पशुधन संख्या (535.82 मिलियन) और दुग्ध उत्पादन (187.7 मिलियन टन) के मामले में विश्व में भारत का प्रथम स्थान है जिसका कृषि सकल मूल्य वर्धित यानी ग्रास वेल्यू एडेड (Grass value added) में लगभग 28.4 प्रतिशत का योगदान है. इतना ही नहीं, भारत में वर्तमान में दूध उत्पादन की अपार सम्भावनाएं है बशर्ते की पशु को हरे चारे की आवश्यक मात्रा उपलब्ध हो. गौरतलब है कि हरे चारे का पशु के स्वास्थ्य एवं उत्पादन पर लाभदायक प्रभाव पड़ता है. भारतीय चारागाह और चारा अनुसंधान संस्थान, झांसी के विजन (2050) के अनुसार साल 2030 में भारत में हरे चारे की 24.39 प्रतिशत और सूखे चारे की 11.98 प्रतिशत की कमी हो जाएगी.
जबकि वर्तमान में 33.10 प्रतिशत हरा चारा, 11.41 प्रतिशत सूखा चारा और 64 प्रतिशत पशु आहार/खाद्य की बेहद कमी है. पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश की एक वर्तमान रिपोर्ट के अनुसार 38.2 प्रतिशत हरे चारे और 46.98 प्रतिशत कम्पाउन्ड फीड की कमी है जबकि लगभग 8.78 लाख हेक्टर क्षेत्र हरे चारे की खेती के अन्तर्गत आता है. अनाज और चारा फसलों के बीच अप्रत्यक्ष प्रतिस्पर्धा की वजह से हरे चारे के लिए क्षेत्र को बढ़ाने की संभावनाएं कम है. इसलिए भारत में पशुधन और दूध उत्पादन के लिए अन्य विकल्प तलाशने की जरूरत है.
संकर बाजरा नेपियर की बुवाई को बढ़ावा देना क्यों जरूरी? (Why is it necessary to promote the sowing of hybrid millet Napier?)
हरे चारे की पूर्ति के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर ने भी पशुओं के लिए पर्याप्त मात्रा में हरे चारे की उपलब्धता बढ़ाने की सलाह दी है. इसके लिए संकर बाजरा नेपियर को संस्थान में लगाया गया. खासकर इसकी को-04 और को-05 किस्में संस्थान में लगाई गई हैं. संस्थान के चारा उत्पादन फार्म पर संकर बाजरा नेपियर का क्षेत्र लगभग 37 एकड़ है, जिसके आशाजनक परिणामों को परखकर बड़े स्तर पर इसे लोकप्रिय करने के लिए अभियान चलाया गया. इसके लिये नेपियर की खेती विषय पर वीडियो फिल्में बनाकर यूटयूब पर अपलोड की गई है. (https://www.youtube.com/watch?v=Ro_HJb2UGGc एंव https://www.youtube.com/watch?v=vrW9zsR9Cx8 ) इन दोनों वीडियों को 50,000 से ज्यादा दर्शकों द्वारा देखा जा चुका है. इसके अलावा आकाशवाणी केंद्र रामपुर और बरेली से रेडियो वार्ताएं प्रसारित की गई. वहीं मोबाइल एप और कार्यशाला आदि के जरिए किसानों को जागरूक करने का काम गया ताकि वो ज्यादा से ज्यादा संकर बाजरा नेपियर की खेती कर पशुधन के लिए हरा चारा बढ़ाएं. जिसका रिजल्ट भी मिलता दिख रहा है इन सभी कार्यक्रमों और प्रसारणों की वजह से किसान जागरुक होकर भविष्य को ध्यान में रखकर आग बढ़ रहे हैं, यही वजह है कि देश के 12 राज्यों में बहुत सारे किसानों ने संकर बाजरा नेपियर का अनुग्रहण किया है. दूर-दराज के कृषकों को उनके अनुरोध पर भारतीय डाक सेवा के माध्यम से संकर बाजरा नेपियर की कटिंग उपलब्ध कराई गयी. इन किसानों में उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद के युवा किसान विवेक प्रताप भी मौजूद हैं जिनके सामने हरे चारे की भारी कमी थी जिसके कारण डेयरी व्यवसाय में खर्च भी अधिक हो रहा था. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के प्रसार कार्यक्रमों से प्रभावित होकर विवेक ने अपने डेयरी पशुओं को प्रयाप्त हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए संकर बाजरा नेपियर की खेती शुरू की है.
बाजरे की ये किस्म कैसे बनी रोजगार का बड़ा साधन ?(How did this variety of millet become a big source of employment?)
उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद के युवा किसान विवके प्रताप सिंह ने कंप्यूटर साइंस में स्नातक है जिन्होंने नौकरी ना कर खेती और डेयरी का काम करने का फैसला लिया. इनके पास 68 दुधारू पशु हैं और फार्म पर प्रतिदिन 350 लीटर दूध उत्पादन होता है जिसको बरेली शहर में बेचा जाता है, और वो अपने घर से ही 65 रुपए प्रति लीटर की दर से दूध बेचकर बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि उन्हें ये काम करने के लिए परेशानियों को सामना नहीं करना पड़ा, उन्होंने बहुत लगन के साथ काम किया और आज इसका परिणाम उनके सामने है.
युवा किसान विवेक प्रताप सिंह के मुताबिक पहले उन्हें हरे चारे के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता था लेकिन फिर भी पशुओं के लिए हरे चारे की पूर्ती नहीं कर पाते थे.पहले भूसे पर ही 2500 कुंतल प्रति वर्ष का खर्च आता था, और प्रति पशु पर आहार-खली का खर्च हर दिन 4 किग्रा के हिसाब से होता था. चारे की परेशानी को दूर करने के लिए इन्होंने साल 2016 में 1.5 बीघा क्षेत्र में संकर बाजरा नेपियर की खेती की शुरू की. इससे इन्होंने अनुभव किया कि बाजरा संकर नेपियर की खेती करके बहुत कम खर्च पर पर्याप्त मात्रा में अच्छी क्वालिटी का हरा चारा मिल रहा है. जिसके बाद उन्होंने संकर बाजरा नेपियर की खेती को बढ़ाकर 6 एकड़ में कर दिया. आज इनके पास जरूरत से ज्यादा हरा चारा है. जिससे ये काफी कमाई कर रहे हैं. इन्होंने साल 2019-2020 में कानपुर, लखनऊ, सीतापुर, गोरखपुर, आगरा और कन्नौज जिलों के मात्र 26 किसानों को 1.50 रूपए प्रति कलम की दर से 1 लाख 55 हजार कटिंग की बिक्री कर काफी मुनाफा भी कमाया. वे हर साल अप्रेल-मई और अक्टूबर-नवम्बर के महीने में बाजरा संकर नेपियर की खड़ी फसल के कलम बेचकर लगभग 2,80,000 रुपए कमाते हैं. इतना ही नहीं, इनकी वजह से आसपास के बहुत से लोगों को रोजगार भी मिल रहा है.
लेखक:
बी.पी.सिंह, प्रधान वैज्ञानिक
पी.के. मुखर्जी, प्रधान वैज्ञानिक
राम सिंह सुमन, वरिष्ठ वैज्ञानिक
प्रसार शिक्षा विभाग
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर-243 122
ईमेल /email: [email protected]
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