खेती की प्रति किसानों का रुख बदलने लगा है. देश के किसान जैविक और प्राकृतिक खेती की और अपना रुख कर रहे हैं. इसी क्रम में कई किसान अपने खेत में जैविक खेती करके हरा सोना उगाकर लाभ कमा रहे हैं.
यह किसान अब अन्य किसानों को भी जैविक खेती करने के लिए भी प्रेरित कर रहे है और साथ ही अपने अनुभव से कई किसानों की मदद भी करते हैं.
कृषि विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर किसान अपने खेत में परंपरागत खेती के साथ जैविक खेती भी करते हैं. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस साल जिलों में जैविक कृषि 5 हजार से बढ़ाकर 10 हजार हेक्टेयर किए जाने का प्रयास है.
जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को इसके फायदे और रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान के बारे में विस्तार से बताया जा रहा है.
जैविक खेती से किसान रूप सिंह राजपूत को मिले कृषक पुरस्कार (Farmer Roop Singh Rajput got farmer award for organic farming)
इसी विषय में ग्राम रोहना में रहने वाले रूप सिंह राजपूत का कहना है कि उन्होंने अपनी 13 साल की रासायनिक खेती को छोड़कर अपने खेत में 1.615 हेक्टेयर में जैविक तरीके से धान, गेहूं, सब्जी को उगाकर एक नई तरक्की को हासिल किया. वह यह भी बताते हैं कि उन्हें 4 एकड़ की खेती से लगभग 3 लाख 5 हजार रुपए तक का मुनाफा कमाया है.
अपने खेत में जैविक खेती के बेहतरीन तरीकों को अपने से वह अपने जिले के एक सफल किसान बन गए है. उन्हें राज्य स्तरीय सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार भी मिल चुका है और साथ ही उन्हें जैव विविधता बोर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है. इसके अलावा वह कृषि में के नए-नए तकनीकों को सीखने के लिए ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड की विदेश यात्रा भी कर चुके हैं.
किसान विनय प्रताप सिंह ठाकुर ने रासायनिक खेती को छोड़ की जैविक खेती (Farmer Vinay Pratap Singh Thakur gave up chemical farming and did organic farming)
ऐसे ही ग्राम निटाया में रहने वाले किसान विनय प्रताप सिंह ठाकुर पूर्व भी अपने खेत से अधिक लाभ कमाने के लिए अपनी रासायनिक खेती को छोड़ जैविक खेती को करने का फैसला लिया. साथ ही वह पशुपालन का भी व्यवसाय करते है. विनय प्रताप सिंह ने अपने 10 एकड़ के खेत से 120 क्विंटल जैविक खेती की. इसमें उन्होंने 70 क्विंटल चावल को तैयार कर बाजार में 12 हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से बेचकर लगभग 7 लाख रुपए तक का लाभ कमाया.
साथ ही इन्होंने अपने खेत में नवाचार के तरीकों को अपनाकर बेंगलुरु की कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में 10 एकड़ में सुपर फूड फसल किनोवा को अपने खेत में लगाया. किनोवा के उत्पादन से उन्होंने काफी लाभ कमाया. इसके आलाव वह अपने पशुओं से लगभग 120 लीटर दूध का उत्पादन कर अच्छा लाभ कमाते हैं. उनके इन सब तरीकों को देखकर उन्हें जिले में सर्वोत्तम कृषक पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
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