क्या आप जानते हैं कि मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरूद्वारों के ऊपर 'गुम्बद' क्यों बनाए जाते हैं, अलग-अलग धर्म होते हुए भी इन सभी धार्मिक स्थानों में 'गुम्बद' आखिर क्यों है कॉमन? तो चलिए आज हम आपको इस गुम्बद को बनाने का रहस्य बताते हैं....
अगर आप किसी धर्मस्थल पर जाते हैं तो कभी उनकी बनावट पर गौर किया। आपने देखा होगा कि मंदिर हो या मस्जिद हर एक बनावट गुंबदनुमा होती है। इनका उपरी हिस्सा गुंबदनुमा बनाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा आखिर अधिकतर धर्मस्थलों की बनावट ऐसी क्यों होती है। एक दिलचस्प बात है कि ऐसा होने के पीछे महज आस्था नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण भी है।
जब भी आप इश्वर की प्रार्थना करते हैं तो उस दौरान आपका मुख ध्वनि तरंगें छोड़ता है। ऐसे में अगर आप ईश्वर की भक्ती खुले में बैठकर करेंगे तो वो तरंगे ब्रम्हाण्ड में कहीं खो जाएंगी। जिस वजह से आपको कुछ अधूरापन महसूस होगा। आपको कुछ ऐसा लगेगा जैसे उपरवाले तक आपकी प्रार्थना पहुंची ही नहीं।
लेकिन अगर आप कभी गुंबदनुमा किसी धार्मिक स्थल में जाकर प्रार्थना करते हैं तो वहां आपसे निकलने वाली ध्वनि तरंगे वापस आपको सुनाई देंगी। उस समय आप ऐसा महसूस करते हैं जैसे इश्वर आपकी हर एक बात सुन रहा है।
आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि उपरवाले को याद बड़ी ही श्रद्दा और एकाग्रता के साथ करना चाहिए। सच्चे दिल से की गई प्रार्थना ईश्वर तक जरूर पहुंचती है। ईश्वर आपकी मनोकामना पूरी करता है। ऐसे जब आप किसी गुंबदनुमा धार्मिक स्थल में ईश्वर की प्रार्थना करते हैं तो आपके आस-पास तरंगों के एक सर्किल का निर्माण हो जाता है।
भक्त को इस सर्कल से मानसिक शांति प्राप्त होती है और वह आसानी से ईश्वर पर ध्यान लगा लेते हैं। इसलिए अधिक से अधिक समय प्रभु को याद धार्मिक स्थलों में ही करना चाहिए।
Share your comments