यंत्र निर्माण का बिजनेस शुरू किया था. आज उनकी कंपनी का सालाना टर्न ओवर 4 से 5 करोड़ रूपये का है. तो आइये जानते हैं उनकी सफलता की कहानी.

5 लाख से शुरू किया था बिजेनस

कृषि जागरण से बात करते हुए अशोक मेटल वर्क्स के मालिक दुष्यंत जैन ने बताया कि उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई करने के बाद कुछ समय के लिए पारिवारिक कामों में हाथ बंटाया. लेकिन कुछ अलग करने की चाहत में साल 2000 में छोटे भाई के साथ कृषि यंत्र निर्माण का काम शुरू किया. उस अपने समय खेत पर ही 1800 स्क्वायर फीट की जगह में शेड लगाकर चार से पांच वर्कर के साथ उन्होंने यह काम शुरू किया था. शुरुआत में उन्होंने अपने बिजनेस में 4 से 5 लाख रूपये इन्वेस्ट किये थे लेकिन आज कंपनी का सालाना टर्नओवर ही 4 से 5 करोड़ रूपये का है. वहीं आज लगभग 20,000 स्क्वायर फीट में उनका कारखाना है. 

युगांडा से मिला आर्डर

आगे उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी के बनाए कृषि यंत्र देश भर में खरीदे जाते हैं. छत्तीसगढ़ और उड़ीसा जैसे राज्यों में उनके कृषि यंत्रों की अधिक डिमांड  रहती है. हाल ही में उन्हें युगांडा से ट्रैक्टर ग्रेडर का आर्डर मिला है. जिसके लिए 8 हजार 900 अमेरिकी डॉलर की डील हुई है. जैन ने बताया कि कंपनी का फोकस अब विदेशी ग्राहकों को बेहतर सर्विस देना. इसके लिए कंपनी की तरफ से विशेष प्रयास किये जा रहे हैं.  

क्या है ट्रैक्टर ग्रेडर?

जैन के मुताबिक, ग्रेडर का उपयोग सड़क निर्माण में किया जाता है. ग्रेडर की मदद से सड़क निर्माण के लिए सामग्री डालने, जमीन समतल करने और साइड फिलिंग करने जैसे कार्य सुलभता से किए जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि नामी कंपनियों के ग्रेडर एक से सवा करोड़ रूपये में मिलते हैं लेकिन उनकी कंपनी इसे 5 से 6 लाख रूपये में बेचती है. यही वजह है कि उनकी कंपनी के ग्रेडर की विदेशों में डिमांड रहती है.

सरकार को पॉलिसी बनानी चाहिए 

अपने बिजनेस की दिक्कतों के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि उन्हें युगांडा से ग्रेडर का आनलाइन आर्डर  मिला है. कई बार विदेशी ग्राहकों को विश्वास दिलाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में केन्द्र सरकार को पॉलिसी बनाना चाहिए ताकि विदेशी ग्राहक उन पर ट्रस्ट कर सकें. वहीं इसके लिए हम कंपनी की खुद की वेबसाइट बना रहे हैं. जहां से विदेशी ग्राहकों को कंपनी के बारे में अधिक जानकारी मिल सकेगी. 

 

कृषि यंत्रों का हब

बता दें मध्य प्रदेश के विदिशा जिले को कृषि यंत्र निर्माण का हब माना जाता है. यहां के कृषि यंत्र जैसे डोजर, कल्टीवेटर, प्लाऊ और ट्रैक्टर ट्राली की  महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उड़ीसा समेत देश  के विभिन्न प्रांतों में मांग रहती है. यहां कृषि यंत्र निर्माण के 100 से अधिक कारखाने हैं. यही वजह हैं कि विदिशा को कृषि यंत्रों का हब कहा जाता है.

English Summary: Dushyant Jain started business of making farm equipment with only four worker, today orders are being received from abroad Published on: 23 January 2021, 12:03 PM IST

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