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Chhath Puja: छठ पूजा में क्यों शामिल किया जाता है केला? जानें परंपरा और धार्मिक महत्व

छठ पूजा में अर्पित होने वाले सभी प्रसाद और पूजन सामग्री का गहरा सांकेतिक और आध्यात्मिक महत्व है. लेकिन इस पूजा में सबसे प्रमुख स्थान केला का है. छठ पूजा में बिना छिले केले का उपयोग प्रसाद में किया जाता है, जो इसे शुद्ध और संरक्षित रखता है. ऐसे में आइए यहां जानते हैं कि छठी मैया की पूजा में केले की परंपरा और धार्मिक महत्व क्या है?

डॉ एस के सिंह
छठी मैया की पूजा (Image Source: Freepik)
छठी मैया की पूजा (Image Source: Freepik)

छठ पूजा बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण पर्व है. आज के तारीख इसका विस्तार केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुआ है. इस पूजा में सूर्य देवता की उपासना की जाती है और इसे "सूर्य षष्ठी" या "छठ पर्व" भी कहा जाता है. इस अवसर पर व्रतधारी अपने परिवार और समाज की समृद्धि के लिए सूर्य देवता और उनकी बहन छठी मैया से प्रार्थना करते हैं. छठ पूजा में अर्पित होने वाले सभी प्रसाद और पूजन सामग्री का गहरा सांकेतिक और आध्यात्मिक महत्व है, जिसमें से एक प्रमुख सामग्री है केला.

केला छठ पूजा का एक अनिवार्य हिस्सा है और इसे प्रसाद के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इसके कई धार्मिक और सांस्कृतिक कारण है.

केला, शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक

छठ पूजा में सभी प्रसाद शुद्ध और प्राकृतिक होने चाहिए. केले का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि इसे पवित्र और सात्विक फल माना गया है. इसके सेवन और अर्पण से व्रतधारी का मन, शरीर और आत्मा शुद्ध होते हैं, जो इस पर्व का एक प्रमुख उद्देश्य है. बिना छिले केले का उपयोग प्रसाद में किया जाता है, जो इसे शुद्ध और संरक्षित रखता है.

उर्जा और स्वास्थ्य का स्रोत

केला विटामिन, खनिज और ऊर्जा का एक समृद्ध स्रोत है. छठ व्रत के दौरान व्रतधारी निर्जला उपवास रखते हैं और उनकी ऊर्जा का स्तर गिर सकता है. पूजा के समापन के बाद केला खाने से तुरंत ऊर्जा मिलती है. इसमें मौजूद प्राकृतिक शर्करा और पोटेशियम, थकान को दूर करने में मदद करते हैं. इसलिए, इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से व्रतधारी को स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है.

संतति की वृद्धि और समृद्धि का प्रतीक

भारतीय संस्कृति में केला संतति की वृद्धि और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. छठ पूजा मुख्य रूप से संतान, परिवार की समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए की जाती है. इसलिए, केले का उपयोग इस पूजा में विशेष रूप से किया जाता है ताकि परिवार में सुख-शांति और संतति की वृद्धि हो. ऐसा माना जाता है कि भगवान सूर्य की कृपा से केले के माध्यम से संतान सुख की प्राप्ति होती है.

प्रकृति और कृषि का सम्मान

छठ पूजा में केला प्रकृति और कृषि के प्रति सम्मान का प्रतीक है. केले का पौधा अपनी संपूर्णता के लिए जाना जाता है, जिसका हर हिस्सा उपयोगी होता है. यह पूजा हमें पर्यावरण और प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहने का संदेश देती है. केले के पौधे की पत्तियों का भी पूजा में प्रयोग होता है, जो इस बात का प्रतीक है कि हमें हर वस्तु का सम्मान करना चाहिए और पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए.

आधिकारिक परंपरा और सांस्कृतिक विरासत

छठ पूजा सदियों पुरानी परंपरा है, और केले का प्रयोग इस पूजा की संस्कृति और परंपरा का हिस्सा बन चुका है. बिहार और आसपास के क्षेत्रों में केले के बागानों की अधिकता है, इसलिए यह फल यहाँ आसानी से उपलब्ध है और आर्थिक दृष्टिकोण से भी इसे हर परिवार द्वारा वहन किया जा सकता है. केले के उपयोग से स्थानीय कृषि को भी बढ़ावा मिलता है, और यह क्षेत्रीय संस्कृति का हिस्सा बन चुका है. बहुत से बिहार के किसान केला इसलिए लगाते है कि पूजा में अपने लगाए हुए केला का प्रयोग करना है.

धार्मिक मान्यता

हिन्दू धर्म में यह माना जाता है कि केला भगवान विष्णु का प्रिय फल है. इस कारण से इसे किसी भी शुभ कार्य में विशेष महत्व दिया जाता है. छठ पूजा में भगवान सूर्य की उपासना की जाती है, जो भगवान विष्णु के ही रूप माने जाते हैं. इसलिए केला अर्पित करना उनके प्रति सम्मान का प्रतीक है.

छठ पूजा में केले का महत्व सिर्फ धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य, पर्यावरण, सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. इस तरह से केले का उपयोग न केवल श्रद्धा का प्रतीक है बल्कि यह छठ पूजा की आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी समृद्ध करता है.

केले का महत्व छठ पूजा में विविध प्रयोग

पूजन सामग्री के रूप में उपयोग

छठ पूजा में केले का फल मुख्य प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. इसे प्रसाद के रूप में रखा जाता है और फिर व्रतधारियों और श्रद्धालुओं में बाँटा जाता है. केले का मीठा स्वाद प्रसाद में मिठास जोड़ता है और इसे सभी द्वारा पसंद किया जाता है.

केले के पत्तों का उपयोग

पूजा स्थल को सजाने और प्रसाद रखने के लिए केले के पत्तों का भी उपयोग किया जाता है. केले के पत्ते प्राकृतिक और पवित्र माने जाते हैं, जो पूजा में पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक होते हैं.

प्रकृति से जुड़ाव

छठ पूजा प्रकृति से जुड़ी पूजा है, जिसमें सूर्य, जल, और पेड़-पौधों का विशेष महत्व है. केले का पौधा प्राकृतिक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, और यह पूजा के दौरान समर्पण और आस्था का भी प्रतीक बनता है.

प्रसाद की लंबी अवधि के लिए उपयोगी

केले का फल अन्य फलों की तुलना में ज्यादा समय तक टिकाऊ होता है और इसे विशेष रूप से चुना जाता है ताकि यह कई दिनों तक ताजा रहे. छठ पूजा में केले का यह महत्व दर्शाता है कि यह न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा है बल्कि प्रकृति के प्रति श्रद्धा और आस्था का भी प्रतीक है.

English Summary: banana is included in chhath puja vidhi in hindi Published on: 05 November 2024, 11:23 AM IST

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