एक तरफ उत्तराखंड के युवा रोज़गार की तलाश में महानगरों का रुख़ कर रहे हैं जिससे प्रदेश के गांवों से पलायन हो रहा है और कई गांव ‘घोस्ट विलेज’ में तब्दील हो चुके हैं तो वहीं इस दौर में एक लड़की मेट्रो सिटी की जॉब छोड़कर वापस उत्तराखंड आती है और मशरूम की खेती करना शुरू करती है. देखते ही देखते वो ‘मशरूम गर्ल’ (Mushroom Girl of Dehradun) नाम से मशहूर हो जाती है. इस लड़की का नाम है दिव्या रावत.
आज हम आपको मशरूम गर्ल दिव्या रावत (Divya Rawat) की कहानी बताने जा रहे हैं, जिसने न केवल ख़ुद के लिए रोज़गार की उड़ान भरी बल्कि पहाड़ों के बेरोज़गार युवाओं और महिलाओं को भी उम्मीदों के पंख लगाए. दिव्या का जन्म उत्तराखंड के चमोली जनपद में हुआ था. देहरादून में स्कूलिंग के बाद दिव्या आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चली गईं, जहां से उन्होंने सोशल वर्क में स्नातक व स्नाकोत्तर डिग्री कर नौकरी करना शुरू कर दिया.
दिव्या को अच्छे से समझ आ गया था कि युवाओं और महिलाओं के लिए अब उसे कुछ करना चाहिए, इसलिए उसने नौकरी छोड़ दी और वापस उत्तराखंड आ गई और फिर मशरूम की खेती का प्रशिक्षण लेने के लिए वह कई राज्यों के साथ-साथ विदेश तक घूमी. फिर मशरूम की खेती की तकनीक सीखने के बाद दिव्या रावत उत्तराखंड लौटीं और गांव-गांव जाकर महिलाओं और युवाओं को मशरूम की खेती सिखाना शुरू कर दिया.
वर्तमान समय में दिव्या रावत सौम्या फूड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की मालकिन हैं. इस कंपनी का सालाना टर्नओवर करीब तीन करोड़ रुपये है. आपको बता दें कि दिव्या ने कंपनी के ज़रिये सैंकड़ों महिलाओं को रोज़गार दिया.
पूर्व राष्ट्रपति ने किया था सम्मानित
मशरूम गर्ल के नाम से मशहूर उत्तराखंड की बेटी दिव्या रावत को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी नारी शक्ति अवॉर्ड से सम्मानित कर चुके हैं.
ख़ुद का रेस्टोरेंट भी चलाती हैं दिव्या
दिव्या रावत ने ‘मशमश’ नाम से एक रेस्टोरेंट भी शुरू किया है इसके द्वारा farm to table concept शुरू किया गया है जिसमें किसानों द्वारा उगाई गई मशरूम की लज़ीज़ डिशेज़ परोसी जाती हैं. अगर आप देहरादून आते हैं और मशरूम गर्ल दिव्या रावत के "मशमश" रेस्टोरेंट के स्वादिष्ट पकवानों का स्वाद लेना चाहते हैं तो यह रेस्टोरेंट राजपुर रोड पर सचिवालय के अपोज़िट स्थित है. यहां आपको तंदूरी मशरूम, चिल्ली मशरूम, मशरूम टिक्का, मशरूम नूडल्स जैसे कई ज़ायकेदार पकवान खाने को मिल जाएंगे.
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उत्तराखंड सरकार ने दिव्या के इस सराहनीय प्रयास के लिए उसे 'मशरूम की ब्रांड एम्बेसडर' घोषित किया है. दिव्या और उनकी कंपनी अब तक उत्तराखंड के 10 ज़िलों में मशरूम उत्पादन की 53 यूनिट लगा चुकी है. एक स्टेंडर्ड यूनिट की शुरुआत 30 हज़ार रुपये में हो जाती है जिसमे 15 हज़ार इन्फ्रास्ट्रक्चर में ख़र्च होता है जो दसियों साल चलता है. 15 हज़ार इसकी प्रोडक्शन कॉस्ट होती है.
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