अपनी मेहनत से सफलता पाने की खुशी होती है, वो दुनिया की हर खुशी को फीका कर देती है. यही जज़्बा और जूनून आपको आगे अपनी पहचान दिलाने में मदद करता है. जी हां, गणतंत्र दिवस (Republic Day 2022) पर देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में गिने जाने वाले पद्म पुरस्कारों (Padma Awards) की घोषणा की गई है, जिसमें उन्नतशील किसान सेठपाल सिंह (Progressive farmer Sethpal Singh) भी शामिल है.
पद्म पुरुस्कार 2022 (Padma Awards 2022)
बता दें कि इस सूची में इस साल 4 पद्म विभूषण, 17 पद्म भूषण और 107 पद्म श्री पुरस्कार शामिल हैं. पद्म श्री पुरस्कार पाने वाले प्रगतिशील किसान सेठपाल उत्तर प्रदेश (यूपी) के सहारनपुर जिले के नंदी फिरोजपुर गांव के निवासी हैं. बता दें कि यह पुरस्कार मार्च-अप्रैल में राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में दिए जाएंगे.
प्रयोग और विविधीकरण के विशेषज्ञ है सेठ पाल सिंह (Seth Pal Singh is an Expert in Experimentation and Diversification)
सेठ पाल सिंह के छोटे भाई विनोद कुमार (Vinod Kumar, younger brother of Seth Pal Singh) ने बताया कि 54 वर्षीय किसान परिवार में छह भाई हैं, जिसके पास करीब 40 एकड़ जमीन है. पहले वे पारंपरिक खेती करते थे. फिर 1995 में, जब सेठ पाल ने खेती में कुछ नया करने के बारे में सोचा, तो उन्होंने सहारनपुर के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) में जाना शुरू कर दिया, जहां उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से विभिन्न नई कृषि विधियों के बारे में सीखा था.
नहीं डरते नए प्रयोग से (Not Afraid by Doing New Experiments)
विनोद कुमार ने कहा, "सेठ पाल सिंह के बारे में अच्छी बात यह है कि वह खेती में कोई नया प्रयोग करने से डरते नहीं हैं, क्योंकि उनका मानना है कि किसान तब तक प्रगति नहीं कर सकते जब तक वे कुछ नया नहीं करते हैं. "
शुरुआत में, सेठ पाल सिंह ने पारंपरिक फसलों के साथ-साथ फूल, फल और सब्जियों जैसी फसलों को उगाना शुरू किया था. केवीके में प्रशिक्षण और कार्यशाला (Training and Workshop in KVK) के बाद उनकी रुचि और बढ़ गई थी.
कई फसलों की खेती करते हैं सेठपाल (Sethpal Cultivates Many Crops)
इन्होंने अपने खेत में तालाबों के बजाय पानी के गुलकंद उगाए हैं और अच्छा मुनाफा भी कमाया है. सेठपाल कभी पराली नहीं जलाते हैं और यही वजह है कि मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी नहीं आती है. उन्होंने अपने खेत में वर्मी कम्पोस्टिंग (Vermi-compost) और एनएडीईपी कम्पोस्टिंग (NADEP Composting) की इकाइयां स्थापित की हुई हैं.
सेठ पाल वर्षों से बहु-फसल और रिले फसल (Multi-Crop and Relay Crop) में हैं. सब्जियों की फसलों में, वह करेला, लौकी और पालक उगाते हैं. एक साल में वह इस तरह एक के बाद एक सब्जी उगाते हैं और करीब चार लाख रुपये प्रति एकड़ का मुनाफा कमाते हैं.
मछली पालन, पशुपालन और सब्जियां उगाने के अलावा, सेठ पाल कमल के फूल और मशरूम भी उगाते हैं. उन्होंने अंतर-फसली खेती (Intercrop Farming) के तरीकों को अपनाया है और अपने क्षेत्र के किसानों के लिए बहुत काम किया है. गन्ने के साथ, वह फ्रेंच बीन्स, उड़द, मूंग, प्याज, सौंफ, आलू, सरसों, मसूर और हल्दी को सह-फसलों के रूप में उगाते हैं. सेठपाल की यह सब जैविक खेती (Organic Farming) के दम पर करते हैं.
पद्म अवार्ड मिलने की जताई ख़ुशी (Expressed Happiness of Getting Padma Award)
बता दें कि जब गांव में उनको मिलने वाले पद्मश्री की खबर पहुंची तो सब ख़ुशी से झूम उठे. किसान Seth Pal Singh ने कहा, "मैंने न केवल उन्नत खेती की बल्कि अन्य किसानों में भी जागरूकता पैदा की है".
सेठ पाल सिंह को उनके नवोन्मेषी प्रयोगों के लिए पहले राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. इनमें 2012 में आईसीएआर (ICAR) से जगजीवनराम अभिनव किसान पुरस्कार (Jagjivan Ram Abhinav Kisan Award) और 2014 और 2020 में प्रतिष्ठित निकाय के अन्य पुरस्कार शामिल हैं.
Share your comments