आज इस दिन पूरी दुनिया मजदूर दिवस मना रही है, आज के दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है. यह साल 1886 से पूरे विश्व में मनाया जाता है, लेकिन भारत में इसकी शुरुआत 1923 से हुई. गूगल ने मजदूरों के सम्मान में डूडल भी बनाया है.
आइए जानते हैं मजदूर दिवस का इतिहास क्या है...
अंतराष्ट्रीय तौर पर मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत 1 मई 1886 को हुई थी। अमेरिका के मजदूर संघों ने मिलकर निश्चय किया कि वे 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करेंगे। जिसके लिए संगठनों ने हड़ताल किया। इस हड़ताल के दौरान शिकागो की हेमार्केट में बम ब्लास्ट हुआ।
जिससे निपटने के लिए पुलिस ने मजदूरों पर गोली चला दी जिसमें कई मजदूरों की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में ऐलान किया गया कि हेमार्केट नरसंघार में मारे गये निर्दोष लोगों की याद में 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा.
भारत में मजदूर दिवस कामकाजी लोगों के सम्मान में मनाया जाता है। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। हालांकि उस समय इसे मद्रास दिवस के रूप में मनाया जाता था।
मजदूर सिर्फ कम्पनी या सरकारी ही नहीं होते, मजदूर कृषि में भी होते हैं, तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि कृषि मजदूर कौन है..?
अगर बात की जाये कृषि मजदूर की, तो औद्योगिक मजदूर से अलग इसकी परिभाषा देना थोड़ा मुश्किल है, कृषि मजदूरों की परिभाषा दे पाना इसलिए भी कठिन है क्योकि कई हाशिए के तथा छोटे कृषक भी अपनी आय को बढ़ने के लिए इस क्षेत्र में कार्यरत हैं. अतः किस स्तर तक उन्हे कृषि मजदूर समझा जाए यह एक कठिन प्रश्न है.
कृषि मजदूर निरीक्षण आयोग ने मजदूर के 2 रूप बताए हैं:
1) संलग्न मजदूर
2) अनौपचारिक मजदूर
संलग्न मजदूर : यह वह मजदूर हैं जो की किसी कृषक परिवार से किसी भी प्रकार के मौखिक या लिखित अनुबंध के द्वारा जुड़े होते है. इसमें इनका रोज़गार स्थाई होता है.
अनौपचारिक मजदूर : वहीं दूसरी तरफ इस प्रकार के मजदूर किसी भी कृषक के खेतों में कार्य करने के लिए स्वतंत्र होते हैं. इस प्रकार के मजदूर अक्सर दैनिक रूप से लगे होते हैं.
मजदूर दिवस के कुछ तथ्य :
मजदूर दिवस को उत्सव के रूप में पहली बार अमेरिका में 5 सितंबर 1882 को मनाया गया. इस अवसर पर मजदूरों ने भाषण दिए. दुनिया के कई देशों में मजदूर दिवस 'मई डे' के रूप में मनाया जाता है. इसकी शुरुआत शिकागो से हुई थी. मजदूरों ने वहां मांग की कि वे सिर्फ 8 घंटे काम करेंगे. इसके लिए उन्होंने कैंपेन चलाया, हड़ताल और प्रदर्शन भी किया.
अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि लेबर डे का फाउंडर कौन था? कुछ लोगों का मानना है कि अमेरिकन फेडरेशन ऑफ लेबर के फाउंडर पीटर जे. मैकगुरी ने इसकी शुरुआत की थी. वहीं, कुछ अन्य लोगों का मानना है कि मैथ्यु मैगुरी ने इसकी शुरुआत की. ऑस्ट्रेलिया की टेरिटरी वाले न्यू साउथ वेल्स और साउथ ऑस्ट्रेलिया में मजदूर दिवस अक्टूबर के पहले सोमवार को मनाया जाता है.
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