हिंदू धर्म में गाय को सागर मंथन से निकले 14 रत्नों में से एक रत्न कामधेनु के रूप में देखा जाता है. भारत के अधिकतर त्यौहारों, पूजा-पाठों एवं कर्म-कांडों में किसी न किसी तरह से गाय की महत्वता बताई गई है. गांव देहात में आज भी किसी मंगल कार्य से पहले घर को गाय के गोबर से लीपने की परंपरा है. वैसे आपको बता दें कि सिर्फ धार्मिक रूप से ही नहीं बल्कि घर के वास्तू की दृष्टि से भी गाय महत्वपूर्ण है.
वास्तु और गाय
वास्तु के हिसाब से गाय घर और परिवार में सुख,सौभाग्य, शांति और प्रेम को लेकर आती है. इसलिए घर में इनका होना मंगलकारी है. बछड़े को दूध पिला रही गाय का प्रतीक घर में संतान योग्य को बल देता है. साथ ही गाय की प्रतिमा रखने से घर में सकारात्मक शक्तियों का वास रहता है.
शिक्षा में गाय का महत्व
अगर आप छात्र हैं, तो पढ़ाई-लिखाई करते समय एकाग्रता को बढ़ाने के लिए स्टडी टेबल पर गाय के प्रतीक को रख सकते हैं. माना जाता है कि गाय हमारे सोचने और समझने की शक्ति को तेज करती है.
गाय के प्रतीक से लाभ
घर का निर्माण कर रहे हैं, तो निर्माण स्थल पर बछड़े वाली गाय को लाकर बांध सकते हैं. ऐसा करने से जमीन का वास्तु दोष दूर हो जाएगा. घर में अगर गाय का प्रतीक रखना चाहते हैं, तो ध्यान रहे कि वो दक्षिण-पूर्व जोन में न रखा जाए. इस दिशा में रखा गया प्रतीक मन को परेशान और अस्थिर रखता है.
पंचामृत में गाय का दूध
किसी भी मंगल कार्य से पहले गाय के गोबर से घर-आंगन को लिपना लाभकरी है. इसके अलावा जब भी घर में कोई पूजा-पाठ या धार्मिक आयोजन हो तो पंचामृत बनाने के लिए गाय के दूध का ही उपयोग किया जाना चाहिए. गाय के दूध से बना पंचामृत वास्तु दोष को दूर करता है.
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