23 दिसंबर को पूरा देश किसान दिवस मनाएगा. कृषि जागरण भी किसान दिवस के मौके पर यूपी के बुलंदशहर में एक सम्मेलन का आयोजन करने जा रही है. इस सम्मेलन में खेती-किसान के दिग्गज जुटेंगे और कृषि से जुड़े हर पहलू पर चर्चा करेंगे और कृषि को एक नई दिशा देने का काम करेंगे. चूंकि उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है, इसलिए कृषि जागरण इस सम्मेलन का आयोजन बुलंदशहर में कर रही है. जैसा कि सर्वविदित है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां की तकरीबन 60% जनसंख्या प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है. और हमारे देश में किसानों के सम्मान के लिए 'किसान दिवस' मनाया जाता है. 23 दिसंबर का दिन उन किसानों को समर्पित है जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी भी कहे जाते हैं. वैसे 23 दिसंबर के दिन को ही किसान दिवस मनाने की वजह यह है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह जी का जन्म 23 दिसम्बर 1902 को उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुआ था. उनके सम्मान में यह दिन इसलिए भी मनाया जाता है क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान भारतीय किसानों के जीवन में सुधार के लिए कई नीतियां शुरू की थी.
किसानों के नेता चौधरी चरण सिंह
चौधरी चरण सिंह किसानों के नेता माने जाते रहे हैं. उनके द्वारा तैयार किया गया जमींदारी उन्मूलन विधेयक राज्य के कल्याणकारी सिद्धांत पर आधारित था. एक जुलाई, 1952 को उत्तर प्रदेश में उनके बदौलत जमींदारी प्रथा का उन्मूलन हुआ और गरीबों को अधिकार मिला. किसानों के हित में उन्होंने 1954 में उत्तर प्रदेश भूमि संरक्षण कानून को पारित कराया. 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) मुम्बई, महाराष्ट्र अवस्थित भारत का एक शीर्ष बैंक है. इसे "कृषि ऋण से जुड़े क्षेत्रों में, योजना और परिचालन के नीतिगत मामलों में तथा भारत के ग्रामीण अंचल की अन्य आर्थिक गतिविधियों के लिए मान्यता प्रदान की गयी है.) की स्थापना की. कांग्रेस में उनकी छवि एक कुशल नेता के रूप में स्थापित हुई. देश की आजादी के बाद वह राष्ट्रीय स्तर के नेता तो नहीं बन सके, लेकिन राज्य विधानसभा में उनका प्रभाव स्पष्ट महसूस किया जाता था. आजादी के बाद 1952, 1962 और 1967 में हुए चुनावों में चौधरी चरण सिंह राज्य विधानसभा के लिए फिर चुने गए.
किसानों के लिए लाये कई नीति
चौधरी चरण सिंह काफी कम दिनों के लिए ही देश के प्रधानमंत्री रहे थे. अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान चरण सिंह भारतीय किसानों की दशा सुधारना चाहते थे और इसके लिए कई नीतियाँ भी लाए. इसकी बड़ी वजह यह थी कि वह खुद भी किसान परिवार से थे और किसानों की समस्या को अच्छी तरह समझ सकते थे. वह देश के पांचवें प्रधानमंत्री थे और उनका कार्यकाल 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक रहा था. उनका जन्म यूपी के हापुड़ जिले में हुआ था.
किसान दिवस क्यों मनाया जाता है?
वर्ष 2001 में केंद्र की अटल बिहारी बाजपेयी सरकार द्वारा किसान दिवस की घोषणा की गई, जिसके लिए चौधरी चरण सिंह जयंती से अच्छा मौका नहीं था. उनके द्वारा किए गये कार्यो को ध्यान में रखते हुए 23 दिसंबर को भारतीय किसान दिवस की घोषणा की गई. तभी से देश में प्रतिवर्ष किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है. 29 मई, 1987 को 84 वर्ष की उम्र में किसानों का यह नेता इस दुनिया को छोड़कर चला गया.
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