हिन्दू धर्म में साल की शुरुआत से लेकर साल के अंत तक कई त्योहार मनाए जाते है. जिनमे भाई-बहन के स्नेह-प्रतीक के रूप में दो त्योहार मनाए जाते हैं- एक रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसमें भाई बहन की रक्षा करने की प्रतिज्ञा करता है तो दूसरा दिवाली के बाद मनाए जाने वाले त्योहार, 'भाई दूज' का होता है.
यह त्योहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है. इसमें बहनें हिन्दू धर्म के मुताबिक इस पर्व को प्रसन्नता से मनाती हैं और अपने भाई की लम्बी उम्र की प्रार्थना करती हैं.
भैया दूज पर्व मनाने के पीछे मान्यता (Recognition behind celebrating Bhaiya Dooj festival)
इस पर्व को मनाने के पीछे मान्यता है कि, यमराज अपनी बहन यमुना से बहुत प्रेम करते थे. लेकिन समय के अभाव में अपनी बहन से मिलने नहीं जा पाते थे. एक दिन यमराज अपनी बहन की नाराजगी को दूर करने के उद्देश्य से उनसे मिलने के लिए उनके घर चले गए. यमुना अपने भाई को देख बहुत खुश हुई. भाई के लिए खाना बनाया और आदर सत्कार किया.
बहन का प्यार व स्नेह देखकर यमराज इतने खुश हुए कि वो यमुना को खूब सारे उपहार भेंट में दिए. यमराज जब बहन से मिलने के बाद वापस अपने निवास स्थान जाने लगे तो अपनी बहन यमुना से कोई भी अपनी इच्छा का वरदान मांगने के लिए बोले, यमुना ने उनके इस आग्रह को सुनकर कहा कि अगर आप मुझे वर देना ही चाहते हैं तो यही वर दीजिए कि आज के दिन हर साल आप मेरे यहां आएं और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे. हिन्दू धर्म के मुताबिक कहा जाता है इसी घटना के बाद से ही हर साल भैया दूज का त्योहार मनाया जाता है.
भैया दूज पर्व मनाने की पूजा विधि (Worship method of celebrating Bhaiya Dooj festival)
भैया दूज के दिन बहनें आसन पर चावल के घोल से चौक बनाएं. इसके बाद रोली, चावल, घी का दिया और मिठाई से थाल सजाएं. कद्दू के फूल, सुपारी, मुद्रा हाथों पर रख कर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ें. इसके बाद भाई के माथे पर तिलक लगाएं तत्पश्चात भाई, बहन को कुछ उपहार दें.
बहने भाई की लंबी उम्र की ईश्वर से कामना करें. इसके बाद बहन भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर कलावा बांधे और भाई के मुंह में मिठाई, मिश्री और माखन दें.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इस दिन गोधन कूटने की भी हिन्दू धर्म में प्रथा है. इसमें गोबर की मानवनुमा मूर्ति बना कर उसके छाती (सीने) पर ईंट रखकर स्त्रियां उसे मूसलों से तोड़ती हैं. दोपहर के बाद यह सब करके भाई-बहन पूजा विधान से भैया दूज के पर्व को पूरे हर्षों उल्लास से मनाते हैं.
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