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ये एप्लीकेशन आपको बनाएगा संस्कारी...

हर-हर महादेव का इस्तेमाल लोगों को संस्कारी बनाने के लिए किया जाएगा. ये किसने सोचा था. नहीं, नहीं कुछ लोगों ने सोच लिया और कर भी दिखाया है. एक ऐप बना डाला है. हर-हर महादेव ऐप.

हर हर महादेव…काशी माने बनारस नगरी में हर आदमी सुबह-शाम एक दूसरे को ऐसे ही नमस्कार करता है. पर हर-हर महादेव का इस्तेमाल लोगों को संस्कारी बनाने के लिए किया जाएगा. ये किसने सोचा था. नहीं, नहीं कुछ लोगों ने सोच लिया और कर भी दिखाया है. एक ऐप बना डाला है. हर-हर महादेव ऐप. नाम सुनकर लग रहा है जैसे बाबा भोलेनाथ के भजन-कीर्तन बजेंगे. या काशी विश्वनाथ के दर्शन या प्रसाद खरीदने के लिए कोई ऐप होगा. पर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी का इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज इससे 35 कदम आगे निकल गया. उसने जो हर हर महादेव ऐप बनाया है, वो आपके मोबाइल या कंप्यूटर पर पॉर्न कंटेंट रोकेगा. माने आपने जानबूझकर या गलती से भी पॉर्न कंटेंट खोला तो आपके मोबाइल पर भजन बजने लगेंगे. ये आपको पॉर्न की बुरी आत्माओं से बचा लेगा.

न्यूरॉलजी विभाग के डॉ. विजयनाथ मिश्रा के नेतृत्व में यह ऐप बना है. ऐप बनाने में करीब छह महीने का समय लगा. ऐप में फिलहाल 3,800 साइट्स का डेटा है. माने वो इन साइटों से आपकी भली नजरों को बचाएगा. इसमें फिलहाल हिंदू भक्ति गीत ही डाले गए हैं. मगर इसका फ्यूचर प्लान भी तैयार है. आगे इसमें दूसरे धर्म के भक्ति गीतों को भी शामिल करने की तैयारी है. माने मुस्लिम इसका इस्तेमाल करेंगे तो ऐप में अल्लाह हो अकबर सुनाई देगा. बहुतै क्रांतिकारी…नहीं, नहीं. इसके लिए बहुतै संस्कारी…चलेगा.

बीएचयू स्टूडेंट्स के बीच उड़ रहा मजाक

सोशल मीडिया पर ऐप की कुछ लोग तारीफ कर रहे तो कुछ लोग हौंक के मौज ले रहे हैं. बीएचयू के स्टूडेंट्स का कहना है कि 16 नवंबर की शाम से जब से इस ऐप के बारे में पता चला है, तब से इसका मजाक बन रहा है. उनके व्हॉट्सऐप ग्रुप्स में तहलका मचा हुआ है. स्टूडेंट्स बोले- ये हमें जबरन संस्कारी बनाने की पहल की शुरुआत हो सकती है. शुक्र है कि इसे अभी तक स्टूडेंट्स के लिए कंपल्सरी नहीं किया गया है. आगे भी ऐसा ना हो तो अच्छा है.   

मेडिकल साइंसेज ऐप बना रहा तो आईटी क्या कर रहा?

सोशल मीडिया पर भी लोग इसकी काफी मौज ले रहे हैं. कुछ का कहना है- ऑफिस, स्कूल, कॉलेजों में तो वैसे भी पॉर्न साइट्स बैन होती हैं. बाकी जिसे अपने पर्सनल स्पेस में इन वेबसाइट्स को खोलना है, वो क्यों डाउनलोड करेंगे यह ऐप. बाकी कुछ लोगों को जबरन करवा दिया जाए तो नहीं कह सकते. कुछ लोग तो इस बात से परेशान हैं कि मेडिकल साइंसेज डिपार्टमेंट कब से इन ऐप्स को बनाने लगा. आईटी वाले क्या घुइयां छील रहे हैं.

सूत्र : लल्लनटॉप

English Summary: These applications will make you ... Published on: 18 November 2017, 04:43 AM IST

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