4 जनवरी वर्ष 1809 में एक महान शिक्षाविद् लुई ब्रेल का जन्म हुआ था. जो नेत्रहीनों के मसीहा के रूप माने जाते है. उनका जन्म फ्रांस के छोटे से ग्राम कुप्रे में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था. लुई ने तीन वर्ष की उम्र में एक दुर्घटना में अपनी आंखों की रौशनी खो दी थी. जिसके बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने एक ऐसी लिपि का अविष्कार किया, जो नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए एक चमत्कार साबित हुई. उन्होंने इस लिपि का आविष्कार 1821 में किया था. जिसका नाम उन्होंने ब्रेल लिपि रखा. उनका मुख्य उद्देश्य नेत्रहीन व्यक्तियों को शिक्षा के प्रति मार्ग दिखाना था.
नेत्रहीन विकास उद्योग समिति
लुई ब्रेल के 210 वीं जयंती पर नेत्रहीन विकास उद्योग समिति की तरफ से 4 जनवरी को वीडी नगर, रोटरी भवन स्थित गुमानकंवर लोढ़ा नेत्रहीन विद्यालय में कार्यक्रम मनाया जायेगा. इनकी जयंती के अवसर पर कईं कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगें. इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रामद्वारा खेड़ापा के सुरजनदास महाराज एवं राजस्थान स्वायत्त शासन संस्थान के अध्यक्ष केवलचंद गुलेच्छा उपस्थित होंगे. मुख्य अतिथि रोटरी क्लब अध्यक्ष मांगीलाल गांधी, श्रीजैन संघ सभा भवन अध्यक्ष गौतमचंद रातड़िया मेहता, बांगड़ कॉलेज के पूर्व प्राचार्य तेजराज तातेड़ और इनरव्हील क्लब की अध्यक्ष मनीषा सारड़ा आदि उपस्थित होगी.
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