राजस्थान में किसानों के लिए लहसुन कमाई का एक नया साधन बनता जा रहा है. नकदी मसाला फसलों की ग्रेडिंग व पैंकेजिंग करके यहां के किसान अच्छा पैसा कमा रहे हैं. यहां के लहसुन को तमिलनाडु आदि राज्यों में भेजा जाता है. औसत एक किलों पर 30 रूपए तक का फायदा किसानों को होता है.
लहसुन की ग्रेडिंग व पैंकेजिंग से कमाई (Earning from garlic grading and packaging)
अक्सर रकबा बहुत अच्छा होने के बाद भी किसानों को लहसुन के दाम ठीक तरह से नहीं मिल पाते, लेकिन ग्रेडिंग और पैकिंग के बाद लहुसन को मार्केट में बेचा जा सकता है. इसी का प्रमाण है कि जिले की मंडियों में अगर लहसुन के औसत भाव 5 से 9 हजार रूपए क्विटंल है, तो भी तमिलनाडु जैसे राज्यों में वो 7 से 13 हजार प्रति क्विंटल में बिक जाते हैं.
यहां के किसान निवासी छोटूमाल मालव के अनुसार वो 30 बीघा में ऊटी और 20 बीघा में स्थानीय लहसुन की खेती की करते हैं. लहसुन के बाजार के अध्ययन के बाद उन्होंने इसकी खुद ही ग्रेडिंग करने का फैसला किया. ग्रेडिंग के दौरान वो मोटा, बेस्ट क्वालिटी, मध्यम, कलीदार आदि लहसुनों को अलग-अलग 8-10 किलों में पैकेजिंग करते हैं. इन्हें ट्रकों में लादकर तमिलनाडु ले जाया जाता है. ग्रेडिंग और पैकेजिंग का खर्च निकाल भी दिया जाए तो भी किलो के हिसाब से 10 से 20 रूपये ज्यादा की कमाई हो रही है.
बेहतर क्वालिटी की है मांग (Demand for better quality)
ग्रेडिंग, पैकिंग कर लहसुन को बेचना लाभकारी है. गुणवत्ता वाले लहसुन की अधिक मांग है. ग्रडिंग के बाद 6 हजार से लेकर 12 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक इन्हें आसानी से बेचा जा सकता है. जबकि स्थानीय मंडियों में दाम 4 से 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक ही रहते हैं.
किसानों के मुताबिक लहसुन की फसल कई चीजों पर निर्भर करती है, जैसे- उसकी किस्म, भूमि की उर्वरा शक्ति और उसकी सही देखरेख. आम तौर पर लंबे दिनों वाली किस्में को उपज के हिसाब से अच्छा माना जाता है. इन किस्मों से करीब प्रति हेक्टेयर से 100 से 200 क्विंटल तक की उपज हो जाती है.
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