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चॉकलेट से जुड़ी ये अनोखी बातें, आज भी हैं रहस्य

मंदिर में प्रसाद के तौर पर दी जाने वाली सामग्री से तो आप परिचित हैं लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां बाकी मंदिरों जैसा प्रसाद नहीं दिया जाता है. जी हां, यह प्रसाद बाकीयों से बिल्कुल अलग है.

मनीशा शर्मा

मंदिर में प्रसाद के तौर पर दी जाने वाली सामग्री से तो आप परिचित हैं लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां बाकी मंदिरों जैसा प्रसाद नहीं दिया जाता है. जी हां, यह प्रसाद बाकीयों से बिल्कुल अलग है. इससे पहले कि आप कुछ और सोचें हम आपको बताते हैं इस मंदिर और यहां मिलने वाले प्रसाद के बारे में.

केरल में स्थित है थक्कन पलानी का बाल सुब्रमण्यम मंदिर. यहां दिया जाने वाला प्रसाद कुछ हटकर है. इस मंदिर प्रसाद के रूप में चॉकलेट चढ़ाया जाता है और श्रद्धालुओं को प्रसाद में भी चॉकलेट ही दी जाती है. इस तरह का प्रसाद लोगों के बाच काफी लोकप्रिय है. दरअसल, स्थानीय मान्यता के मुताबिक मंदिर में स्थापित देवता को चॉकलेट का भोग लगाना शुभ माना जाता है. तो यह तो हुई बात मंदिर के प्रसाद की. अब जरा चॉकलेट से जुड़ी कुछ मजेदार बातें जान लेते हैं.   

चॉकलेट का जन्म 4,000 साल पहले हुआ था. यह वास्तव में एक मीठा खाद्य है. सर्वप्रथम इसका सेवन उपचार के लिए कड़वे पेय के रूप में किया गया था. इसका पहला निर्माण अमेरिका में हुआ था. यह कम लोग ही जानते हैं कि चॉकलेट कोको से बनती है. अमेरिकन जो पौधों की खेती करते थे, यह पौधे मध्य अमेरिका के वनों में पाए जाते थे.  फिर वह कोको के बीजों को एक पेस्ट में मिलाते थे, जिसमें पानी, वेनिला, शहद, मिर्च और अन्य मसालों को मिलाकर उस मिश्रण को पीते थे. यह एक चॉकलेट शेक की तरह होता था जिसका स्वाद मीठा, नमकीन और थोड़ा तीखा होता था.

ओल्मेक, मेयन और एज़्टेक सभ्यताओं ने चॉकलेट को एक स्फूर्तिदायक पेय, मूड बढ़ाने वाला पेय पाया. जिससे उन्हें विश्वास हो गया कि इसमें रहस्यमय और आध्यात्मिक गुण हैं.

चॉकलेट बनाने की शुरुआत

इसका आविष्कार अमेरिका में जरूर हुआ पर इसकी खेती सबसे ज्यादा अफ्रीका में की जाती है. 15 वीं सदी में स्पेन के राजा ने मेक्सिको को अपने कब्ज़े में कर लिया. जिसके बाद स्पेन के राजा कोको के बीज स्पेन ले आए और स्पेन में कोको उगानी शुरू कर दी. इसके बाद उसके द्वारा बनाया पेय स्पेन के लोगों को खूब पसंद आया और उन्होंने उसे अपने पसंदीदा पेय में शामिल कर लिया. पेय पदार्थ के प्रयोग के बाद इसे खाने के लायक सॉलिड फॉर्म में बनाया गया और इसका नाम कैडबरी मिल्क चॉकलेट रखा गया था.

जब चॉकलेट बनाने की शुरुआत की गई तब इसे बनाने के कई अलग तरिके अपनाए गए. धीरे-धीरे चॉकलेट में बदलाव आते रहे उसके स्वाद और उसके रंग में भी कई बदलाव किये गए. पहले की चॉकलेट काफी तीखी होती थी क्योंकि उसमें कई तरह के मसालों का इस्तेमाल किया जाता था. हर साल 9 फरवरी को चॉकलेट डे भी मनाया जाता है. चॉकलेट हर किसी की पहली पसंद है. लोग एक-दूसरे के प्रति प्यार जताने के लिए इसे भेंट में देते हैं. आज के युवा चॉकलेट के दीवाने हैं

English Summary: history of choclate day Published on: 09 February 2019, 05:57 PM IST

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