अक्सर ऐसा होता है कि किसान गन्ने की फसल के लिए बहुत मेहनत करने के बावजूद भी पर्याप्त आमदनी नहीं कर पाते. ऐसे में जैविक गुड़ उनके लिए बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है.
कुछ किसान अपनी खेती करने के तौर-तरीकों में काफी बदलाव ला रहे हैं. परम्परागत खेती के तरीके छोड़ अब वे नवाचार कर रहे हैं. वे न सिर्फ गुणवत्तायुक्त गुड़ बना रहे हैं बल्कि उसे अच्छे दामों पर बेचकर मुनाफा भी कमा रहे हैं.
जैविक गुड़ बनाने में लागत कम और मुनाफा अधिक
जैविक गुड़ किसानों के लिए वरदान की तरह है क्योंकि यह कम लागत में अधिक मुनाफा देता है. एक कुंतल गन्ने से 13 किलो जैविक गुड़ बन जाता है. कुछ किसान इस गुड़ में आंवला, हरड़, पुदीना, अदरक, सोंठ जैसी कई चीजें डालते हैं जिससे इसकी गुणवत्ता और बढ़ जाती है.
जैविक गुड़ से रोजगार सृजन के अवसर
जैविक गुड़ ने किसानों के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों में भी अभिवृद्धि की है. अगर आप बड़े पैमाने पर इसे बनाना शुरू करते हैं तो आप अपने गांव के कई लोगों को रोजगार मुहैया करा सकते हैं. गांव के लोगों को रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा.
एक पेराई की मशीन लगाने में 10 लाख रुपए का खर्चा आता है. इसे कई किसान मिलकर लगा सकते हैं, या फिर लोन लेकर भी इसे लगाया जा सकता है. एक बार के इन्वेस्टमेंट से भविष्य का लाभ सुनिश्चित किया जा सकता है.
आज किसान गन्ना चीनी मिलों को बेचने के बजाय जैविक गुड़ तैयार कर देशभर में सप्लाई कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. इससे उन्हें मिल पर गन्ना बेचने से दोगुना लाभ मिल रहा है.
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क्या खास है जैविक गुड़ में?
यह शुद्ध जैविक गुड़ हानिकारक और जहरीले रसायनों से मुक्त होता है और यह शरीर को ताकतवर बनाता है.
क्या है जैविक गुड़ बनाने की प्रक्रिया?
गन्ने के रस को एक बड़ी कढ़ाई में डाला जाता है जिसमें लगभग 400 से 500 लीटर गन्ने के रस को आंच पर पकाया जाता है. उबलते हुए गन्ने के रस को बहुत कम मात्रा में बेकिंग सोडा डालकर साफ किया जाता है ताकि सभी अशुद्धियाँ बाहर आ जाएं. फिर इसे छान लिया जाता है और बची हुई अशुद्धियों का खाद के रूप में उपयोग किया जाता है.
इस को कढ़ाई में तत्परता से हिलाने की जरूरत है. दो घण्टे इसे हिलाने के बाद शेष अशुद्धियां भी हटा दी जाती हैं और फिर गाढ़े रस को एक सूखी कढ़ाई में डाला जाता है. इसे फिर आंच पर तेजी से पलट पलटकर हिलाया जाता है जब तक यह बिल्कुल गाढ़ा न हो जाए. अंत में इसमें थोड़ा प्राकृतिक चूना या आर्गेनिक नारियल तेल मिक्स करते हैं.
पुरुष कुशलतापूर्वक और लयबद्ध रूप से तरल को हिलाते हैं, इसे ढेलेदार या जलाए जाने की अनुमति नहीं देते हैं. लगभग दो घंटे तक गाढ़े रस को लगातार चलाते रहने के बाद, अब अशुद्धियों से मुक्त होकर मिट्टी के फर्श पर बैठे दूसरे सूखे पैन में डाल दिया जाता है. जिस निपुणता के साथ दो आदमी गर्म तवे और उसकी सामग्री को उसकी एक बूंद भी गिराए बिना झुकाते हैं, वह अद्भुत है. अगले एक घंटे में वे मोटे तरल को बड़े चपटे करछुल से पलट देते हैं जो मुझे चप्पू की याद दिलाते हैं. यह तब तक जारी रहता है जब तक कि गाढ़ा तरल पाउडर की स्थिरता पर न आ जाए. वे सही स्थिरता प्राप्त करने के लिए इसमें थोड़ा सा प्राकृतिक चूना और थोड़ा सा जैविक नारियल तेल मिलाते हैं.
इस प्रकार स्वास्थवर्धक जैविक गुड़ तैयार होता है जिसमें कोई भी हानिकारक रसायन नहीं होता और वे सब गुण विद्यमान रहते हैं जो प्रायः परिष्करण की प्रक्रिया में खत्म हो जाते हैं. यही कारण है कि आजकल देश विदेश में जैविक गुड़ की मांग बहुत बढ़ रही है और किसान इससे खूब मुनाफा कमा रहे हैं.
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