बिहार के अभिषेक आनंद ने अपने गांव वालों के साथ मिलकर केले की वैज्ञानिक खेती कर अच्छी आय के लिए फार्म पर प्रोसेसिंग यूनिट लगाई है. वह आज केले के चिप्स के एग्री बिजनेस से काफी अच्छी कमाई कर रहे हैं. उन्होंने अपने इस प्रोडक्ट की अच्छी ब्रांडिंग भी करवा ली है. इससे उनके गांव के किसानों के आर्थिक हालात काफी बेहतर हुए हैं. अब देश के अलग-अलग इलाकों के किसान खेती के साथ-साथ एग्री बिजनेस मॉडल अपना रहे हैं. आज अभिषेक आनंद के फार्म में उगने वाले केले से बने चिप्स भारत में मशहूर हो रहे हैं.
अभिषेक आनंद ने कुछ साल पहले टिशू कल्चर तकनीक के माध्यम से केले की जी-9 किस्म की बागवानी शुरू और इसके साथ ही खेत में केले का चिप्स बनाने वाली प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाई. इसके बारे में तकनीकों की अच्छी जानकारी के लिए उन्होंने अपने सीतामणी जिले के उद्यान विभाग के कार्यालय में संपर्क किया. यहां पर उन्हें सरकार के द्वारा चलाई जा रही विभिन्न प्रकार की योजनाओं के बारे में पता चला, जिसके बाद उन्होंने केले की बागवानी के बारे में सोचना शुरू किया.
अभिषेक आनंद ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई की और फिर कोरोना महामारी के दौरान अपने गांव सीतामणी के मेजरगंज चले आए. इस दौरान उन्होंने खेती से जुड़ी तमाम योजनाओं के बारे में जानकारी इकट्ठा की और फिर केले के की बागवानी करने का मन बनाया और इससे जुड़ी अन्य जानकारियां कृषि विभाग के कार्यालय से मिल गईं.
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अभिषेक को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में आवेदन करने पर ड्रिप सिंचाई के संयंत्रों पर काफी छूट मिल गई. अभिषेक को मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत केले की बागवानी करने के लिए जी-9 किस्त केला की पौध सामग्री भी मिली और कृषि निदेशालय की ओर से फल की तुड़ाई और इसके प्रबंधन के लिए 90 प्रतिशत की छूट पर प्लास्टिक कैरेट भी मिल गया.
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