जहाँ इंडिया में पहले MUSHROOM FARMING या अन्य खेती सम्बन्धी कार्य करना अशिक्षा की पहचान होती थी अर्थात जो लोग खेती करते थे उन्हें अशिक्षित समझ लिया जाता था, और सच्चाई भी यही थी की अधिकतर अशिक्षित लोग ही इस तरह के कार्यों को करने में संलिप्त थे | लेकिन बदलते समय ने कृषि में भी पढ़े लिखे अर्थात शिक्षित लोगों के लिए अवसर पैदा किये हैं और वर्तमान में बहुत सारे नौजवान भी डेयरी फार्मिंग पोल्ट्री फार्मिंग गोट फार्मिंग फिश फार्मिंग एवं जैविक खेती के कार्यों में संलिप्त हैं और अपना व्यापार सफलतापूर्वक चला भी रहे हैं | आज हम अपने कृषि एवं फार्मिंग नामक इस श्रेणी में एक ऐसे फार्मिंग बिज़नेस की बात करने वाले हैं जो बीतते वक्त के साथ युवाओं में बेहद प्रचलित होता जा रहा है | क्योंकि MUSHROOM FARMING की बदौलत उत्तराखंड की 26 साल की दिव्या रावत काफी सुर्ख़ियों में रही थी उनका सुर्ख़ियों में रहने का मुख्य कारण यह था की उन्होंने एक नामी गिरामी शिक्षण संस्थान से शिक्षा ग्रहण की थी और लोगों की अपेक्षा के मुताबिक जहाँ उन्हें शहर में रहकर ही कुछ काम या नौकरी करनी चाहिए थी उन्होंने वह शहरी NGO की नौकरी छोड़ दी थी | वहीँ उन्होंने अपने व्यापार के लिए एक ऐसे गांव का चयन किया जो रोजगार न होने की वजह से पलायन की मार से पूरी तरह झुलसा हुआ था इसी की बदौलत उन्हें MUSHROOM GIRL नामक नाम से अलंकृत कर दिया गया | खैर इस कहानी पर हम विस्तृत तौर पर वार्तालाप उन पर आधारित एक अलग से लेख के माध्यम से करेंगे | लेकिन इसमें हमारे कहने का तात्पर्य सिर्फ इतना है की खेती एवं खेती से जुड़े हुए व्यवसायों में वर्तमान में इस देश का नौजवान भी रूचि लेने लगा है इसी बात के मद्देनज़र आज हम हमारे इस लेख में मशरुम फार्मिंग सम्बन्धी विभिन्न विषयों को समझने की कोशिश करेंगे |
मशरुम फार्मिंग बिज़नेस क्या है :
हालांकि कई बार यह सवाल बहुत सारे लोगों के जेहन में आता है की क्या मशरुम पौधे होते हैं? क्योंकि इन्हें भी अन्य पौधों की तरह खाद एवं भूसे इत्यादि के माध्यम से उगाया जाता है लेकिन सच्चाई यह है की मशरुम कोई पौधे या वनस्पति नहीं होते हैं लेकिन इन्हें पौधों के करीबी रिश्तेदारों के तौर पर जाना जा सकता है | वैसे देखा जाय तो मशरुम कवक होते हैं जिन्हें फुंगी भी कहा जाता है | लेकिन एक स्वास्थ्यकर आहार के तौर पर इनका उपयोग सर्वाधिक किया जाता है कहने का आशय यह है की MUSHROOM नामक इस कवक से घरों से लेकर होटलों में तक स्वादिष्ट डिशें तैयार की जाती हैं सामान्य तौर पर सब्जी के तौर पर मशरुम का उपयोग होता है, और चूँकि यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होती हैं इसलिए इनकी मांग बाज़ार में हमेशा विद्यमान रहती है | अब जब किसी उद्यमी द्वारा लोगों की इसी मांग को ध्यान में रखकर मशरुम उगाने का काम किया जाता है तो उसके द्वारा किया जाने वाला यह बिज़नेस MUSHROOM FARMING BUSINESS कहलाता है |
मशरुम फार्मिंग बिज़नेस कैसे शुरू करें: मशरुम की खेती या मशरुम फार्मिंग करने के लिए विभिन्न जानकारियां जैसे मशरुम कैसे उगाये जाते हैं, कब उगाये जाते हैं, मशरुम के लिए कम्पोस्ट कैसे तैयार की जाती है और सबसे बड़ी बात इन्हें उगाने के लिए कैसे वातावरण एवं इंफ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होती है, इत्यादि जानकारी होना अति आवश्यक है | जिसके पास उपर्युक्त जानकारी है तो वह व्यक्ति या महिला मशरुम फार्मिंग बिज़नेस स्टार्ट कर सकते हैं | यद्यपि जैसा की किसी भी फसल के उत्पादन करने के लिए होता है अर्थात खेती का पहला नाम ही मेहनत है यह सत्य है की खेती में शारीरिक मेहनत की अधिक आवश्यकता होती है लेकिन चूँकि यह खेती से जुड़ा हुआ बिज़नेस है इसलिए ग्रामीण इलाकों में भी आराम से हो सकता है और ग्रामीण इलाकों में शारीरिक कार्य करने वाले लोग/मजदूर आराम से सस्ती दरों पर उपलब्ध हो जाते हैं | इसलिए मशरुम फार्मिंग बिज़नेस स्टार्ट कर रहे उद्यमी को शारीरिक कार्यों को अंजाम देने के लिए मजदूरों या ग्रामीण लोगों को रोज़गार देना होगा, ताकि उद्यमी अन्य मानसिक कार्यों मार्केटिंग इत्यादि में अपना दिमाग लगा सके |
OYSTER एवं MILKY MUSHROOM FARMING अर्थात उत्पादन की विधि: इस विधि में मशरुम उत्पादन करने के लिए सर्वप्रथम कुछ रसायनों की मदद से गेहूं के भूसे से जीवाणु इत्यादि को नष्ट किया जाता है ताकि उस भूसे में आसानी से मशरुम उगाई जा सकें | अर्थात सर्वप्रथम भूसे का शुद्दिकरण किया जाता है |
भूसे का शुद्धिकरण: भूसे का शुद्धिकरण करने के लिए पानी की एक हादी यानिकी सीमेंट का एक चैम्बर बनाया जाता है और उसके निचले हिस्से में अनावश्यक पानी को बाहर निकालने के लिए एक छेद या नल लगाया जाता है | जिसमे लगभग 1500 लीटर पानी में 1.5 लीटर FORMALIN और 150 ग्राम कार्बन DIZIYAM नामक रसायन मिलाये जाते है | और फिर उसे पैरों से अच्छी तरह हिलाया जाता है तो पानी का रंग सफ़ेद होने लगता है हिलाने की प्रक्रिया करते वक्त इन रसायनों की गंध नाक में जा सकती है | अब इसके बाद इस पानी में लगभग 1.5 क्विंटल गेहूं का भूसा डाल दिया जाता है | उसके बाद इस भूसे को पानी के साथ पैरों से कुचल दिया जाता है ताकि वह पानी में अच्छी तरह मिल जाय | जब भूसा पानी के साथ अच्छी तरह मिल जाता है तो एक प्लास्टिक के तिरपाल से इस भूसे को ढक लिया जाता है यह प्रक्रिया इसलिए की जाती है ताकि जो भूसा है वह हवा के संपर्क में न आये | हवा के सम्पर्क में आने से रसायनों का असर बेअसर हो सकता है और उस भूसे में उपस्थित कीट, पतंगे मशरूम पैदा करने यानिकी MUSHROOM FARMING की राह में रोड़े अटका सकते हैं |
भूसे को सूखाना: गर्मियों में MUSHROOM FARMING करने के लिए अब उद्यमी का अगला कदम भूसे को सुखाने का होना चाहिए | इसलिए एक दिन तक उस भूसे को चैम्बर में पड़ा देने के बाद अगले दिन उस भूसे को चैम्बर से निकाल लिया जाता है और किसी साफ़ जगह पर सुखाने के लिए बिछा दिया जाता है और हर एक दो घंटे में इसको पलटा जाता है, यह इसलिए किया जाता है ताकि भूसे में उपलब्ध FORMALIN भूसे से उड़ जाय अर्थात भूसे में रसायनों का कोई अंश बाकी न रहे और भूसे में उपस्थित नमी को भी 50% तक कम करने, एवं भूसे को ठंडा करने के लिए यह प्रक्रिया की जाती है | और इस प्रक्रिया का समयकाल लगभग 20 घंटे से लेकर 24 घंटे होता है |
SPAWN की बिजाई करना: गर्मियों में OYSTER एवं MILKY MUSHROOM FARMING के लिए अब अगला कदम बिजाई अर्थात भूसे में MUSHROOM SPAWN को मिलाने का होता है | यह प्रक्रिया यदि सुबह सुबह अर्थात मोर्निंग में जब मौसम ठंडा होता है तब की जाय तो अच्छा रहता है |
MILKY MUSHROOM की बिजाई करना: MILKY MUSHROOM की बिजाई करने के लिए सर्वप्रथम प्लास्टिक के बैग ले लिए जाते हैं और इन्हें नीचे दोनों कोनों से काट लिया जाता है वह इसलिए ताकि भूसे में यदि पानी के अवशेष बचे होंगे तो वे बैग से बाहर निकल जाएँ | उसके बाद MUSHROOM SPAWN को पन्नी में ही हलके हाथों से दबाया जाता है या मुट्ठी बांधकर उस पन्नी में जिसमे MUSHROOM SPAWN हों हलकी हलकी चोट की जाती है ताकि दाने अलग अलग हो जाएँ | बिजाई के समय इस बात का विशेष ध्यान देना पड़ता है की यदि MUSHROOM SPAWN के दाने आपस में चिपके हुए हों तो उन्हें हाथों से मलकर या रगड़कर अलग अलग करना जरुरी है ताकि SPAWN अच्छी तरह से भूसे में मिल सके | अब अगला कदम SUMMER MUSHROOM FARMING के लिए प्लास्टिक बैग हाथ में लेने का है जहाँ तक प्लास्टिक बैग के साइज़ का सवाल है 16×18 इंच के बैग लिए जा सकते हैं | अब यह बात ध्यान में रखकर इस बैग में भूसा भरना होता है की तीन लेयर में यह ऊपर तक भर जाय अर्थात केवल बैग को बाँधने की जगह ही ऊपर बचे, क्योंकि इसमें MUSHROOM SPAWN की बिजाई तीन लेयर में करनी होती है | इसलिए बैग में भूसा डालने के बाद फिर लगभग आधी मुट्ठी MUSHROOM SPAWN डाल दिए जाते हैं फिर भूसा डालने के बाद फिर आधी मुट्ठी SPAWN डाल दिए जाते हैं और फिर से एक बार यह प्रक्रिया करके प्लास्टिक के बैग को दबाकर बाँध दिया रबर बैंड चढ़ाकर बाँध दिया जाता है, उसके बाद एक पैन की मदद से इस पन्नी पर लगभग 10 छेद किये जा सकते हैं ताकि बाहर की ताज़ी हवा का आवागमन होता रहे | इसी कदम के साथ MILKY MUSHROOM की बिजाई की प्रक्रिया का समापन हो जाता है |
OYSTER MUSHROOM की बिजाई: OYSTER MUSHROOM की बिजाई के लिए सर्वप्रथम भूसे को साफ़ सुथरी जगह पर फैला दिया जाता है उसके बाद उसी में MUSHROOM SPAWN का छिड़काव कर दिया जाता है और उसके बाद उस भूसे को हाथों से अच्छी तरह अलट पलट दिया जाता है ताकि MUSHROOM SPAWN अच्छी तरह भूसे में मिल जाएँ जब भूसे के साथ बीज अच्छी तरह मिल जाता है तो उसके बाद इस भूसे को भी प्लास्टिक बैग में गोलाकृति में भरना होता है गोलाकृति के लिए भूसे को पन्नी के चारों तरफ फैलाकर एवं दबाकर भरना होता है | उसके बाद इसे भी रबर बेंड के माध्यम से ऊपर से टाइट करके बंद कर दिया जाता है और उसके बाद पन्नी में इस तरह से लगभग 10 छेद कर दिए जाते हैं की मशरुम पन्नी से बाहर आये तो एक दूसरे से न टकराय | उसके बाद इन पन्नियों को एक बंद कमरे की ओर ले जाया जाता है |
OYSTER MUSHROOM FARMING के लिए कमरे का वातावरण कैसा होना चाहिए:MUSHROOM FARMING के लिए एक ऐसे कमरे की आवश्यकता होती है जिसमे दरवाजे के साथ एक खिड़की भी होनी जरुरी होती है और खिड़की और दरवाजे अगर आमने सामने हों तो और भी बढ़िया रहता है | कमरे में प्लास्टिक बैग को रखने के लिए उद्यमी चाहे तो RACK METHOD अर्थात कमरे में बांस इत्यादि का उपयोग करके रैक तैयार करवा सकता है, या फिर बांस एवं रस्सी का प्रयोग करके भी HANGING METHOD का प्रयोग करके भी मशरुम के बैग रखने की जगह बनाई जा सकती है | जब उद्यमी द्वारा उपर्युक्त प्रक्रिया करके पैकेट कमरे में प्रविष्ट करा दिए जाते हैं उसके बाद OYSTER MUSHROOM FARMING में 15 दिनों तक उस कमरे की लाइट से लेकर दरवाजे खिड़कियाँ सभी बंद रहती हैं | कहने का अभिप्राय यह है की उस कमरे में ऐसा वातावरण होना चाहिए की कहीं से भी हवा उस कमरे के अन्दर प्रविष्ट न हो लगभग पन्द्रह दिनों के बाद वह कमरा खोला जाता है जिसमे OYSTER MUSHROOM FARMING की जा रही हो तब तक फफूंद पन्नी के चारों तरफ फैल चुकी होती है |
उसके बाद कमरे में उपलब्ध Exhaust fan के माध्यम से उस फफूंद को हवा की जाती है | MUSHROOM FARMING में यह EXHAUST FAN जमीन से सिर पांच सात इंच ही ऊपर लगा होता है | यह प्रक्रिया दो घटे तक चलेगी उसके बाद वापस उस कमरे की दरवाजे, खिड़कियाँ लाइट सभी कुछ बंद कर दिया जाता है उसके बाद एक घंटे बाद फिर से कमरे को दो घंटे के लिए खोल दिया जाता है उसके बाद फिर से एक घंटे के लिए रूम को पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है और फिर उसके बाद एक घंटे के लिए फिर से हवा दी जाती है | इस पूरे हवा देने की प्रक्रिया में EXHAUST FAN सिर्फ दो घंटे चलाया जाता है जबकि टोटल कमरा लगभग छह घंटे खुला रहता है | OYSTER MUSHROOM FARMING में भी कमरे का तापमान लगभग 30° से ऊपर नहीं होना चाहिए और जहाँ तक HUMIDITY अर्थात आर्द्रता का सवाल है यह लगभग 70% होनी चाहिए | OYSTER MUSHROOM प्लास्टिक के बैग के चारों तरफ अर्थात आड़ी तिरछी निकलती हैं |
MUSHROOM CULTIVATION में HANGING METHOD क्या है: MUSHROOM CULTIVATION या MUSHROOM FARMING करने के लिए कमरे के अन्दर प्लास्टिक के बैगों को जमीन में नहीं रखा जा सकता है इसलिए इस बात के मद्देनज़र अर्थात प्लास्टिक के बैग जिनमे MUSHROOM SPAWN की बिजाई की गई है उन्हें रखने की जगह बनाने के लिए इस पद्यति अर्थात HANGING METHOD का उपयोग किया जाता है | इसमें कमरे के आमने सामने की दीवारों में लकड़ी की गिट्टिया ठोक दी जाती हैं और उन गिट्टियों के ऊपर मजबूत बांस की लकड़ी को सटा दिया जाता है यह प्रक्रिया दो दो फीट छोड़कर की जाती है उसके बाद इस तिरछी बॉस की लकड़ी में दो दो फीट छोड़कर रस्सी फंसा दी जाती है इसमें रस्सी के चार पलड़े नीचे की तरफ झूले होने चाहिए और बीच बीच में निश्चित दूरी पर गाँठ बाँध दी जाती है हालांकि इसमें कितनी गांठे रस्सी पर बाँधी जायेगीं यह कमरे की ऊंचाई पर निर्भर करता है | इस पद्यति में रस्सी के चार पलड़ों के सहारे प्लास्टिक के बैग को लटकाकर रखा जाता है इसलिए MUSHROOM FARMING में इसे HANGING METHOD कहा जाता है |
MUSHROOM CULTIVATION में RACKING METHOD क्या है: MUSHROOM FARMING में RACKING METHOD से आशय कमरे के अन्दर ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने से है जिसमे प्लास्टिक के बैगों को रैक के ऊपर रखा जाय | उद्यमी यह रैक अपनी सुविधानुसार किसी भी प्रकार की लकड़ी एवं तख्तों की मदद से तैयार कर सकता है | या फिर बांस की लकड़ियों को तिरछी बिछाकर एवं नीचे से उन्हें सपोर्ट देकर भी रैक तैयार की जा सकती है | या रैक जमीन से छह सात इंच ऊपर की और से शुरू की जा सकती है अर्थात कहने का आशय यह है की पहली रैक उद्यमी चाहे तो जमीन से केवल छह सात इंच ऊपर उठाकर तैयार कर सकता है लेकिन उसके बाद एक रैक से दुसरे रैक की दूरी 2 से 2.5 फीट होनी जरुरी है ताकि उद्यमी बिना छुए मशरुम बैग पर निगरानी रख सके छूने से मशरुम टूट सकती हैं उन्हें नुकसान पहुँच सकता है | हालांकि यह पद्यति लटकाने वाली पद्यति के मुकाबले ठोड़ी महंगी एवं समय खाने वाली होती है |
MILKY MUSHROOM FARMING के लिए कमरे का वातावरण: MILKY MUSHROOM FARMING के लिए उपर्युक्त में से कोई भी इंफ्रास्ट्रक्चर जो उद्यमी को ठीक लगता हो अपना सकता है | उसके बाद बिजाई किये गए पल्स्टिक के बैगों को लाकर उस कमरे में रखा जाता है | इसमें भी खिड़की, दरवाजे, छिद्र इत्यादि बंद कर देने होते हैं लेकिन इन बीस दिनों के दौरान नियमित रूप से बैग का तापमान एवं कमरे के तापमान का निरीक्षण करना बेहद जरुरी होता है | बैग का तापमान चेक करते वक्त इस बात का ध्यान रखना बेहद जरुरी होता है की थर्मामीटर का अगर भाग अर्थात जहाँ सेंसर लगा हो वह साइड से बैग के अन्दर घूसा दिया जाता है और उसी अवस्था में बैग का तापमान चेक करना होता है न की थर्मामीटर को बाहर निकालकर | MILKY MUSHROOM FARMING के लिए शुरू के बीस दिनों तक बैग का तापमान 25-30° के बीच होना चाहिए और जहाँ तक कमरे के तापमान का सवाल है कमरे का तापमान एवं आर्द्रता हाइड्रो मीटर के माध्यम से चेक की जा सकती है |
आर्द्रता को 70-90% के बीच मेन्टेन करना होता है और तापमान वही 25 से 30° के बीच | बीस दिन कम्पलीट हो जाने के बाद उन प्लास्टिक की थैलियों में फफूंद पहिल चुकी होगी अर्थात प्लास्टिक की थैलिय सफ़ेद दिखना शुरू हो चुकी होंगी उसके बाद उद्यमी को MILKY MUSHROOM BAG को रैक या रस्सी से उतारना है और ऊपर से फाड़ देना है अब इसके ऊपर कम्पोस्ट जो की नारियल के बुरादे एवं डेढ़ साल पुराने गोबर से बनी होती है डाल दी जाती है | MILKY MUSHROOM सीधे ऊपर की तरफ निकलती हैं |
कम्पोस्ट बनाने की विधि: MILKY MUSHROOM की SOIL CASING के लिए खाद का निर्माण करने के लिए उद्यमी को नारियल के बुरादे अर्थात COCO PEAT एवं डेढ़ साल पुराने गोबर की आवश्यकता होती है | सबसे पहले नारियल के बुरादे को पानी में भीगा दिया जाता है और जब या अपनी आकृति का चार गुना हो जाता है तो इसे पानी से अलग कर दिया जाता है जहाँ तक गोबर और नारियल के बुरादे की मात्रा का सवाल है इन दोनों का मिश्रण तैयार करने में 80% मात्रा गोबर की होती है और 20% मात्रा नारियल के बुरादे की | अब इस मिश्रण को मिलाकर उसके बाद इसमें पानी में 5% FORMALIN मिलाकर उसका छिडकाव किया जाता है क्योंकि हो सकता है गोबर या नारियल के बुरादे में ऐसे कीट, पतंगे विद्यमान हों जो मशरुम को नुकसान पहुंचा सकते हैं |
छिड़काव के बाद इस खाद को ऊपर नीचे अच्छी तरह पलट लिया जाता है और तीन दिन तक ढक कर छोड़ दिया जाता है ताकि कोई भी बेक्टेरिया इस कम्पोस्ट में बाकी न बचे | अब MILKY MUSHROOM FARMING करने के लिए उपर्युक्त बनी हुई खाद उन बीस दिन पुराने थैलियों अर्थात प्लास्टिक के बैगों में भर दी जाती है, जिनमे फफूंद जम गई थी | लेकिन ध्यान रहे भरते वक्त इस खाद को थैले में दबाना नहीं है बल्कि हलके हाथ से थैली के चारों तरफ फैला देना है |
थैलियों में SOIL CASING की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है तो थैलों को अपने अपने स्थान अर्थात यथास्थान उनका मुहं खोलकर रख दिया जाता है और फिर उसी दिन से वाटर स्प्रे मशीन की मदद से प्रत्येक दिन लगभग 10-12 दिन तक इन्हें थोड़ा थोड़ा पानी देना है | ध्यान रहे पानी डालते वक्त केवल स्प्रे का ही उपयोग होना चाहिए क्योंकि पानी भूसे तक नहीं पहुंचना चाहिए बल्कि केवल खाद को ही पानी की आवश्यकता होती है | इन्ही दिनों के दौरान MILKY MUSHROOM निकलना शुरू हो जाती है और इनकी लम्बाई 4-9 इंच तक हो सकती है |
MUSHROOM FARMING में ध्यान देने योग्य बातें: MUSHROOM FARMING में ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें निम्नवत हैं |
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बैग का तापमान मापने के लिए सामान्य से थोड़ा लम्बे थर्मामीटर का इस्तेमाल करें और इसका सेंसर बैग के अन्दर रहे तभी इसका तापमान चेक करें बैग का तापमान 25-30 ° के बीच होना चाहिए |
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कमरे का तापमान एवं आर्द्रता मापने वाले यंत्र का नाम हाइड्रो मीटर है और कमरे का संतुलित तापमान भी 25-30 ° के बीच ही होना चाहिए |
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MUSHROOM FARMING में बैग में मशरूम उत्पादित हो जाने पर बैग को छूने से बचना चाहिए, नहीं तो मशरूम को नुकसान हो सकता है |
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OYSTER MUSHROOM FARMING के लिए SOIL CASING की आवश्यकता नहीं होती जबकि MILKY MUSHROOM इत्यादि के लिए इसकी आवश्यकता हो सकती है |
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HANGING METHOD अर्थात लटकाने की पद्यति RACK METHOD के मुकाबले काफी सस्ती पड़ती है |
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जिन कमरों में MUSHROOM FARMING की जा रही हो उनमे कम से कम एक खिड़की एवं एक दरवाजे का होना अति आवश्यक है |
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