अब अपने खेत की मिट्टी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की कमी की रिपोर्ट किसानों को तुरंत मिलेगी। दरअसल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूसा इस सुविधा को किसानों को प्रदान करने जा रहा है। इसके लिए अनुसंधान किसानों की कंपनी कोमलिका ग्रुप के साथ मिलकर इस तरह के कार्य को करेगा।
प्राइवेट लैंब बंद करने से परेशानी
अभी तक ऐसा होता आया है कि किसान खुद या फिर सहायक किसानों की मदद से मिट्टी की जांच करवाते है। ज्यादातर प्राइवैट लैब जांच हेतु बंद हो चुकी है, इस कारण किसान सरकारी जांच वाली लैब पर निर्भर है। यहां जनपद में अतरौली, जवां, सोमना, इगलास व क्वासी फॉर्म पर जांच होती है। न्यूनतम समय सात दिन या फिर इससे ज्यादा समय में ही किसानों को रिपोर्ट मिल पाती है। इसमें दो तरह की जांच होती है। अगर किसान खुद ही नमूना लेकर आ जाता है तो उससे 29 से 102 रूपये ले लिए जाते है। 29 रुपये वाली जांच में इलेक्ट्रो कनेक्टिविटी व पॉवर ऑफ हाइड्रोजन आयन(पीएच) के अलावा एनपीके की जांच होती है। जबकि 102 रुपये वाली में सूक्ष्म तत्व जिंक, बोरोन, सल्फर, आयरन, कॉपर की भी जांच होती है। इसमें कृषि विभाग से जुड़े अधिकारी भी कभी-कभी दो या तीन स्थानों से मिट्टी लेकर जांच कर देते थे। अगर विभाग के क्रमी खुद जांच करते है तो इसके कोई भी पैसे नहीं लगेंगे। अगर नियमानुसार बात करें तो खेत के चारों कोनों के अलावा बीच से मिट्टी का नमूना लेकर पांचों जगह की मिट्टी की जांच जरूरी है।
संस्थान दे रहा विशेष किट
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूसा मिट्टी की जांच के लिए एक किट को उपलब्ध करवा रहा है। यह एक इस तरह की किट है जो किसान के जरिए आसानी से खेत पर ले जाई जा सकती है। संस्थान किट देने के लिए तैयार हो चुका है। साथ ही बची हुई औपचारिकताएं भी पूरी की जा रही है। जल्द ही किसानों को यह सुविधा मिलेगी और इसके लिए उनसे फीस ली जाएगी जो किफायती होगी। किसानों को अब मिïट्टी की जांच के सात दिन का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। किसान की सहूलियत के लिए किट लेकर खेत पर जांच कराई जाएगी। मिट्टी की सेहत सही रखने के लिए जांच जरूरी है।
Share your comments